मेरठ: रामचरितमानस को लेकर जहां एक तरफ यूपी के सियासी गलियारों में इन दिनों खूब राजनीति हो रही है. वहीं मेरठ में इस धर्म ग्रन्थ की चौपाई मरीजों में नवऊर्जा का संचार कर रही हैं और वरदान साबित हो रही है. जिला अस्पताल में तैनात मनोचिकित्सक डॉ. विभा नागर और करीब 20 परामर्शदाताओं की टीम रामचरितमानस की चौपाइयों से मानसिक रोगियों का इलाज कर रही हैं.
हर जिले में बनाए गए हैं मन कक्षः डॉ. विभा नगर ईटीवी भारत को बताती हैं कि प्रदेश भर में हर जिले में मानसिक समस्याओं से ग्रसित लोगों की समस्याओं का निदान हो और उनकी मनोदशा ठीक रहे, इसी उद्देश्य को लेकर 2018 में हर जिला अस्पताल में डिस्ट्रिक्ट काउंसलिंग सेंटर में मन कक्ष की स्थापना की गई थी. जिले भर के चिकित्सा से जुड़े जितने भी विभाग हैं, उनके पास अगर कोई भी ऐसे मरीज पहुंचते हैं, जिनको काउंसिलिंग की जरूरत होती है तो उन्हें जिला अस्पताल के मन कक्ष भेजा जाता है. मन कक्ष बनाने का मूल उद्देश्य यही है कि सभी मरीजों को सुविधाएं मिल जाएं. डॉ. विभा का कहना है कि 'सरकार का जो ये प्रोग्राम है, वह रामचरितमानस की चौपाई पर ही आधारित है.'
परामर्श केंद्र पर भी वर्णित हैं रामचरित मानस की चौपाईः डॉ. विभा बताती हैं कि जिला अस्पताल में स्थापित मन कक्ष के प्रवेश द्वार पर भी रामचरितमानस की चौपाई "कहेहू तें कछु दुख घटि होई। काहि कहौं यह जान न को।। तत्व प्रेम कर मम अरु तोरा। जानत प्रिया एकु मनु मोरा॥" लिखा गया है. इसका अर्थ है, 'कहने से दुख कम हो जाता है कुछ घट जाता है. लेकिन किससे कहा जाए यह समझ में नहीं आता.' डॉ. विभा का कहना है कि 'उनकी तो काउंसिलिंग का आधार ही शेयरिंग होता है. हम सभी जानते हैं कि मन की बात अगर कह दी जाए तो बहुत सारी ऐसी समस्याएं हैं, जिनका समाधान हो सकता है.'
क्यों दिया गया नाम मनः डॉ. विभा नागर का कहना है कि 'मरीजों के लिए यह चौपाइयां बेहद ही कारगर साबित होती हैं. क्योंकि जब कोई मानसिक पीड़ा से जूझ रहा होता है तो उसे यह भी रहता है कि वह अपनी समस्या जिसके सामने रखे वह भी सुपात्र हो. क्योंकि काफी चीजें बेहद ही निजी होती हैं. उन्होंने बताया कि मानसिक समस्याओं से जूझ रहे लोग आने वाले समय में अपनी समस्याओं का खुद समाधान कर पाएं, इस तरह की क्वालिटी होनी चाहिए. इसीलिए कक्ष का नाम 'मन' दिया गया है.
धर्मग्रन्थों की मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने में अहम भूमिका: डॉ. विभा का कहना है कि इन दिनों रामचरितमानस को लेकर हलचल मची हुई तो उनसे भी लोग पूछते हैं. ये बिल्कुल सही है कि जब कोई भी व्यक्ति परेशानी में होता है तो उसमें आस्था अहम रोल अदा करती है, चाहे फिर वह किसी भी धर्म का क्यों न हो? ग्रन्थों को पढ़ने से आत्मशांति मिलती है. विभा कहती हैं कि आदिकाल से ही जितने भी धर्मग्रन्थ हैं, मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने में अहम भूमिका निभाते हैं. चौपाइयां मानसिक सवास्थ्य के लिए अपने आप में एक बेहतर टूल हैं. चौपाई काउंसिलिंग के लिए एक बहुत बड़ा शस्त्र है.
लोगों को हो रहा फायदाः मेरठ जिला अस्पताल में बने मन कक्ष के बारे में डॉ. विभा बताती हैं कि अगर और भी किसी धर्म के मरीज आते हैं तो उनसे उसी धर्म से जुड़े ग्रन्थों समेत उनके धर्म को लेकर भी बात करते हैं और उनकी समस्याओं का निराकरण करने का प्रयास किया जाता है. मानसिक समस्याओं से जूझ रहे कई लोगों से ईटीवी भारत ने बातचीत की तो उन्होंने कहा कि यहां आकर उनकी समस्याओं का निराकरण हो रहा है और उनकी जो समस्याएं होती हैं, रामचरितमानस की चौपाइयों को कहने और सुनने से मानसिक तौर पर उनका हल मिल जाता है.