मिर्जापुर: जिले में बुधवार को जंगल से भटककर एक भालू के गांव में पहुंचने से हड़कंप मच गया. भालू ने चार गांवों में सात लोगों पर हमला किया. ग्रामीणों ने भालू को एक घर में बंद कर दिया था. इसके बाद ग्रामीणों ने वन विभाग की टीम को सूचना दी. वन विभाग की टीम ने 22 घंटे बाद कड़ी मशक्कत से भालू को पकड़ कर जंगल में छोड़ दिया है.
जिगना थाना क्षेत्र के नेगुराबान सिंह गांव में बुधवार को भालू दिखने से ग्रामीणों में हड़कंप मच गया. ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग की टीम को दी. लोगों की भीड़ देखकर भालू अरहर के खेत में छिप गया. अरहर के खेत में छिपे भालू को वन विभाग की टीम ने पकड़ने का प्रयास किया तो खेत से निकलकर भालू यादवपुर गांव पहुंच गया. जहां पर भालू ने सियाराम, नकिता और तनिया पर हमला कर दिया. इसके बाद भालू बिहसड़ा मुराजपुर गांव पहुंच गया. यहां ग्रामीणों और वन विभाग की टीम ने भालू को पकड़ने की कोशिश की. यहां भी भालू ने पार्वती, विकास, सुरेश और विनय पर हमला बोल दिया. भालू के हमले से 7 लोग घायल हो गए. लेकिन भालू यहां भी नहीं पकड़ा जा सका. इसके बाद भालू बघेड़ा गांव निवासी उमाशंकर बिंद के कमरे में घुस गया. इसके बाद वन विभाग की टीम और ग्रामीणों ने कमरे का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया. जिससे भालू में कमरे के अंदर रखा टीवी और अन्य समान क्षतिग्रस्त कर दिया.
वन क्षेत्राधिकारी लालगंज केके सिंह ने भालू के पकड़ने के लिए पिजड़ा मंगवाया. वहीं काफी संख्या में वनकर्मी गांव में लगाए गए थे. गुरुवार की सुबह कानपुर चिड़ियाघर से आए डॉ. मुहम्मद नासीर, हेड कीपर विनोद कुमार व सहायक कीपर कमलेश कुमार सहित वन विभाग की टीम ने कमरे के बाहर पहले पटाखा छोड़ा. लेकिन पटाखे की आवाज सुनकर भालू कमरे से बाहर नहीं निकला, बल्कि कमरे के अंदर बने टांड पर चढ़ कर बैठ गया. 22 घंटे के काफी प्रयास करने के बाद भी जब भालू कमरे से बाहर नहीं निकला तो दीवार तोड़कर गन से बेहोश करने का इंजेक्शन लगाया. जिससे भालू बेहोश हो गया. इसके बाद वन विभाग की टीम ने बेहोश भालू को कब्जे में लेकर पिजड़े में बंद कर दिया. टीम भालू को लेकर हलिया जंगल मे छोड़ने के लिए चली गई.
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