मेरठः सपा सरकार में मंत्री रह चुके प्रभुदयाल वाल्मीकि ने 59 वर्ष की उम्र में कक्षा 12 में सफलता पाई है. प्रभुदयाल मेरठ जिले की हस्तिनापुर विधानसभा से 2002 में पहली बार विधायक बने थे, जबकि 2012 में दूसरी बार विधायक बने थे. सपा के वरिष्ठ नेताओं में शुमार प्रभुदयाल वाल्मीकि सपा सरकार में मंत्री भी रहे हैं. आखिर इस उम्र में बारहवीं करने की प्रेरणा उन्हें, कहां से मिली और अब क्या करना चाहते हैं.
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए पूर्व मंत्री प्रभुदयाल ने कहा कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का संदेश रहा है कि जितनी शिक्षा प्राप्त की जा सके उतनी कम है. बस इसी उद्देश्य के साथ उन्होंने परीक्षा दी और सफल हुए है. उन्होंने कहा कि कुछ समस्याएं थीं उनके सामने जिस वजह से वह अपनी पढाई तब नहीं कर पाए थे. उन्होंने कहा कि उन्हें जब भी समय मिलता है वह संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की किताबें पढ़ते हैं. साथ ही कुछ अन्य महापुरुषों की किताबें भी पढ़ा करते हैं. डॉक्टर बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की एक किताब में लिखा था कि शिक्षा ऐसा शेरनी का दूध है, जो इसे पीता है वो गुर्राता गरजता है.
पूर्व मंत्री ने कहा कि उनके भी मन में आया कि पढाई छोड़े हुए बहुत समय हो गया है, इसलिए क्यों न आगे बढ़कर पढाई की जाए. बस फिर बारहवीं की परीक्षा के लिए बागपत जिले से नांमाकन करा दिया था और अब परीक्षा परिणाम सामने है. पूर्व मंत्री ने कहा कि इससे पहले उन्होंने कक्षा दसवीं की परीक्षा 2021 में उत्तीर्ण की थी. पूर्व मंत्री प्रभुदयाल वाल्मीकि ने कहा कि उन्हें बड़ी शर्मिंदगी महसूस होती थी कि उनकी एक बहू पीएचडी जबकि दूसरी डॉक्टर. सभी परिवार पढ़ा लिखा है, लेकिन वह उस तरह से अपनी पढ़ाई नहीं कर पाए थे. वह कहते हैं कि दिन में कई घंटे पढ़ाई करने के बाद परीक्षा दी थी.
बारहवीं के बाद अब करनी है वकालत की पढ़ाईः पूर्व मंत्री का कहना है कि क्योंकि उन्होंने साइंस ली थी. ऐसे में उन्हें ज्यादा कठिनाई नहीं आई, क्योंकि एक तो उन्हें गुरुजनों का साथ मिल गया और दूसरा बच्चों के मुकाबले में उनकी सोचने समझने की क्षमता ज्यादा है. क्योंकि वह मंत्री भी रहे हैं और विधायक भी रहे हैं तो वह हर चीज को कैसे समझना है और कैसे क्या करना है वह भली-भांति जानते थे. प्रभु दयाल वाल्मीकि ने बताया कि आने वाले समय में वह और पढ़ाई करना चाहते हैं. भविष्य में एलएलबी करना चाहेंगे ,क्योंकि राजनीति करने के लिए कानून की जानकारी होना बेहद ही जरूरी है.
जानिए 59 की उम्र में बारहवीं पास करने वाले पूर्व मंत्री प्रभुदयाल को कहां से मिली प्रेरणा, कौन हैं गुरू?
समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री प्रभुदयाल वाल्मीकि 59 की उम्र में बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की है. अपनी परीक्षा और पढ़ाई को लेकर पूर्व मंत्री ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. आप भी जानिए इस उम्र में कैसे पढ़ाई की और सफलता पाई...
मेरठः सपा सरकार में मंत्री रह चुके प्रभुदयाल वाल्मीकि ने 59 वर्ष की उम्र में कक्षा 12 में सफलता पाई है. प्रभुदयाल मेरठ जिले की हस्तिनापुर विधानसभा से 2002 में पहली बार विधायक बने थे, जबकि 2012 में दूसरी बार विधायक बने थे. सपा के वरिष्ठ नेताओं में शुमार प्रभुदयाल वाल्मीकि सपा सरकार में मंत्री भी रहे हैं. आखिर इस उम्र में बारहवीं करने की प्रेरणा उन्हें, कहां से मिली और अब क्या करना चाहते हैं.
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए पूर्व मंत्री प्रभुदयाल ने कहा कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का संदेश रहा है कि जितनी शिक्षा प्राप्त की जा सके उतनी कम है. बस इसी उद्देश्य के साथ उन्होंने परीक्षा दी और सफल हुए है. उन्होंने कहा कि कुछ समस्याएं थीं उनके सामने जिस वजह से वह अपनी पढाई तब नहीं कर पाए थे. उन्होंने कहा कि उन्हें जब भी समय मिलता है वह संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की किताबें पढ़ते हैं. साथ ही कुछ अन्य महापुरुषों की किताबें भी पढ़ा करते हैं. डॉक्टर बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की एक किताब में लिखा था कि शिक्षा ऐसा शेरनी का दूध है, जो इसे पीता है वो गुर्राता गरजता है.
पूर्व मंत्री ने कहा कि उनके भी मन में आया कि पढाई छोड़े हुए बहुत समय हो गया है, इसलिए क्यों न आगे बढ़कर पढाई की जाए. बस फिर बारहवीं की परीक्षा के लिए बागपत जिले से नांमाकन करा दिया था और अब परीक्षा परिणाम सामने है. पूर्व मंत्री ने कहा कि इससे पहले उन्होंने कक्षा दसवीं की परीक्षा 2021 में उत्तीर्ण की थी. पूर्व मंत्री प्रभुदयाल वाल्मीकि ने कहा कि उन्हें बड़ी शर्मिंदगी महसूस होती थी कि उनकी एक बहू पीएचडी जबकि दूसरी डॉक्टर. सभी परिवार पढ़ा लिखा है, लेकिन वह उस तरह से अपनी पढ़ाई नहीं कर पाए थे. वह कहते हैं कि दिन में कई घंटे पढ़ाई करने के बाद परीक्षा दी थी.
बारहवीं के बाद अब करनी है वकालत की पढ़ाईः पूर्व मंत्री का कहना है कि क्योंकि उन्होंने साइंस ली थी. ऐसे में उन्हें ज्यादा कठिनाई नहीं आई, क्योंकि एक तो उन्हें गुरुजनों का साथ मिल गया और दूसरा बच्चों के मुकाबले में उनकी सोचने समझने की क्षमता ज्यादा है. क्योंकि वह मंत्री भी रहे हैं और विधायक भी रहे हैं तो वह हर चीज को कैसे समझना है और कैसे क्या करना है वह भली-भांति जानते थे. प्रभु दयाल वाल्मीकि ने बताया कि आने वाले समय में वह और पढ़ाई करना चाहते हैं. भविष्य में एलएलबी करना चाहेंगे ,क्योंकि राजनीति करने के लिए कानून की जानकारी होना बेहद ही जरूरी है.