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शादी पर लगा 'कोरोना ग्रहण', भुखमरी की कगार पर प्रिंटिंग कारोबारी

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Published : May 26, 2021, 8:42 AM IST

मेरठ जिले में कोरोना की दूसरी लहर के प्रकोप से बचने के लिए लगाए गए लॉकडाउन से प्रिंटिंग कारोबारी भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं. पिछले एक महीने से प्रिंटिंग कारोबार पूरी तरह बंद पड़ा हुआ है. देखिए ये रिपोर्ट...

lockdown effect on marriage in meerut
शादी पर लगा कोरोना ग्रहण.

मेरठ: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का प्रकोप लगातार जारी है. आए दिन बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए सरकार ने लॉकडाउन लगाया हुआ है. जहां अनावश्यक आवागमन पर पूरी तरह से प्रतिबंध है तो वहीं शादियों के बड़े आयोजन पर भी रोक लगा दी गई है. कोविड गाइडलाइन के चलते सरकार ने शादी समारोह में परिजनों समेत 25 लोगों के शामिल होने की छूट दी है. शादियों में नाममात्र के ही मेहमान बुलाए जा रहे हैं. यही वजह है कि शादी वाले परिवार कार्ड छपवाने से गुरेज कर रहे हैं, जिससे प्रिंटिंग कारोबार से जुड़े लाखों लोगों के सामने आर्थिक संकट मंडराने लगा है.

वीडियो रिपोर्ट...

लॉकडाउन में इस बार शादी के सीजन में कार्ड छापने वालों के परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं. बाजारों में सन्नाटा पसरा हुआ है. दुकानदारों का कहना है कि इस बार कर्मचारियों की तनख्वाह निकालना तो दूर दुकान का किराया भी नहीं निकल पाया है. पिछले एक महीने से प्रिंटिंग कारोबार पूरी तरह बंद पड़ा हुआ है.

lockdown effect on marriage in meerut
शादी के कार्ड.
संकट में प्रिंटिंग कारोबार
बता दें कि शादियों का सीजन आते ही जहां प्रिंटिंग कारोबारियों की मौज आ जाती थी, वहीं प्रिंटिंग कारोबार से जुड़े लाखों लोगों को रोजगार मिल जाता था. कार्ड विक्रेता से लेकर प्रिंटिंग प्रेस, कम्प्यूटर डिजाइनर, पैकिंग करने तक बड़ी संख्या में लोग अच्छी खासी कमाई कर लेते थे, लेकिन कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने शादियों पर ऐसा ग्रहण लगाया कि कार्ड की दुकानों पर ताले पड़ गए. सामान्य दिनों में शादियों का सीजन आते ही इन दुकानदारों को सांस लेने की फुर्सत नहीं होती थी. एक महीने के सीजन में लाखों के आर्डर मिल जाते थे, लेकिन इस बार कोरोना कर्फ्यू के चलते दुकानों पर रखे महंगे से महंगे कार्ड धूल फांक रहे हैं. लॉकडाउन के दौरान चालान के डर से दुकानदार दुकान भी नहीं खोल रहे हैं.

lockdown effect on marriage in meerut
लॉकडाउन से प्रिंटिंग कारोबार प्रभावित.

'धूल फांक रहे फैंसी एवं महंगे कार्ड'
ईटीवी भारत के आग्रह पर एक दुकानदार ने लॉकडाउन लगने के 25 दिन बाद अपनी दुकान खोली. दुकान के अंदर रखे शादी के फैंसी एवं महंगे कार्ड न सिर्फ ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं, बल्कि धूल फांक रहे हैं. दुकानदार ने बताया कि मार्च 2020 में जब पहली बार कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन लगाया गया था तो उसी वक्त प्रिंटिंग कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ था. वहीं नवंबर-दिसम्बर में हालात कुछ सामान्य हुए तो कारोबार चलने की उम्मीद जगी, लेकिन कोरोना प्रोटोकॉल के चलते बड़े आयोजन नहीं हो पाए. यही वजह रही कि शादी के कार्डों की बिक्री बहुत कम हुई है. रही सही कसर कोरोना की नई लहर ने पूरी कर दी.

lockdown effect on marriage in meerut
धूल फांक रहे फैंसी एवं महंगे कार्ड.

लाखों लोग हुए प्रभावित
प्रिंटिंग कारोबारियों का कहना है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 3000 से ज्यादा कार्ड की दुकानें हैं और प्रिंटिंग कारोबार में 5 लाख से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं. इनके घर परिवार का खर्च शादी के सीजन में ही निकलता है. मेरठ जोन के सभी जिलों में करीब 25 हजार शादी समारोह रद्द किए गए हैं, जिससे प्रिंटिंग कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. इस बार कोरोना की दूसरी लहर में शादियों के जो छोटे आयोजन हो रहे हैं, उनमें गिने चुने 25-30 लोगों के शामिल होने की छूट दी गई है.

इसे भी पढ़ें: कोरोना संक्रमित शवों पर चोरों की नजर, पढ़िए पूरी खबर

कारोबारियों के मुताबिक, कम मेहमानों के लिए शादी वाले परिवार कार्ड छपवाने की बजाय फोन पर ही निमंत्रण भेज रहे हैं. लॉकडाउन में जहां कार्ड की दुकानें बंद पड़ी हैं, वहीं प्रिंटिंग प्रेस, कम्प्यूटर डिजाइनिंग समेत सभी लोग घरों में खाली बैठे कोरोना संक्रमण खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं.

ईटीवी भारत पर छलका कारोबारियों का दर्द
जानकारी के मुताबिक, शादी के सीजन में कार्ड छपवाने में 10 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार हो जाता था, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के चलते लगे लॉकडाउन में कार्डों की बिक्रीं नहीं हो पा रही है. हालांकि प्रिंटिंग कारोबारियों को उम्मीद थी कि पिछले लॉकडाउन के बाद इस बार शादियां होंगी, जिसकी ये पूरी तैयारियां कर चुके थे. मगर कोरोना की दूसरी लहर आने से इनकी सभी तैयारियां धरी की धरी रह गईं, जिससे इनका बहुत ज्यादा नुकसान हुआ. महंगे-महंगे कार्ड दुकान में रखे धूल फांक रहे हैं. यही वजह रही कि इस कारोबार से जुड़े लाखों लोगों के सामने आर्थिक संकट मंडराया हुआ है.

इसे भी पढ़ें: दो जुड़वां भाई की दो दिन के अंतर में कोरोना से मौत

कारोबारियों को जहां कर्मचारियों की तनख्वाह की चिंता सता रही है तो वहीं दुकानों का किराया और खुद के परिवार के खर्च की भी चिंता बनी हुई है. प्रिंटिंग कारोबारियों का कहना है कि संकट की इस घड़ी में दूसरा कारोबार भी नहीं कर सकते.

मेरठ: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का प्रकोप लगातार जारी है. आए दिन बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए सरकार ने लॉकडाउन लगाया हुआ है. जहां अनावश्यक आवागमन पर पूरी तरह से प्रतिबंध है तो वहीं शादियों के बड़े आयोजन पर भी रोक लगा दी गई है. कोविड गाइडलाइन के चलते सरकार ने शादी समारोह में परिजनों समेत 25 लोगों के शामिल होने की छूट दी है. शादियों में नाममात्र के ही मेहमान बुलाए जा रहे हैं. यही वजह है कि शादी वाले परिवार कार्ड छपवाने से गुरेज कर रहे हैं, जिससे प्रिंटिंग कारोबार से जुड़े लाखों लोगों के सामने आर्थिक संकट मंडराने लगा है.

वीडियो रिपोर्ट...

लॉकडाउन में इस बार शादी के सीजन में कार्ड छापने वालों के परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं. बाजारों में सन्नाटा पसरा हुआ है. दुकानदारों का कहना है कि इस बार कर्मचारियों की तनख्वाह निकालना तो दूर दुकान का किराया भी नहीं निकल पाया है. पिछले एक महीने से प्रिंटिंग कारोबार पूरी तरह बंद पड़ा हुआ है.

lockdown effect on marriage in meerut
शादी के कार्ड.
संकट में प्रिंटिंग कारोबार
बता दें कि शादियों का सीजन आते ही जहां प्रिंटिंग कारोबारियों की मौज आ जाती थी, वहीं प्रिंटिंग कारोबार से जुड़े लाखों लोगों को रोजगार मिल जाता था. कार्ड विक्रेता से लेकर प्रिंटिंग प्रेस, कम्प्यूटर डिजाइनर, पैकिंग करने तक बड़ी संख्या में लोग अच्छी खासी कमाई कर लेते थे, लेकिन कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने शादियों पर ऐसा ग्रहण लगाया कि कार्ड की दुकानों पर ताले पड़ गए. सामान्य दिनों में शादियों का सीजन आते ही इन दुकानदारों को सांस लेने की फुर्सत नहीं होती थी. एक महीने के सीजन में लाखों के आर्डर मिल जाते थे, लेकिन इस बार कोरोना कर्फ्यू के चलते दुकानों पर रखे महंगे से महंगे कार्ड धूल फांक रहे हैं. लॉकडाउन के दौरान चालान के डर से दुकानदार दुकान भी नहीं खोल रहे हैं.

lockdown effect on marriage in meerut
लॉकडाउन से प्रिंटिंग कारोबार प्रभावित.

'धूल फांक रहे फैंसी एवं महंगे कार्ड'
ईटीवी भारत के आग्रह पर एक दुकानदार ने लॉकडाउन लगने के 25 दिन बाद अपनी दुकान खोली. दुकान के अंदर रखे शादी के फैंसी एवं महंगे कार्ड न सिर्फ ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं, बल्कि धूल फांक रहे हैं. दुकानदार ने बताया कि मार्च 2020 में जब पहली बार कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन लगाया गया था तो उसी वक्त प्रिंटिंग कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ था. वहीं नवंबर-दिसम्बर में हालात कुछ सामान्य हुए तो कारोबार चलने की उम्मीद जगी, लेकिन कोरोना प्रोटोकॉल के चलते बड़े आयोजन नहीं हो पाए. यही वजह रही कि शादी के कार्डों की बिक्री बहुत कम हुई है. रही सही कसर कोरोना की नई लहर ने पूरी कर दी.

lockdown effect on marriage in meerut
धूल फांक रहे फैंसी एवं महंगे कार्ड.

लाखों लोग हुए प्रभावित
प्रिंटिंग कारोबारियों का कहना है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 3000 से ज्यादा कार्ड की दुकानें हैं और प्रिंटिंग कारोबार में 5 लाख से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं. इनके घर परिवार का खर्च शादी के सीजन में ही निकलता है. मेरठ जोन के सभी जिलों में करीब 25 हजार शादी समारोह रद्द किए गए हैं, जिससे प्रिंटिंग कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. इस बार कोरोना की दूसरी लहर में शादियों के जो छोटे आयोजन हो रहे हैं, उनमें गिने चुने 25-30 लोगों के शामिल होने की छूट दी गई है.

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कारोबारियों के मुताबिक, कम मेहमानों के लिए शादी वाले परिवार कार्ड छपवाने की बजाय फोन पर ही निमंत्रण भेज रहे हैं. लॉकडाउन में जहां कार्ड की दुकानें बंद पड़ी हैं, वहीं प्रिंटिंग प्रेस, कम्प्यूटर डिजाइनिंग समेत सभी लोग घरों में खाली बैठे कोरोना संक्रमण खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं.

ईटीवी भारत पर छलका कारोबारियों का दर्द
जानकारी के मुताबिक, शादी के सीजन में कार्ड छपवाने में 10 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार हो जाता था, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के चलते लगे लॉकडाउन में कार्डों की बिक्रीं नहीं हो पा रही है. हालांकि प्रिंटिंग कारोबारियों को उम्मीद थी कि पिछले लॉकडाउन के बाद इस बार शादियां होंगी, जिसकी ये पूरी तैयारियां कर चुके थे. मगर कोरोना की दूसरी लहर आने से इनकी सभी तैयारियां धरी की धरी रह गईं, जिससे इनका बहुत ज्यादा नुकसान हुआ. महंगे-महंगे कार्ड दुकान में रखे धूल फांक रहे हैं. यही वजह रही कि इस कारोबार से जुड़े लाखों लोगों के सामने आर्थिक संकट मंडराया हुआ है.

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कारोबारियों को जहां कर्मचारियों की तनख्वाह की चिंता सता रही है तो वहीं दुकानों का किराया और खुद के परिवार के खर्च की भी चिंता बनी हुई है. प्रिंटिंग कारोबारियों का कहना है कि संकट की इस घड़ी में दूसरा कारोबार भी नहीं कर सकते.

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