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अफगानिस्तान से लौटे सूरज, सुनाई खौफनाक दास्तान

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Published : Aug 23, 2021, 7:10 PM IST

Updated : Aug 23, 2021, 7:27 PM IST

अफगानिस्तान (afghanistan crisis) में तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद से काबुल में फंसे यूपी के चंदौली के रहने वाले सूरज चौहान भारत लौट आए हैं. वतन वापसी के बाद उन्होंने काबुल के हालातों के बारे में भी बताया. उन्होंने बताया कि वहां हम सभी जान हथेली पर लेकर दिन गुजार रहे थे.

अफगानिस्तान से लौटे चंदौली सूरज
अफगानिस्तान से लौटे चंदौली सूरज

चन्दौली: अफगानिस्तान (afghanistan) में तालिबानी (Taliban) कब्जे के बाद से वहां हालात बद से बदतर हो गए हैं. इसमें चन्दौली (पूर्वी उत्तर प्रदेश) के लाल सूरज चौहान भी फंस थे. हालांकि, 5 दिन बाद उनकी सकुशल वतन वापसी हो गई, जिसके बाद घर परिवार में खुशी का माहौल है, लेकिन अफगानिस्तान के हालात पर चर्चा करते ही सूरज सहम जा रहे हैं.

अफगानिस्तान के बिगड़े हालात के बीच फंसे सूरज चौहान की सकुशल घर वापसी तो हो गई, लेकिन उनके जेहन से वो खौफनाक यादें नहीं निकल पा रहीं. सोमवार की सुबह 3 बजे सूरज घर पहुंचे. उनके घर पहुंचते ही परिवार में खुशियां वापस लौट आईं. अपने लाल को देखते ही परिजनों की आंखें नम हो गईं. हालांकि, सुबह होते ही आसपास के लोगों का घर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया. हर कोई सूरज को सकुशल देखकर खुश था. लोग मिठाई खिलाकर अपनी खुशी का इजहार कर रहे थे और सूरज को सकुशल घर वापसी की शुभकामनाएं दे रहे थे.

अफगानिस्तान से लौटे चंदौली सूरज
सूरज ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया काबुल में जहां वे फंसे थे. वहां को 17 लोग थे, जिसमें 14 लोग यूपी के अन्य जिलों के हैं. सूरज के साथ यूपी के सभी लोगों की घर वापसी हो गई है. वहीं अगर, अफगानिस्तान की बात की जाए तो सूरज उस मंजर को याद नहीं करना चाहते. उनका कहना है कि जिस तरह के हालात वहां थे. ऐसी भयावह स्थिति पहले कभी नहीं देखी. हम लोगों ने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया था. ऐसा लग रहा था की कभी भी कुछ भी हो सकता है. बदले हालात में दिन कैसे बीते उसे वे याद भी नहीं करना चाहते.

इसे भी पढ़ें-UNHCR कार्यालय के बाहर प्रदर्शन, अफगान नागरिकों ने बयां किया दर्द

उन्होंने कहा कि बदलते हालात के बीच जब सरकार ने वहां से भारतीय दूतावास (Indian Embassy) वापस बुला लिया तो उम्मीद भी डोर टूटने लगी था. एक पल के लिए ऐसा लगा कि अब वतन वापसी नहीं होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इंडियन एम्बेसी की तरफ से लगातार संपर्क बना रहा और इंडियन एयर फोर्स की मदद से हिंडन एयर बेस लाया गया, जिसके बाद वे सोमवार की सुबह घर पहुंचे.

अफगानिस्तान से वापसी के बाद सूरज ने कहा कि अब कभी वो अफगानिस्तान नहीं जाएंगे. कोरोना काल में उनकी नौकरी चली गई. परिवार के भरण पोषण के लिए नौकरी की जरूरत थी. लिहाजा, सूरज को अफगानिस्तान जाना पड़ गया. अगर, यहीं रोजगार मिल जाए तो कोई क्यों विदेश जाएं. उनके पिता बुद्धिराम चौहान ने कहा कि बेटे की घर वापसी से बेहद खुश हैं और अब वे अपने जीते जी विदेश नहीं जाने देंगे. हालांकी, इस दौरान मीडिया और भारत सरकार के सहयोग के लिए धन्यवाद भी दिया.

चन्दौली: अफगानिस्तान (afghanistan) में तालिबानी (Taliban) कब्जे के बाद से वहां हालात बद से बदतर हो गए हैं. इसमें चन्दौली (पूर्वी उत्तर प्रदेश) के लाल सूरज चौहान भी फंस थे. हालांकि, 5 दिन बाद उनकी सकुशल वतन वापसी हो गई, जिसके बाद घर परिवार में खुशी का माहौल है, लेकिन अफगानिस्तान के हालात पर चर्चा करते ही सूरज सहम जा रहे हैं.

अफगानिस्तान के बिगड़े हालात के बीच फंसे सूरज चौहान की सकुशल घर वापसी तो हो गई, लेकिन उनके जेहन से वो खौफनाक यादें नहीं निकल पा रहीं. सोमवार की सुबह 3 बजे सूरज घर पहुंचे. उनके घर पहुंचते ही परिवार में खुशियां वापस लौट आईं. अपने लाल को देखते ही परिजनों की आंखें नम हो गईं. हालांकि, सुबह होते ही आसपास के लोगों का घर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया. हर कोई सूरज को सकुशल देखकर खुश था. लोग मिठाई खिलाकर अपनी खुशी का इजहार कर रहे थे और सूरज को सकुशल घर वापसी की शुभकामनाएं दे रहे थे.

अफगानिस्तान से लौटे चंदौली सूरज
सूरज ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया काबुल में जहां वे फंसे थे. वहां को 17 लोग थे, जिसमें 14 लोग यूपी के अन्य जिलों के हैं. सूरज के साथ यूपी के सभी लोगों की घर वापसी हो गई है. वहीं अगर, अफगानिस्तान की बात की जाए तो सूरज उस मंजर को याद नहीं करना चाहते. उनका कहना है कि जिस तरह के हालात वहां थे. ऐसी भयावह स्थिति पहले कभी नहीं देखी. हम लोगों ने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया था. ऐसा लग रहा था की कभी भी कुछ भी हो सकता है. बदले हालात में दिन कैसे बीते उसे वे याद भी नहीं करना चाहते.

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उन्होंने कहा कि बदलते हालात के बीच जब सरकार ने वहां से भारतीय दूतावास (Indian Embassy) वापस बुला लिया तो उम्मीद भी डोर टूटने लगी था. एक पल के लिए ऐसा लगा कि अब वतन वापसी नहीं होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इंडियन एम्बेसी की तरफ से लगातार संपर्क बना रहा और इंडियन एयर फोर्स की मदद से हिंडन एयर बेस लाया गया, जिसके बाद वे सोमवार की सुबह घर पहुंचे.

अफगानिस्तान से वापसी के बाद सूरज ने कहा कि अब कभी वो अफगानिस्तान नहीं जाएंगे. कोरोना काल में उनकी नौकरी चली गई. परिवार के भरण पोषण के लिए नौकरी की जरूरत थी. लिहाजा, सूरज को अफगानिस्तान जाना पड़ गया. अगर, यहीं रोजगार मिल जाए तो कोई क्यों विदेश जाएं. उनके पिता बुद्धिराम चौहान ने कहा कि बेटे की घर वापसी से बेहद खुश हैं और अब वे अपने जीते जी विदेश नहीं जाने देंगे. हालांकी, इस दौरान मीडिया और भारत सरकार के सहयोग के लिए धन्यवाद भी दिया.

Last Updated : Aug 23, 2021, 7:27 PM IST
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