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क्या आप जो दालचीनी खाते हैं वह चीन से आती है? हो जाएं सतर्क! और ऐसे लगाएं पता - BEST CINNAMON IN THE WORLD

सेहत के लिए सही नहीं है चीनी दालचीनी, विशेषज्ञों के मुताबिक श्रीलंका की दालचीनी स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है. दोनों की पहचान कैसे करें....

Does the cinnamon you eat come from China? Be careful! And find out this way
क्या आप जो दालचीनी खाते हैं वह चीन से आती है? हो जाएं सतर्क! और ऐसे लगाएं पता (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Lifestyle Team

Published : Jan 21, 2025, 1:05 PM IST

सभी मसालों में दालचीनी का खास स्थान है. बिरयानी के साथ-साथ नॉनवेज व्यंजनों के लिए इसका उपयोग अनिवार्य है. बता दें, दालचीनी न केवल स्वाद और सुगंध के लिहाज बढ़िया है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद है. दालचीनी के दो मुख्य प्रकार होते हैं- कैसिया दालचीनी, सीलोन दालचीनी. दोनों में से कैसिया दालचीनी को सबसे खास और फायदेमंद माना जाता है. इसकी कीमत भी अधिक होती है. सीलोन दालचीनी को असली दालचीनी भी कहा जाता है. यह श्रीलंका और भारत के दक्षिणी भागों में पाया जाता है. वहीं, कैसिया दालचीनी को चीनी दालचीनी भी कहा जाता है.

दालचीनी कैसे उगती है?
दालचीनी के पेड़ को सिनामोमम वेरम (Cinnamomum verum) नाम से जाना जाता है. इस पेड़ की छाल को हम दालचीनी के नाम से जानते है. यह श्रीलंका में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है. हमारे देश में कैसिया दालचीनी का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है. यह ज्यादातर चीन में उगाया जाता है. यह दालचीनी की सबसे आम किस्म है. इसका स्वाद तीखा होता है. यह गहरे रंग की होती है. इसका इस्तेमाल बेक्ड प्रोडक्स में किया जाता है. इसमें कूमारिन का हाई लेवल में होता है.

दालचीनी के कुछ और प्रकार जैसे कि वियतनामी दालचीनी या साइगॉन दालचीनी, इंडोनेशियाई दालचीनी, मालाबार दालचीनी. श्रीलंकाई किस्म की दालचीनी केरल में उगाई जाती है. इसे मालाबार दालचीनी भी कहा जाता है. हालांकि, यहां इसे कम मात्रा में उगाया जाता है. हाल ही में, कुछ दक्षिणी राज्यों ने श्रीलंकाई दालचीनी उगाना शुरू कर दिया है.

श्रीलंकाई दालचीनी क्यों अच्छी है?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों और कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि श्रीलंकाई दालचीनी स्वाद और गुणवत्ता में श्रेष्ठ है. दालचीनी में एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में होते हैं. इससे प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद मिलती है. कई अध्ययनों से पता चला है कि दालचीनी हार्ट डिजीज की रोकथाम के लिए बहुत फायदेमंद होता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, एक व्यक्ति प्रतिदिन 120 मिलीग्राम दालचीनी ले सकता है. डायबिटीज मरीजों के लिए भी दालचीनी बेहद फायदेमंद होता है. कई शोध में इस बात का खुलासा हो चुका है कि यदि दालचीनी पाउडर को गर्म पानी में मिलाकर पीने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है.

श्रीलंकाई दालचीनी किस्म की पहचान कैसे करें?

  • रोल में लपेटा हुआ रहता है
  • यह ज्यादा कठोर नहीं होता है.
  • यह इतना सॉफ्ट होता है कि आसानी से टूट जाता है.
  • इसका रंग हल्का केसरिया है.

चीनी दालचीनी की पहचान कैसे करें?

  • चीनी दालचीनी कठोर होती है.
  • दालचीनी आसानी से नहीं टूटती.
  • कीमत भी कम होगी.
  • इस पर अंग्रेजी में कैसिया लिखा हुआ होता है.
  • यह गहरे भूरे रंग का होता है.

Coumarin दालचीनी ज्यादातर चीन में उगाई जाती है. इसके सेवन से कुछ बीमारियां होने की संभावना रहती है.

(डिस्क्लेमर: इस रिपोर्ट में आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी सामान्य जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान करते हैं. आपको इसके बारे में विस्तार से जानना चाहिए और इस विधि या प्रक्रिया को अपनाने से पहले अपने निजी चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए.)

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सभी मसालों में दालचीनी का खास स्थान है. बिरयानी के साथ-साथ नॉनवेज व्यंजनों के लिए इसका उपयोग अनिवार्य है. बता दें, दालचीनी न केवल स्वाद और सुगंध के लिहाज बढ़िया है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद है. दालचीनी के दो मुख्य प्रकार होते हैं- कैसिया दालचीनी, सीलोन दालचीनी. दोनों में से कैसिया दालचीनी को सबसे खास और फायदेमंद माना जाता है. इसकी कीमत भी अधिक होती है. सीलोन दालचीनी को असली दालचीनी भी कहा जाता है. यह श्रीलंका और भारत के दक्षिणी भागों में पाया जाता है. वहीं, कैसिया दालचीनी को चीनी दालचीनी भी कहा जाता है.

दालचीनी कैसे उगती है?
दालचीनी के पेड़ को सिनामोमम वेरम (Cinnamomum verum) नाम से जाना जाता है. इस पेड़ की छाल को हम दालचीनी के नाम से जानते है. यह श्रीलंका में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है. हमारे देश में कैसिया दालचीनी का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है. यह ज्यादातर चीन में उगाया जाता है. यह दालचीनी की सबसे आम किस्म है. इसका स्वाद तीखा होता है. यह गहरे रंग की होती है. इसका इस्तेमाल बेक्ड प्रोडक्स में किया जाता है. इसमें कूमारिन का हाई लेवल में होता है.

दालचीनी के कुछ और प्रकार जैसे कि वियतनामी दालचीनी या साइगॉन दालचीनी, इंडोनेशियाई दालचीनी, मालाबार दालचीनी. श्रीलंकाई किस्म की दालचीनी केरल में उगाई जाती है. इसे मालाबार दालचीनी भी कहा जाता है. हालांकि, यहां इसे कम मात्रा में उगाया जाता है. हाल ही में, कुछ दक्षिणी राज्यों ने श्रीलंकाई दालचीनी उगाना शुरू कर दिया है.

श्रीलंकाई दालचीनी क्यों अच्छी है?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों और कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि श्रीलंकाई दालचीनी स्वाद और गुणवत्ता में श्रेष्ठ है. दालचीनी में एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में होते हैं. इससे प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद मिलती है. कई अध्ययनों से पता चला है कि दालचीनी हार्ट डिजीज की रोकथाम के लिए बहुत फायदेमंद होता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, एक व्यक्ति प्रतिदिन 120 मिलीग्राम दालचीनी ले सकता है. डायबिटीज मरीजों के लिए भी दालचीनी बेहद फायदेमंद होता है. कई शोध में इस बात का खुलासा हो चुका है कि यदि दालचीनी पाउडर को गर्म पानी में मिलाकर पीने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है.

श्रीलंकाई दालचीनी किस्म की पहचान कैसे करें?

  • रोल में लपेटा हुआ रहता है
  • यह ज्यादा कठोर नहीं होता है.
  • यह इतना सॉफ्ट होता है कि आसानी से टूट जाता है.
  • इसका रंग हल्का केसरिया है.

चीनी दालचीनी की पहचान कैसे करें?

  • चीनी दालचीनी कठोर होती है.
  • दालचीनी आसानी से नहीं टूटती.
  • कीमत भी कम होगी.
  • इस पर अंग्रेजी में कैसिया लिखा हुआ होता है.
  • यह गहरे भूरे रंग का होता है.

Coumarin दालचीनी ज्यादातर चीन में उगाई जाती है. इसके सेवन से कुछ बीमारियां होने की संभावना रहती है.

(डिस्क्लेमर: इस रिपोर्ट में आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी सामान्य जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान करते हैं. आपको इसके बारे में विस्तार से जानना चाहिए और इस विधि या प्रक्रिया को अपनाने से पहले अपने निजी चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए.)

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