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छोटे मिलरों के साथ FCI पर भेदभाव का आरोप, उनके लाट किये जा रहे रिजक्ट

मिर्जापुर में धान कूटने वाले छोटे मिलर इस बार धान की कुटाई नहीं कर पायेंगे. वजह है कि छोटे राइस मिलर के सिक्योरिटी के रूप में जमा किया जाने वाला लाट भारतीय खाद निगम रिजेक्ट कर रहा है.

छोटे मिलरों के साथ FCI पर भेदभाव का आरोप
छोटे मिलरों के साथ FCI पर भेदभाव का आरोप
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Published : Dec 9, 2020, 10:43 AM IST

Updated : Dec 9, 2020, 11:23 AM IST

मिर्जापुरः धान की खरीद तेजी से की जा रही है. लेकिन धान कूटने वाले छोटे मिलर इस बार धान की कुटाई नहीं कर पाएंगे. इसकी वजह है छोटे राइस मिलर के सिक्योरिटी के रूप में जमा किया जाने वाला लाट भारतीय खाद निगम रिजेक्ट कर रहा है. छोटे मिलरों का आरोप है कि हमारी तरह-तरह की चेकिंग यहां पर की जाती है. जबकि बड़े मिलरों का कोई चेक नहीं करता है. इस साल हम धान की उठान नहीं कर पायेंगे. जिससे लाखों का हमारा नुकसान होगा. वहीं गोदाम मैनेजर डिपो का कहना है कि इनका लाट रिजेक्ट किया गया है. इसकी वजह लाट का डैमेज होना है. बड़े मिलर हो या छोटे मिलर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाता है.

छोटे मिलरों के लाट किये जा रहे रिजेक्ट
अग्रिम रूप में जमा की जाती है सिक्योरिटीधान की खरीद आधा से ज्यादा जिलों में हो चुकी है. धान को मिलरों से अग्रिम लाट जमा करा कर कुटाई करने के लिए दिया जाता है. मगर इस साल अग्रिम लाट छोटे मिलरों का भारतीय खाद्य निगम ब्रोकन और डैमेज बताकर रिजेक्ट कर रहा है. जिससे ये छोटे व्यापारी परेशान हैं. धान कुटाई के लिए 8 लाख रुपये या अग्रिम रूप में 29 टन चावल छोटे मिलर जमा करते हैं. एफसीआई अब इनके चावल को गोदाम में जमा नहीं कर रही है.छोटे मिलर ने लगाया गोदाम पर भेदभाव का आरोपछोटे मिलर शंभू प्रसाद के मुताबिक हम 8 लाख रुपए सरकार को नगद या अग्रिम रूप में 29 टन चावल जमा करते हैं. इस सिक्योरिटी को जमा करने के बाद हमें धान कूटने के लिए दिया जाता है. जिसमें 67 फीसदी रिकवरी देना होता है. मगर इस साल परेशानी बढ़ गई है. क्योंकि धान अधिक टेंपरेचर में पक जाने से ब्रोकन चावल में ज्यादा आ रहा है, जिससे डैमेज हो रहा है. चावल की सफाई, मजदूरी और डीजल लगाकर गोदाम तक लाए हैं. अब यहां के अधिकारी इसे रिजेक्ट कर रहे हैं. हम छोटे व्यापारियों की तरह-तरह की चेकिंग की जाती है. लेकिन बड़े मिलरो की कोई चेकिंग नहीं की जाती है. उनके अग्रिम लाट आसानी से जमा कर लिए जाते हैं. हमारा सरकार से निवेदन है कि छोटे मिलरों को खत्म कर दें या फिर इनके साथ भी भेदभाव न किया जाए. अब इस साल तो हम बिजनेस नहीं कर पाएंगे. क्योंकि हमारे लाट रिजेक्ट कर दिए गए हैं. हमारे पास आठ लाख रुपया नहीं है कि हम उसे जमा कर अपना धंधा कर सके.चेकिंग के बाद लिया जाता है चावल एफसीआई गोदाम अमरावती में जिले भर के मिलरों के कूटे गये धानों को जमा किया जाता है. यहां से फिर गरीबों तक अनाज सरकार के माध्यम से वितरण किया जाता है. एफसीआई डिपो मैनेजर चक्रपाणि सिद्धार्थ ने बताया कि भारत सरकार के मानक के अनुसार यहां पर काम किया जाता है. इनके लाट में ब्रोकन और डैमेज थे, इसलिए रिजेक्ट कर दिया गया है. क्योंकि यहां पर बाहर से और मिनिस्ट्री से लोग भी जांच करने आते हैं. एफएसएल लैब से भी गुणवत्ता की जांच की जाती है. fcci की लैब में भी जाता है. कई चेकिंग के चावल को लिया जाता है.डिपो मैनेजर की सफाईछोटे मिलर हों या बड़े मिलर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाता है. बड़े मिलर की भी शिकायत रहती है मगर वह आप तक नहीं पहुंच पाये होंगे. मगर इनकी जो शिकायत है वो गलत है.

मिर्जापुरः धान की खरीद तेजी से की जा रही है. लेकिन धान कूटने वाले छोटे मिलर इस बार धान की कुटाई नहीं कर पाएंगे. इसकी वजह है छोटे राइस मिलर के सिक्योरिटी के रूप में जमा किया जाने वाला लाट भारतीय खाद निगम रिजेक्ट कर रहा है. छोटे मिलरों का आरोप है कि हमारी तरह-तरह की चेकिंग यहां पर की जाती है. जबकि बड़े मिलरों का कोई चेक नहीं करता है. इस साल हम धान की उठान नहीं कर पायेंगे. जिससे लाखों का हमारा नुकसान होगा. वहीं गोदाम मैनेजर डिपो का कहना है कि इनका लाट रिजेक्ट किया गया है. इसकी वजह लाट का डैमेज होना है. बड़े मिलर हो या छोटे मिलर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाता है.

छोटे मिलरों के लाट किये जा रहे रिजेक्ट
अग्रिम रूप में जमा की जाती है सिक्योरिटीधान की खरीद आधा से ज्यादा जिलों में हो चुकी है. धान को मिलरों से अग्रिम लाट जमा करा कर कुटाई करने के लिए दिया जाता है. मगर इस साल अग्रिम लाट छोटे मिलरों का भारतीय खाद्य निगम ब्रोकन और डैमेज बताकर रिजेक्ट कर रहा है. जिससे ये छोटे व्यापारी परेशान हैं. धान कुटाई के लिए 8 लाख रुपये या अग्रिम रूप में 29 टन चावल छोटे मिलर जमा करते हैं. एफसीआई अब इनके चावल को गोदाम में जमा नहीं कर रही है.छोटे मिलर ने लगाया गोदाम पर भेदभाव का आरोपछोटे मिलर शंभू प्रसाद के मुताबिक हम 8 लाख रुपए सरकार को नगद या अग्रिम रूप में 29 टन चावल जमा करते हैं. इस सिक्योरिटी को जमा करने के बाद हमें धान कूटने के लिए दिया जाता है. जिसमें 67 फीसदी रिकवरी देना होता है. मगर इस साल परेशानी बढ़ गई है. क्योंकि धान अधिक टेंपरेचर में पक जाने से ब्रोकन चावल में ज्यादा आ रहा है, जिससे डैमेज हो रहा है. चावल की सफाई, मजदूरी और डीजल लगाकर गोदाम तक लाए हैं. अब यहां के अधिकारी इसे रिजेक्ट कर रहे हैं. हम छोटे व्यापारियों की तरह-तरह की चेकिंग की जाती है. लेकिन बड़े मिलरो की कोई चेकिंग नहीं की जाती है. उनके अग्रिम लाट आसानी से जमा कर लिए जाते हैं. हमारा सरकार से निवेदन है कि छोटे मिलरों को खत्म कर दें या फिर इनके साथ भी भेदभाव न किया जाए. अब इस साल तो हम बिजनेस नहीं कर पाएंगे. क्योंकि हमारे लाट रिजेक्ट कर दिए गए हैं. हमारे पास आठ लाख रुपया नहीं है कि हम उसे जमा कर अपना धंधा कर सके.चेकिंग के बाद लिया जाता है चावल एफसीआई गोदाम अमरावती में जिले भर के मिलरों के कूटे गये धानों को जमा किया जाता है. यहां से फिर गरीबों तक अनाज सरकार के माध्यम से वितरण किया जाता है. एफसीआई डिपो मैनेजर चक्रपाणि सिद्धार्थ ने बताया कि भारत सरकार के मानक के अनुसार यहां पर काम किया जाता है. इनके लाट में ब्रोकन और डैमेज थे, इसलिए रिजेक्ट कर दिया गया है. क्योंकि यहां पर बाहर से और मिनिस्ट्री से लोग भी जांच करने आते हैं. एफएसएल लैब से भी गुणवत्ता की जांच की जाती है. fcci की लैब में भी जाता है. कई चेकिंग के चावल को लिया जाता है.डिपो मैनेजर की सफाईछोटे मिलर हों या बड़े मिलर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाता है. बड़े मिलर की भी शिकायत रहती है मगर वह आप तक नहीं पहुंच पाये होंगे. मगर इनकी जो शिकायत है वो गलत है.
Last Updated : Dec 9, 2020, 11:23 AM IST
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