मेरठः जिस्मफरोशी के दलदल में फंसी महिलाओं के लिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला वरदान बनकर आया है. अब इन्हें भी हक से जीवन-यापन करने की आजादी होगी. कोर्ट ने इस धंधे में फंसी महिलाओं के लिए राशन कार्ड बनाने के आदेश दिए हैं. अगर बात मेरठ की करें तो यहां अवैध रूप से चल रहे कोठों को बंद कर धंधे पर रोक लगा दी गई है. कोर्ट के आदेश पर दलदल में फंसी महिलाओं को राशनकार्ड बनाकर सरकारी योजनाओं का लाभ देने पर जोर दिया जा रहा है.
आईडी प्रूफ बिना राशनकार्ड बनाना विभाग के लिए चुनौती
कोर्ट का आदेश है कि इस दलदल में फंसी महिलाओं के राशनकार्ड बनाने के लिए किसी भी तरह का आईडी प्रूफ नहीं लिया जाएगा. बिना आधार और वोटर कार्ड के ही राशनकार्ड बनाए जाएंगे, जिससे बिना आईडी प्रूफ के राशनकार्ड बनाने में जिलापूर्ति विभाग को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है.
जिलापूर्ति विभाग का दावा
मेरठ जिला पूर्ति विभाग प्राइवेट संस्था के माध्यम से इनकी पहचान के लिए सर्वे करा रही है, जिससे सामने आईं महिलाओं की पहचान जाहिर न करते हुए राशनकार्ड बनाए जा रहे हैं. जिले में 3 सौ से ज्यादा राशनकार्ड बनाने के विभाग दावे कर रहा है.
विभाग के दावे पर उठ रहे सवाल
एक ओर जिला पूर्ति विभाग 3 सौ से ज्यादा राशनकार्ड बनाने का दावा कर रहा है, तो दूसरी ओर समाज सेविका अतुल शर्मा उनके दावे पर ही सवाल खड़े कर रही हैं. उनका कहना है कि विभाग और संस्था चयन की गई किसी भी सेक्स वर्कर को सामने लाकर दिखाए, तो मान जाएंगे कि सभी 3 सौ महिलाएं सेक्स वर्कर ही हैं. विभाग के दिए गए आंकड़े पूरी तरीके से फर्जी हैं.