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जिनके लिए बने रैन बसेरे उन्हें इसकी खबर तक नहीं - मुरादाबाद में रैन बसेरे

यूपी के मुरादाबाद में ईटीवी भारत ने रैन बसेरों की हकीकत जानने की कोशिश की. इस दौरान एक परिवार फुटपाथ पर सोता मिला. जब उनसे कारण जाना गया तो रैन बसेरों की हकीकत सामने आई. पढ़िए ये रिपोर्ट...

फुटपाथ पर रह रहे प्रवासी.
फुटपाथ पर रह रहे प्रवासी.
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Published : Dec 31, 2020, 6:24 PM IST

मुरादाबाद: जनपद में सरकार द्वारा कड़ाके की ठंड में बेसहारा गरीबों को आश्रय देने के लिए रैन बसेरों की व्यवस्था की गई है. नगर पंचायत स्तर से नगर निगम स्तर तक शहरी गरीबों को शेल्टर होम उपलब्ध करवाने की योजना उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा लागू है, लेकिन इन योजनाओं का कितना असर है इसकी बानगी मुरादाबाद में देखने को मिली.

जानकारी देते संवाददाता.

ईटीवी भारत की टीम जब मुरादाबाद में रैन बसेरों की हकीकत जानने पहुंची तो वहां व्यवस्था तो सब चाक चौबंद मिली, लेकिन रैन बसेरा खाली मिला. टीम रेलवे स्टेशन के निकट 36 बेड वाले रैन बसेरे में भी गई, जो नगर निगम एक एनजीओ के माध्यम से संचालित करवाता है. यहां पर व्यवस्था तो चाक-चौबंद दिखाई दी, लेकिन यहां एक महिला के अलावा और कोई सोता नजर नहीं आया.

रेलवे स्टेशन के के पास फुथपाथ किनारे रह रहे गोरखपुर के रमेश से जब पूछा गया कि वह इतनी ठंड में यहां क्यों रह रहे हैं, रैन बसेरे में क्यों नहीं रहते. तब उन्होंने बताया कि यहां रैन बसेरा कहां है उन्हें पता ही नहीं है. वहीं दूसरे शख्स सनी से बात की गई तो उसने कहा कि कहीं-कहीं पर रैन बसेरों में पैसे मांगे जाते हैं, इसलिए वह रैन बसेरों में नहीं रह रहे हैं.

हर नगर निकाय में एक शेल्टर होम
आधिकारिक दावों की मानें तो मुरादाबाद जिले के हर शहरी क्षेत्र में कम से कम एक शेल्टर होम की व्यवस्था की गई है. मुरादाबाद नगर निगम द्वारा दो शेल्टर होम स्थाई रूप से, जबकि 8 अस्थाई रूप से स्थापित किए गए हैं. यहां पर ठहरने वाले लोगों की अनुमति संख्या तकरीबन 300 तक पहुंच जाती है. इसके अतिरिक्त शेल्टर होम्स में सरकार द्वारा वर्तमान समय में तमाम सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं, जो रोजमर्रा की जरुरतों के लिए पर्याप्त होती हैं. ईटीवी भारत ने शेल्टर होम्स की स्थिति को जानने का प्रयास किया. ईटीवी भारत के संवाददाता रेलवे स्टेशन के निकट 36 बेड वाले रैन बसेरे में गए, जो नगर निगम एक एनजीओ के माध्यम से संचालित करवाता है. यहां पर व्यवस्था तो चाक-चौबंद दिखाई दी, लेकिन यहां एक महिला के अलावा और कोई सोता नजर नहीं आया.

वहीं, लाइनपार स्थित रामलीला मैदान के पास बने 50 बेड के शेल्टर होम में भी साफ-सफाई और बुनियादी व्यवस्थाएं तो बेहतर नजर आईं, लेकिन कोई निराश्रित सोता या बैठा हुआ नजर नहीं आया.

क्या बोले अपर जिलाधिकारी
जब ईटीवी भारत ने शेल्टर होम्स के विषय में मुरादाबाद के अपर जिलाधिकारी लक्ष्मी शंकर सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि सभी नगर निकायों में शेल्टर होम्स की व्यवस्था सुनिश्चित कर दी गई है. हमारे शेल्टर होम्स तकरीबन 1 महीने से संचालित है. यहां पर सभी जरूरी सुविधाओं के साथ नि:शुल्क ठहरने की व्यवस्था है. उन्होंने कहा कि मुरादाबाद नगर निगम के द्वारा 10 शेल्टर होम संचालित किए जा रहे हैं. यहां पर कोई भी व्यक्ति जाकर रुक सकता है. नगर निगम द्वारा भी प्रयास किया जाता है कि लोग खुले आसमान के नीचे न सोएं. इसके लिए बाकायदा ड्राइव चलाई जाती है.

जिला प्रशासन कर रहा अलाव और कंबल की व्यवस्था
अपर जिलाधिकारी ने कहा कि सरकार द्वारा 25 लाख रुपए कंबल इत्यादि के वितरण की राशि आपदा प्रबंधन विभाग से उपलब्ध करवाई गई है. इसके जरिए जिला प्रशासन लगातार कंबल खरीद कर बंटवा रहा है. इसके अलावा तमाम चौक चौराहों पर अलाव जलाने की व्यवस्था भी है, जिससे आम जनमानस को सर्दी में किसी तरह की समस्या न हो.

बताते चलें कि शेल्टर होम्स की व्यवस्था पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर ठंड के मौसम में कोई निराश्रित व्यक्ति सड़क या अन्य जगहों पर खुले आसमान में सोता मिलता है तो अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

मुरादाबाद: जनपद में सरकार द्वारा कड़ाके की ठंड में बेसहारा गरीबों को आश्रय देने के लिए रैन बसेरों की व्यवस्था की गई है. नगर पंचायत स्तर से नगर निगम स्तर तक शहरी गरीबों को शेल्टर होम उपलब्ध करवाने की योजना उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा लागू है, लेकिन इन योजनाओं का कितना असर है इसकी बानगी मुरादाबाद में देखने को मिली.

जानकारी देते संवाददाता.

ईटीवी भारत की टीम जब मुरादाबाद में रैन बसेरों की हकीकत जानने पहुंची तो वहां व्यवस्था तो सब चाक चौबंद मिली, लेकिन रैन बसेरा खाली मिला. टीम रेलवे स्टेशन के निकट 36 बेड वाले रैन बसेरे में भी गई, जो नगर निगम एक एनजीओ के माध्यम से संचालित करवाता है. यहां पर व्यवस्था तो चाक-चौबंद दिखाई दी, लेकिन यहां एक महिला के अलावा और कोई सोता नजर नहीं आया.

रेलवे स्टेशन के के पास फुथपाथ किनारे रह रहे गोरखपुर के रमेश से जब पूछा गया कि वह इतनी ठंड में यहां क्यों रह रहे हैं, रैन बसेरे में क्यों नहीं रहते. तब उन्होंने बताया कि यहां रैन बसेरा कहां है उन्हें पता ही नहीं है. वहीं दूसरे शख्स सनी से बात की गई तो उसने कहा कि कहीं-कहीं पर रैन बसेरों में पैसे मांगे जाते हैं, इसलिए वह रैन बसेरों में नहीं रह रहे हैं.

हर नगर निकाय में एक शेल्टर होम
आधिकारिक दावों की मानें तो मुरादाबाद जिले के हर शहरी क्षेत्र में कम से कम एक शेल्टर होम की व्यवस्था की गई है. मुरादाबाद नगर निगम द्वारा दो शेल्टर होम स्थाई रूप से, जबकि 8 अस्थाई रूप से स्थापित किए गए हैं. यहां पर ठहरने वाले लोगों की अनुमति संख्या तकरीबन 300 तक पहुंच जाती है. इसके अतिरिक्त शेल्टर होम्स में सरकार द्वारा वर्तमान समय में तमाम सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं, जो रोजमर्रा की जरुरतों के लिए पर्याप्त होती हैं. ईटीवी भारत ने शेल्टर होम्स की स्थिति को जानने का प्रयास किया. ईटीवी भारत के संवाददाता रेलवे स्टेशन के निकट 36 बेड वाले रैन बसेरे में गए, जो नगर निगम एक एनजीओ के माध्यम से संचालित करवाता है. यहां पर व्यवस्था तो चाक-चौबंद दिखाई दी, लेकिन यहां एक महिला के अलावा और कोई सोता नजर नहीं आया.

वहीं, लाइनपार स्थित रामलीला मैदान के पास बने 50 बेड के शेल्टर होम में भी साफ-सफाई और बुनियादी व्यवस्थाएं तो बेहतर नजर आईं, लेकिन कोई निराश्रित सोता या बैठा हुआ नजर नहीं आया.

क्या बोले अपर जिलाधिकारी
जब ईटीवी भारत ने शेल्टर होम्स के विषय में मुरादाबाद के अपर जिलाधिकारी लक्ष्मी शंकर सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि सभी नगर निकायों में शेल्टर होम्स की व्यवस्था सुनिश्चित कर दी गई है. हमारे शेल्टर होम्स तकरीबन 1 महीने से संचालित है. यहां पर सभी जरूरी सुविधाओं के साथ नि:शुल्क ठहरने की व्यवस्था है. उन्होंने कहा कि मुरादाबाद नगर निगम के द्वारा 10 शेल्टर होम संचालित किए जा रहे हैं. यहां पर कोई भी व्यक्ति जाकर रुक सकता है. नगर निगम द्वारा भी प्रयास किया जाता है कि लोग खुले आसमान के नीचे न सोएं. इसके लिए बाकायदा ड्राइव चलाई जाती है.

जिला प्रशासन कर रहा अलाव और कंबल की व्यवस्था
अपर जिलाधिकारी ने कहा कि सरकार द्वारा 25 लाख रुपए कंबल इत्यादि के वितरण की राशि आपदा प्रबंधन विभाग से उपलब्ध करवाई गई है. इसके जरिए जिला प्रशासन लगातार कंबल खरीद कर बंटवा रहा है. इसके अलावा तमाम चौक चौराहों पर अलाव जलाने की व्यवस्था भी है, जिससे आम जनमानस को सर्दी में किसी तरह की समस्या न हो.

बताते चलें कि शेल्टर होम्स की व्यवस्था पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर ठंड के मौसम में कोई निराश्रित व्यक्ति सड़क या अन्य जगहों पर खुले आसमान में सोता मिलता है तो अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

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