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Olympics में यूपी की बेटी: प्रियंका गोस्वामी की जीत के लिए शुरु हुआ हस्ताक्षर अभियान - race walking in tokyo olympics

मेरठ की रेस वॉकर प्रियंका गोस्वामी (Priyanka Goswami) टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में पदक जीतने को बेताब हैं. प्रियंका ने अपने पिता से वादा किया है कि वह ओलंपिक में पदक जीतकर लौटेंगी. प्रियंका गोस्वामी को हर ओर से शुभकामना संदेश दिए जा रहे हैं. वहीं बीके माहेश्वरी स्कूल ने मंगलकामनाओं के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया है.

प्रियंका गोस्वामी
प्रियंका गोस्वामी
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Published : Jul 28, 2021, 4:20 PM IST

मेरठ :बीस किलोमीटर पैदल चाल में टोक्यो ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने वाली प्रियंका गोस्वामी ने अपने पिता से वादा किया है कि वह ओलंपिक में पदक जीतकर लौटेंगी. उनके पिता पिछले दस साल से बेरोजगारी से जंग लड़ रहे हैं. टोक्यो में भारत का तिरंगा शान से लहराने को बेताब मेरठ की रेस वॉकर प्रियंका गोस्वामी को हर ओर से शुभकामना संदेश दिए जा रहे हैं. इसी कड़ी में बीके माहेश्वरी स्कूल ने भी मंगलकामनाओं के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया है. इस हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत बीते दिनों मेरठ आए उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने की थी.

सभी को उम्मीद है कि प्रियंका ओलम्पिक में इतिहास रचेंगी.

बीके माहेश्वरी स्कूल की टीचर्स और छात्राओं की खुशी का ठिकाना नहीं है. उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा कि उनके यहां की स्टूडेंट ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही है. अगस्त के पहले हफ्ते में रेस वॉकर प्रियंका गोस्वामी का इवेंट होगा. हर व्यक्ति उन्हें ऑल द बेस्ट कहता हुआ नजर आ रहा है.


एथलीट प्रियंका के घर पर पदकों का जखीरा है. प्रियंका ने सबसे पहले वर्ष 2015 में रेस वॉकिंग की दुनिया मे तिरुअनंतपुरुम में आयोजित हुई राष्ट्रीय चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता. इसके बाद इसी साल मैंगलोर में फेडरेशन कप में भी तीसरे स्थान पर रहते हुए कांस्य पर कब्जा जमाया. वर्ष 2017 में दिल्ली में हुई नेशनल रेस वॉकिंग चैंपियनशिप में प्रियंका ने अपने वर्ग में शीर्ष स्थान हासिल करते हुए गोल्ड मेडल जीता.

2018 में खेल कोटे से रेलवे में प्रियंका को क्लर्क की नौकरी मिल गई. परिवार की आर्थिक हालत सुधरी तो बिटिया का उत्साह और बढ़ गया और फरवरी में अंतरराष्ट्रीय एथलीट प्रियंका गोस्वामी ने रांची में चल रहे राष्ट्रीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप में ओलंपिक के लिए क्वॉलीफाई कर लिया. यहां अंतरराष्ट्रीय रेस वॉकर प्रियंका गोस्वामी ने नए रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता. अब सभी को उम्मीद है कि प्रियंका ओलम्पिक में इतिहास रचेंगी.

प्रियंका गोस्वामी
प्रियंका गोस्वामी

इसे भी पढ़ें- मेरठ की प्रियंका को मिला ओलंपिक का टिकट, पिता रोडवेज में थे कंडक्टर

मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना क्षेत्र में जन्मी प्रियंका गोस्वामी का सफर काफी जोखिम भरा रहा है. प्रियंका के पिता रोडवेज में एक बस कंडक्टर थे, लेकिन किसी कारण उनकी नौकरी चली गई थी. आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर भी प्रियंका ने हार नहीं मानी और अपने मेहनत के दम पर टोक्यो ओलंपिक का टिकट हासिल कर लिया. टोक्यो रवाना होने से पहले खिलाड़ियों का हौसला अफजाई के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में खिलाड़ियों और उनके परिजनों से बात की थी, जिसके बाद खिलाड़ियों के परिजनों की खुशी दो गुनी हो गई.

मेरठ :बीस किलोमीटर पैदल चाल में टोक्यो ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने वाली प्रियंका गोस्वामी ने अपने पिता से वादा किया है कि वह ओलंपिक में पदक जीतकर लौटेंगी. उनके पिता पिछले दस साल से बेरोजगारी से जंग लड़ रहे हैं. टोक्यो में भारत का तिरंगा शान से लहराने को बेताब मेरठ की रेस वॉकर प्रियंका गोस्वामी को हर ओर से शुभकामना संदेश दिए जा रहे हैं. इसी कड़ी में बीके माहेश्वरी स्कूल ने भी मंगलकामनाओं के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया है. इस हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत बीते दिनों मेरठ आए उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने की थी.

सभी को उम्मीद है कि प्रियंका ओलम्पिक में इतिहास रचेंगी.

बीके माहेश्वरी स्कूल की टीचर्स और छात्राओं की खुशी का ठिकाना नहीं है. उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा कि उनके यहां की स्टूडेंट ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही है. अगस्त के पहले हफ्ते में रेस वॉकर प्रियंका गोस्वामी का इवेंट होगा. हर व्यक्ति उन्हें ऑल द बेस्ट कहता हुआ नजर आ रहा है.


एथलीट प्रियंका के घर पर पदकों का जखीरा है. प्रियंका ने सबसे पहले वर्ष 2015 में रेस वॉकिंग की दुनिया मे तिरुअनंतपुरुम में आयोजित हुई राष्ट्रीय चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता. इसके बाद इसी साल मैंगलोर में फेडरेशन कप में भी तीसरे स्थान पर रहते हुए कांस्य पर कब्जा जमाया. वर्ष 2017 में दिल्ली में हुई नेशनल रेस वॉकिंग चैंपियनशिप में प्रियंका ने अपने वर्ग में शीर्ष स्थान हासिल करते हुए गोल्ड मेडल जीता.

2018 में खेल कोटे से रेलवे में प्रियंका को क्लर्क की नौकरी मिल गई. परिवार की आर्थिक हालत सुधरी तो बिटिया का उत्साह और बढ़ गया और फरवरी में अंतरराष्ट्रीय एथलीट प्रियंका गोस्वामी ने रांची में चल रहे राष्ट्रीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप में ओलंपिक के लिए क्वॉलीफाई कर लिया. यहां अंतरराष्ट्रीय रेस वॉकर प्रियंका गोस्वामी ने नए रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता. अब सभी को उम्मीद है कि प्रियंका ओलम्पिक में इतिहास रचेंगी.

प्रियंका गोस्वामी
प्रियंका गोस्वामी

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मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना क्षेत्र में जन्मी प्रियंका गोस्वामी का सफर काफी जोखिम भरा रहा है. प्रियंका के पिता रोडवेज में एक बस कंडक्टर थे, लेकिन किसी कारण उनकी नौकरी चली गई थी. आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर भी प्रियंका ने हार नहीं मानी और अपने मेहनत के दम पर टोक्यो ओलंपिक का टिकट हासिल कर लिया. टोक्यो रवाना होने से पहले खिलाड़ियों का हौसला अफजाई के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में खिलाड़ियों और उनके परिजनों से बात की थी, जिसके बाद खिलाड़ियों के परिजनों की खुशी दो गुनी हो गई.

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