मेरठ : उत्तर प्रदेश के मेरठ का क्रांति में महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है. मेरठ से देशभर में तैयार होकर तिरंगा जाता है. इस बार अभियान के चलते झंडे की जबरदस्त डिमांड है. क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम में सीमित झंडे ही तैयार हो पाए हैं. इस समय गांधी आश्रम के पास काफी ऑर्डर हैं. ऐसे में तिरंगों को बाहर से मंगाकर डिमांड पूरी की जा रही है.
बता दें कि मेरठ का क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम वो स्थान है जहां से 1947 से अनवरत तिरंगा कश्मीर से कन्याकुमारी तक तैयार होकर जाता था, लेकिन इस बार यहां के हालात बिल्कुल अलग हैं. यहां इस बार झंडों की बिक्री तो पहले से अधिक हुई, लेकिन गांधी आश्रम में तिरंगा तैयार करने के लिए जो आवश्यक सामग्री चाहिए उसका इंतजाम नहीं था. खादी के कपड़े की कमी से लेकर कारीगरों की कमी भी बड़ी वजह रही.
श्री गांधी आश्रम के मैनेजर संजीव कुमार सिंह की मानें तो इस बार पांच गुना अधिक ऑर्डर पूरे किए हैं. उन्होंने बताया कि बीते साल तो सिर्फ दो हजार तिरंगे झंडे यहां से तैयार कर अलग अलग स्थानों पर भेजे गए थे. इस बार केंद्र सरकार की तरफ से हर घर तिरंगा अभियान चलाया गया है. इस बार हर कोई अपने घर में तिरंगा लगाने को आतुर है. झंडे की खूब डिमांड है.
उन्होंने बताया कि अगर थोड़ा और पहले अभियान को लेकर निर्देश मिलते तो निश्चित ही हम व्यापक तैयारी कर लेते. गांधी आश्रम में मैनुअली झंडे तैयार होते हैं. जिसमें बहुत अधिक समय लगता है, वहीं दूसरी तरफ झंडे बनाने वाले कारीगरों की कमी है. उन्होंने बताया कि इस बार जितने आर्डर थे उतने झंडे नहीं बन पाये तो अन्य जिलों से तैयार झंडे मंगाने पड़े. उन्होंने कहा कि हर घर तिरंगा अभियान की वजह से लोगों को काम भी मिला है. लोग खुश हैं कि उनका धंधा चल निकला है.
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क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम में कार्यरत कर्मचारी बताते हैं कि जब कपड़ा ही नहीं है, कारीगर ही नहीं हैं तो झंडे कैसे तैयार हों. इस दौरान देखा गया कि लोग लगातार गांधी आश्रम में खादी से निर्मित झंडे खरीदने को लेकर खासी दिलचस्पी दिखा रहे हैं.
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