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मिर्जापुर: बजट बेशुमार फिर भी एजुकेशन 'धक्कामार'

उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर बेसिक शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए सरकार हर साल करोड़ों रुपये खर्च करती है. मगर सरकारी प्राइमरी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को इस मोटे बजट का कुछ भी फायदा नहीं है. यहां स्कूल में पढ़ाई तो बहुत दूर की बात है. सरकारी स्कूलों के पास पर्याप्त भवन नहीं है. कई विद्यालयों को एक साथ अटैच करके पढ़ाया जा रहा है.

सरकारी स्कूलों के पास पर्याप्त भवन नहीं है.
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Published : Aug 2, 2019, 1:40 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST

मिर्जापुर: शहर के बीचो बीच रतनगंज में जहां दो स्कूल चलते थे. आज उस कैंपस में 5 स्कूल चल रहे हैं. स्कूलों में बच्चों को बैठने के लिए जगह तक नहीं होती है. मजबूरी में एक कमरे में कक्षा 1 से 5 तक बच्चों को पढ़ाने के लिए अध्यापक मजबूर हैं.

सरकारी स्कूलों के पास पर्याप्त भवन नहीं है.

स्कूलों के पास पर्याप्त भवन नहीं -

  • रतनगंज में स्थित एक खंडहर चारदीवारी के बीच में 5 विद्यालयों में सैकड़ों बच्चों का भविष्य दांव पर है.
  • इस रतनगंज कैंपस में पहले एक जूनियर और बेसिक प्राइमरी स्कूल संचालित किया जाता था.
  • अब यहां पर 3 विद्यालयों को और एक साथ अटैच कर दिया गया है.
  • जिससे बच्चों को बैठने तक जगह नहीं है एक ही रूम में एक से पांच तक को बच्चों को एक साथ शिक्षा दी जा रही है.
  • बारिश होने पर कैंपस के चारों तरफ पानी लग जाता है.
  • इससे बच्चों को आने जाने परेशानी का सामना करना पड़ता है.
  • साथ ही रूम जो है वह भी टपकने लगते हैं.
  • पढ़ाई के समय तो बहुत परेशान होते हैं.

यहां के सैकड़ों गरीब बच्चे खंडहर में शिक्षा लेने को मजबूर हैं. यहां की शिक्षा की दीवारें इतने गहरे सुराख है. यहां से गरीबी गंदगी हो सरकारी निकम्मेपन को साफ-साफ देखा जा सकता है.यह हाल पूरे नगर पालिका क्षेत्र में बना हुआ है. लेकिन आज तक इसका समाधान नहीं निकल पाया है. इसी तरह बच्चे एक ही रूम में बैठकर शिक्षा लेने को मजबूर है. अब देखना होगा इन बच्चों का भविष्य बनता है या बिगड़ता है.

नगरपालिका क्षेत्र में इस प्रकार की समस्या है. क्योंकि ज्यादातर नगर पालिका में विद्यालय किराए पर हैं. भवन का अभाव है. जिसके चलते यह समस्या आ रही है. टीचरों की बात करें तो नगरपालिका में क्षेत्र में टीचरों की कमी है. जिलाधिकारी महोदय से बात की गई है ब्लॉकों से जो टीचर है. उनको यहां पर प्रक्रिया चल रही है. यहां पर उसको गिरा कर नीलामी करवा कर जल्द ही नए भवन का निर्माण कराया जाएगा निर्माण हो जाने से यह समस्या दूर हो जाएगी पर्याप्त हमारे पास जगह हो जाएगा बच्चों को बैठने के लिए.

-प्रवीण कुमार तिवारी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकार

मिर्जापुर: शहर के बीचो बीच रतनगंज में जहां दो स्कूल चलते थे. आज उस कैंपस में 5 स्कूल चल रहे हैं. स्कूलों में बच्चों को बैठने के लिए जगह तक नहीं होती है. मजबूरी में एक कमरे में कक्षा 1 से 5 तक बच्चों को पढ़ाने के लिए अध्यापक मजबूर हैं.

सरकारी स्कूलों के पास पर्याप्त भवन नहीं है.

स्कूलों के पास पर्याप्त भवन नहीं -

  • रतनगंज में स्थित एक खंडहर चारदीवारी के बीच में 5 विद्यालयों में सैकड़ों बच्चों का भविष्य दांव पर है.
  • इस रतनगंज कैंपस में पहले एक जूनियर और बेसिक प्राइमरी स्कूल संचालित किया जाता था.
  • अब यहां पर 3 विद्यालयों को और एक साथ अटैच कर दिया गया है.
  • जिससे बच्चों को बैठने तक जगह नहीं है एक ही रूम में एक से पांच तक को बच्चों को एक साथ शिक्षा दी जा रही है.
  • बारिश होने पर कैंपस के चारों तरफ पानी लग जाता है.
  • इससे बच्चों को आने जाने परेशानी का सामना करना पड़ता है.
  • साथ ही रूम जो है वह भी टपकने लगते हैं.
  • पढ़ाई के समय तो बहुत परेशान होते हैं.

यहां के सैकड़ों गरीब बच्चे खंडहर में शिक्षा लेने को मजबूर हैं. यहां की शिक्षा की दीवारें इतने गहरे सुराख है. यहां से गरीबी गंदगी हो सरकारी निकम्मेपन को साफ-साफ देखा जा सकता है.यह हाल पूरे नगर पालिका क्षेत्र में बना हुआ है. लेकिन आज तक इसका समाधान नहीं निकल पाया है. इसी तरह बच्चे एक ही रूम में बैठकर शिक्षा लेने को मजबूर है. अब देखना होगा इन बच्चों का भविष्य बनता है या बिगड़ता है.

नगरपालिका क्षेत्र में इस प्रकार की समस्या है. क्योंकि ज्यादातर नगर पालिका में विद्यालय किराए पर हैं. भवन का अभाव है. जिसके चलते यह समस्या आ रही है. टीचरों की बात करें तो नगरपालिका में क्षेत्र में टीचरों की कमी है. जिलाधिकारी महोदय से बात की गई है ब्लॉकों से जो टीचर है. उनको यहां पर प्रक्रिया चल रही है. यहां पर उसको गिरा कर नीलामी करवा कर जल्द ही नए भवन का निर्माण कराया जाएगा निर्माण हो जाने से यह समस्या दूर हो जाएगी पर्याप्त हमारे पास जगह हो जाएगा बच्चों को बैठने के लिए.

-प्रवीण कुमार तिवारी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकार

Intro:मिर्जापुर बेसिक शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए सरकार हर साल करोड़ों रुपए खर्च करती है मगर सरकारी प्राइमरी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को इस मोटे बजट का कुछ भी फायदा नहीं है यहां स्कूल में पढ़ाई तो बहुत दूर की बात है सरकारी स्कूलों के पास पर्याप्त भवन नहीं है कई विद्यालयों को एक साथ अटैच करके पढ़ाया जा रहा है हालात तो इतने बुरे हैं कि मिर्जापुर शहर के बीचोंबीच रतनगंज में जहां दो स्कूल चलते थे आज उस कैंपस में 5 स्कूल चल रहे हैं स्कूलों में बच्चों को बैठने के लिए जगह तक नहीं होती है मजबूरी में एक-एक कमरे में कक्षा 1 से 5 तक बच्चों को पढ़ाने के लिए अध्यापक मजबूर हैं।


Body:दरअसल यह मिर्जापुर के नगर पालिका के बीचो-बीच रतनगंज में स्थित एक खंडहर चारदीवारी के बीच में 5 विद्यालयों में सैकड़ों बच्चों का भविष्य दांव पर है इस रतनगंज कैंपस में पहले एक जूनियर और बेसिक प्राइमरी स्कूल संचालित किया जाता था अब यहां पर 3 विद्यालयों को और एक साथ अटैच कर दिया गया है जिससे बच्चों को बैठने तक जगह नहीं है एक ही रूम में एक से पांच तक को बच्चों को एक साथ शिक्षा दी जा रही है। बारिश होने पर कैंपस के चारों तरफ पानी लग जाता है इससे बच्चों को आने जाने परेशानी का सामना करना पड़ता है साथ ही रूम जो है वह भी टपकने लगते हैं पढ़ाई के समय तो बहुत परेशान होते हैं बच्चे। वही यहां पर पढ़ा रहे टीचरों का कहना है कि यहां पर जगह का भाव है टीचरों की भी कमी है रूम की कमी को जैसे बच्चों को एक ही रूम में बैठा कर पढ़ना पढ़ रहा है रसोईया सभी समान उसी में रखते हैं बाहर बरामदे में मिड डे मील का खाना बना लेते हैं लेकिन समान और बच्चों के एक साथ एक रूम में रखकर शिक्षा दी जाती है इससे परेशानी होती है पहले यहां पर दो विद्यालय चलते थे एक जूनियर बेसिक प्राइमरी लेकिन अब तीन और प्राइमरी विद्यालय को अटैच कर दिया गया है जगह की बहुत बड़ी किल्लत है।
वहीं इस मामले में जब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से बात की गई तो उनका कहना था कि नगरपालिका क्षेत्र में इस प्रकार की समस्या है क्योंकि ज्यादातर नगर पालिका में विद्यालय किराए पर हैं भवन का अभाव है जिसके चलते यह समस्या आ रही है टीचरों की बात करें तो नगरपालिका में क्षेत्र में टीचरों की कमी है जिलाधिकारी महोदय से बात की गई है ब्लॉकों से जो टीचर है उनको यहां पर प्रक्रिया चल रही है और इस रतनगंज स्कूल की बात करें तो या केंपस बहुत बड़ा है और जर्जर भवन है यहां पर उसको गिरा कर नीलामी करवा कर जल्द ही नए भवन का निर्माण कराया जाएगा निर्माण हो जाने से यह समस्या दूर हो जाएगी पर्याप्त हमारे पास जगह हो जाएगा बच्चों को बैठने के लिए।

Bite-आरफिया निसार- प्रधानाचार्य
Bite- अखिलेश- अध्यापक
Bite- प्रवीण कुमार तिवारी- जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी


Conclusion:खंडहर में यह शिक्षा देखकर आपको गुस्सा भी आया होगा और सिस्टम पर तरस भी यहां के सैकड़ों गरीब बच्चे खंडहर में शिक्षा लेने को मजबूर हैं यहां की शिक्षा की दीवारें इतने गहरे सुराख है यहां से गरीबी गंदगी हो सरकारी निकम्मेपन को साफ-साफ देखा जा सकता है। यह हाल पूरे नगर पालिका क्षेत्र में बना हुआ है लेकिन आज तक इसका समाधान नहीं निकल पाया है इसी तरह बच्चे एक ही रूम में बैठकर शिक्षा लेने को मजबूर है अब देखना होगा इन बच्चों का भविष्य बनता है या बिगड़ता है

जय प्रकाश सिंह
मिर्ज़ापुर
9453881630
Last Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST
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