मिर्जापुर: टांडा बांध से शहर में पेयजल की आपूर्ति वर्षों से की जा रही है. बांध से पेयजल की आपूर्ति बिना मोटर के ही होती है. बांध से करीब 15 किलोमीटर तक पानी बिना मोटर की मदद से जाता है. इसके बाद पानी शहर के नगर पालिका टैंक में स्टोर होता है और वहां से पानी मोटर की मदद से शहर वासियों को सप्लाई किया जाता है.
नगर पालिका के अनुसार बांध ऊंचाई पर स्थित है और शहर नीचे है. इसी कारण बिना मोटर के पानी लंका पहाड़ी पर बने टैंक में पहुंच जाता है. बांध से पानी पाइप लाइन के जरिए लंका पहाड़ी पर बने विशाल वाटर टैंक में पहुंचता है. जहां पर फिटकरी और दवा डालकर पानी को फिल्टर किया जाता है और फिर जलकल विभाग की टंकी में पहुंचाया जाता है. इसके बाद पानी की आपूर्ति शहर वासियों को की जाती है.
30 नवंबर 1914 को हुआ था बांध का निर्माण
लालगंज थाना क्षेत्र में स्थित टांडा बांध का निर्माण वर्ष 30 नवंबर 1914 को तत्कालीन गवर्नर ऑफ द यूनाइटेड प्रोविंसेस के समय का हुआ है. पानी की खपत ज्यादा होने के चलते साल 1950 में इसकी ऊंचाई 3 फीट और बढ़ा दी गई. 7 दिसंबर 1950 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल एच. पी. मोदी ने इसका उद्घाटन किया था. वहीं लंका पहाड़ी पर बने जलकल विभाग की टंकी का भी मरम्मत अमृत जल योजना के तहत हाल ही में कराया गया है.
5 हजार घरों में होती है पेयजल की आपूर्ति
नगर पालिका के अनुसार रोजाना शहर के 5 हजार घरों में 5 हजार लीटर पानी आपूर्ति की जाती है. गर्मी के मौसम में बांध में पानी की कमी न हो इसके लिए बांध को बाणसागर नहर से भी जोड़ा गया है. वहीं शहर वासियों का कहना है कि जनसंख्या को देखते हुए अब बांध की क्षमता बढ़ाए जाने की आवश्यकता है.
नगर पालिका अध्यक्ष मनोज जायसवाल का कहना है कि काफी पुराना बांध है, जिसके माध्यम से शहर तक पानी पहुंचता है. पहले पानी बंधा से लंका पहाड़ी टैंक में पहुंचता है. वहां पर फिटकरी और दवा डालकर पानी को साफ किया जाता है. फिर लंका पहाड़ी से लाल डिग्गी जलकल टंकी में पानी पहुंचाया जाता है. यहां से मोटर द्वारा शहर में पेयजल की आपूर्ति की जाती है.