मेरठः पश्चिमी यूपी में फूलों की खेती कर किसान अपनी आमदनी में इजाफा कर रहे हैं. यहां पैदा हो रहे फूल न केवल राजधानी दिल्ली की मंडी में जा रहे हैं, बल्कि स्थानीय स्तर पर भी बड़े पैमाने पर यहां के फूलों की मांग बनी हुई है.
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय में किसानों को फूलों की खेती के बारे में विस्तार से जानकारी दी जा रही है. साथ ही किसानों को समय-समय पर फूलों की खेती के बारे में प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. इस बार विंटर रेन अधिक होने से फूलों की खेती के लिए अनुकूल नमी बनी हुई है. सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय किसानों को रजनीगंधा की खेती के लिए अपनी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए.
डॉ. सुनील मलिक का कहना है कि फरवरी का महीना रजनीगंधा की खेती के लिए उपयुक्त है. किसानों को वैज्ञानिक सलाह के साथ रजनीगंधा की खेती करनी चाहिए ताकि वह अपनी फसल का अधिक से अधिक मूल्य प्राप्त कर सकें. रजनीगंधा की बाजार में डिमांड अधिक है. उन्होंने बताया कि रजनीगंधा की तीन प्रजातियों की डिमांड सबसे अधिक है.
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इनमें मैक्सीकन सिंगल प्रजाति के फूल सफेद रंग के होते हैं. मैक्सिकन डबल प्रजाति के फूलों पर दोहरी पंखुड़ी होती हैं और यह हल्का गुलाबी रंग का होता है. तीसरी प्रजाति स्वर्णलता है. इस प्रजाति में हल्की गुलाबी रंग की पंखुड़ियां होती हैं.