मुरादाबाद: विश्व में अपने पीतल की चमक से जाने जाना वाला मुरादाबाद जिला 8 हजार करोड़ रुपये का विदेशी मुद्रा का कारोबार करता है. मुरादाबाद शहर की विधानसभा 28 पर 2017 में कमल का फूल खिला था. भले ही बहुत कम अंतर से बीजेपी विधायक रितेश गुप्ता ने जीत हासिल कर सपा के विधायक हाजी यूसुफ अंसारी को हराया था. गांधी परिवार की प्रियंका गांधी की सुसराल मुरादाबाद की है. यूपी 2022 के विधानसभा चुनाव में अभी प्रत्याशियों की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन चर्चाओ में एक बार फिर शहर सीट पर सपा-भाजपा के बीच मुकाबला माना जा रहा है. हिन्दू वोटर में सैनी बिरादरी और मुस्लिम में अंसारी वोटर निर्णायक फैसला करते है.
मुरादाबाद जनपद में विधानसभा की 6 विधानसभा सीट है. शहर विधानसभा बीजेपी से 3 बार लगातार स्वर्गीय संदीप अग्रवाल विधायक रहे. इसके बाद 2002 में सपा से भी जीत हासिल की. 2012 में बसपा चुनाव लड़ा और हार गए. 2012 में कुल मतदाता 3,88,966 मतदाता थे. इसमें महिला वोटर 1,75,487 महिला मतदाता और 2,13,449 पुरुष मतदाता. 2012 में सपा विधायक बने हाजी यूसुफ अंसारी को कुल 88,341 वोट मिले थे. बीजेपी के विधायक रितेश गुप्ता को 68,103 वोट मिले थे. वो 20,238 वोट से चुनाव हार गए थे. 2017 में हार का बदला लेते हुए रितेश गुप्ता ने मौजूदा सपा विधायक यूसुफ अंसारी को हराकर एक बार फिर से शहर विधानसभा सीट पर कमल का फूल खिलाया था.
शहर विधानसभा पर क्या है वोट का समीकरण
मुरादाबाद शहर विधानसभा 28 में 55 प्रतिशत हिन्दू और 45 प्रतिशत मुस्लिम वोटर है. शहर विधानसभा के रामगंगा नदी से सटे क्षेत्रों को परिसीमन के समय देहात विधानसभा में शामिल किया गया था. जिसकी वजह से मुस्लिम वोटर की बहुत बड़ी संख्या देहात विधानसभा में चली गई. पहले शहर विधानसभा पर 52 प्रतिशत हिन्दू और 48 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हुआ करते थे. हिन्दू वोटर में सबसे ज्यादा लगभग 85 हजार सैनी जाती का वोट बैंक है. 45 हजार के करीब अनुसूचित जाति का वोट है. मुस्लिम वोटर में सबसे ज्यादा करीब 70 हजार अंसारी वोटर है. यह तीनों किसी भी पार्टी को जीत हासिल कराने में निर्णायक वोटर के रूप में दिखाई देते है.
बीजेपी विधायक के पिछले साढ़े 4 साल का कार्यकाल
लोगों का कहना है कि बीजेपी विधायक रितेश गुप्ता ने कोरोना काल में उनकी काफी मदद की. आज भी शहर के अलग-अलग हिस्सों में रितेश गुप्ता की कई गाड़ियां लोगों को 5 रुपये में भर पेट भोजन कराती हैं. कोरोना के समय सुबह शाम जिला अस्पताल पहुंचकर जिला अस्पताल में मरीज और उनके तीमारदारों को भोजन की भी व्यवस्था विधायक की तरफ से की गई थी.
मुरादाबाद शहर विधानसभा भले ही स्मार्ट सिटी में शामिल हो गया है, लेकिन धरातल पर स्मार्ट सिटी जैसा कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा. जिस तरफ नई आबादी बस रही है. उधर तो कुछ काम निगम या मुरादाबाद विकास प्रधिकरण की तरफ से किया जाता है. पुराना शहर आज जस के तस है. शहर में जाम की समस्या बहुत ज्यादा है. लोकोशेड पुल बनने से और डबल फाटक पुल बनने से कुछ राहत मिली है, लेकिन फव्वारे से लेकर हनुमान मूर्ति तक जगह-जगह अतिक्रमण और टूटी हुई सड़कों की वजह से बहुत जाम लगा रहता है.
जनपद में एक विश्वविद्यालय और मेडिकल कॉलेज और इंजीनियरिंग कॉलेज की मांग बहुत लंबे समय से चलती आ रही है. भले ही अभी कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री ने बिजनोर जनपद में मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास किया है. मुरादाबाद के लिए भी सरकारी विश्विद्यालय देने का वादा भी किया है. विधायक रितेश गुप्ता की तरफ से कई बार मुख्यमंत्री के सामने और विधानसभा में इस बात की मांग कर चुके है. शहर को जाम से निजात दिलाने के लिए दो पुल पर निर्माण कार्य चल रहा है. फव्वारे से लेकर मिगलानी सिनेमा तक का करीब 2 किलोमीटर लंबा पुल पिछली सपा सरकार से प्रस्तावित है जिस पर अभी तक कोई भी काम नही किया गया है.
शाहजहां के बेटे के नाम पर पड़ा था मुरादाबाद नाम
रामगंगा नदी के किनारे मुगल सम्राट शाहजहां के बेटे मुराद के नाम पर बसाया गया था. रामगंगा किनारे होने की वजह से इसके रेत ने पीतल हस्तशिल्प तोहफे में मिल गया. जिसकी वजह से आज पूरे विश्व से 8 हजार करोड़ की विदेश मुद्रा का कारोबार करता है. मुरादाबाद की एक बड़ी आबादी पीतल के कारोबार से जुड़ी हुई है. सांप्रदायिकता के हिसाब से मुरादाबाद अतिसंवेदनशील माना जाता है. 1980 में हुए दंगे में यहां लगभग 6 महीने तक कर्फ्यू लगाया गया था, लेकिन इसके बावजूद भी यहां हिन्दू-मुस्लिम गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल दिखाई देती है.
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