मुरादाबाद: मुरादाबाद जनपद स्थित टीएमयू कोविड-19 अस्पताल एक बार फिर विवादों में है. बीजेपी के जिला मंत्री और नामित पार्षद राकेश खरे की 8 सितंबर को कोरोना से मौत हो गई थी. मौत से पांच घंटे पहले राकेश खरे ने अस्पताल की लापरवाही पर एक मेसेज लिखा था. मेसेज भेजने के पांच घंटे के अंदर ही उनकी मौत होने से अस्पताल पर सवाल उठ रहे हैं.
बीजेपी के जिला मंत्री और नामित पार्षद राकेश खरे की मौत के बाद परिजनों को जब उनका मोबाइल फोन मिला तो उसमें राकेश खरे ने मौत से कुछ घंटे पहले महानगर अध्यक्ष को संदेश भेजा था. इस संदेश में अस्पताल में इलाज न होने का आरोप लगाया था. राकेश ने अपने संदेश में बताया था कि यहां इलाज के बजाय डॉक्टर रिसर्च कर रहे हैं और आज की रात उनके लिए बहुत मुश्किल है. परिजन इस मैसेज के बाद अब अस्पताल पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
जनपद में प्रशासन द्वारा तीर्थांकर महावीर विश्वविद्यालय में संचालित मेडिकल कॉलेज को कोविड-19 अस्पताल बनाया है. यहां मंडल के गम्भीर कोरोना पीड़ित मरीजों का इलाज किया जा रहा है. अस्पताल में तीन कोरोना पीड़ित मरीज खिड़कियों से कूद कर जान दे चुके हैं, जबकि अब नया विवाद भाजपा नेता की मौत के बाद सामने आया है. दरअसल कोरोना पीड़ित बीजेपी जिला महामंत्री और नामित पार्षद बनाए गए राकेश खरे की कोरोना से इलाज के दौरान टीएमयू अस्पताल में ही मौत हुई थी. मौत के बाद परिजनों का आरोप है कि राकेश के मोबाइल में मौत से पहले भेजे गए संदेश सुरक्षित हैं. इसमें राकेश ने अस्पताल में इलाज न मिलने की बात कही है. भाजपा के महानगर अध्यक्ष को भेजे गए संदेश में राकेश खरे ने अपनी जान को खतरा बताते हुए बचाने की गुहार लगाई थी.
हैरानी की बात यह है कि संदेश भेजे जाने के कुछ घंटे बाद ही राकेश खरे की मौत हो गई और परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार भी कर दिया. मोबाइल मिलने के बाद परिजनों ने संदेश देखा तो उनके होश उड़ गए. परिजन अब मामले में कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. परिजन भाजपा महानगर अध्यक्ष द्वारा संदेश की जानकारी न देने से भी हैरान हैं. राकेश खरे की पत्नी और भाई के मुताबिक रात के दो बजे संदेश भेजे गए थे और सुबह राकेश खरे की मौत हो गई. वहीं महानगर अध्यक्ष के मुताबिक परिवार परेशान न हो इसलिए, उन्होंने संदेश की बात जाहिर नहीं की थी.