मिर्जापुर: पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में बिजली विभाग के कर्मचारियों ने गुरुवार को प्रदर्शन किया. कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के नेतृत्व में प्रदर्शन कर रहे बिजली विभाग के कर्मचारियों ने उत्तर प्रदेश सरकार के इस फैसले को वापस लेने की मांग की. आपको बता दें कि, बिजली विभाग के इंजीनियर्स, कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर्स और संविदाकर्मी निजीकरण के प्रस्ताव को निरस्त कराने को लेकर लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द अपना फैसला वापस नहीं लिया तो पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के सभी कर्मचारी और अधिकारी का कार्य बहिष्कार कर हड़ताल और जेल भरो आंदोलन शुरू करेंगे.
'निजीकरण का फैसला वापस ले सरकार'
मिर्जापुर शहर के फतहा स्थित मुख्य अभियंता कार्यालय परिसर के सामने विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के आह्वान पर बिजली विभाग के कर्मचारियों और संविदा कर्मियों ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के फैसले के विरोध में बैठक कर प्रदर्शन किया. इस मौके पर समित के पदाधिकारियों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की कि, सरकार जल्द अपना फैसला ले और निजीकरण के प्रस्ताव को निरस्त करे. जिससे सभी कर्मचारी और अधिकारी पूरे मन से विद्युत आपूर्ति बहाल करने और सुधारने के काम में जुट सकें. समिति के मुताबिक, सरकार ने 5 अप्रैल 2019 को कर्मचारियों को बगैर बताए यह फैसला ले लिया जो गलत है. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि, 1993 में ग्रेटर नोएडा और 2010 में आगरा शहर की बिजली व्यवस्था टोरेंट फ्रेंचाइजी को दी गई है यह दोनों कंपनी उपभोक्ताओं को बिजली देने में विफल हैं और निजीकरण करने से यहां पर सरकार को अरबों रुपए का नुकसान उठाना पड़ा.
'हजारों कर्मचारियों की नौकरी खतरे में'
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ के महासचिव प्रभात सिंह ने बताया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को तीन छोटे-छोटे निगम बनाए जाने को कहा जा रहा है, इसके बाद निजीकरण किया जाएगा. इसी के विरोध में 17 बैनर तले संघर्ष किया जा रहा है. 10 दिन विरोध प्रदर्शन कर सरकार को चेताया जाएगा. 10000 रेगुलर 15000 संविदाकर्मी की नौकरी जाने के खतरे को देखते हुए हम अपने कर्मचारियों अधिकारियों को लेकर कार्य बहिष्कार, हड़ताल और जेल भरो आंदोलन तक करने को तैयार हैं.