ETV Bharat / state

मेरठ: धान की पराली के साथ पेस्टिसाइड जलने से हवा हो रही जहरीली

देश की राजधानी दिल्ली के साथ अब मेरठ भी प्रदूषण से अक्षूता नहीं है.  धान की पराली के साथ पेस्टिसाइड जलने से हवा जहरीली हो रही है, एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है.

वायुमंडल में फैल रही विषैली हवा
author img

By

Published : Oct 18, 2019, 11:29 PM IST

मेरठः विशेषज्ञों का कहना है कि धान की पराली जलाए जाने से धुआं वातावरण में फैल रहा है. जिस कारण स्मॉग का असर दिखाई दे रहा है. स्मॉग की वजह से हवा प्रदूषित हो रही है. इसका असर सांस और दमा के रोगियों में देखने को मिल रहा है. फिलहाल विशेषज्ञ प्रदूषित हवा से सचेत रहने की सलाह दे रहे हैं.

धान की पराली के साथ पेस्टिसाइड जलने से हवा हो रही जहरीली.
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रो. आर. एस. सेंगर का कहना है कि धान की कटाई के बाद उसकी पराली को किसान जला रहे हैं. पंजाब और हरियाणा में धान की खेती अधिक होती है, यही वजह है कि पराली जलाने से जो धुआं फैल रहा है उसका असर एनसीआर क्षेत्र में भी दिख रहा है.


पढ़ें-मेरठ: सिद्धि पाने के लिए मिट्टी में दबाई गर्दन, पुलिस ने हिदायत देकर छोड़ा

वायुमंडल में फैल रही विषैली हवा
मेरठ भी इस जहर से अछूता नहीं है. यहां भी स्मॉग का असर दिखाई दे रहा है. आर. एस. सेंगर ने बताया कि पराली जलाने की वजह से जो कीटनाशक फसल के दौरान छिड़काव किए जाते हैं, वह भी पराली के साथ जल रहे हैं, जिस कारण विषैली हवा वायुमंडल में फैल रही है.

पराली जलाने की वजह से कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी विषैली गैसों के अलावा कीटनाशक रसायन की विषैली गैस भी हवा में उड़ रही है. इनकी वजह से हवा प्रदूषित हो रही है. यह हवा मानव स्वास्थ्य पर विपरीत असर डाल रही है.

प्रदूषण है ग्लोबल वार्मिंग का कारण
इस तरह का प्रदूषण ग्लोबल वार्मिंग का कारण भी बन रहा है. उन्होंने बताया कि इस समय सुबह और शाम के समय स्मॉग का असर दिखाई दे रहा है. नमी अधिक होने की वजह से धूल के कण ऊपर नहीं जा पा रहे हैं. ये धूल के कण नीचे हवा में ही अपनी परत जमा रहे हैं, जिस कारण हवा विषैली हो रही है. कार्बन कणों की परत छाए रहने की वजह से स्माग दिखाई देता है.

पराली से बनती है बिजली
प्रो. आर. एस. सेंगर ने बताया कि किसानों को अपने धान की फसल की पराली को नहीं जलाना चाहिए. पराली का इस्तेमाल खाद आदि बनाने में किया जा सकता है. जिससे जमीन की उर्वरा शक्ति भी बनी रहेगी. उन्होंने बताया कि आजकल पराली का इस्तेमाल बिजली उत्पादन में भी किया जाने लगा है.

मेरठः विशेषज्ञों का कहना है कि धान की पराली जलाए जाने से धुआं वातावरण में फैल रहा है. जिस कारण स्मॉग का असर दिखाई दे रहा है. स्मॉग की वजह से हवा प्रदूषित हो रही है. इसका असर सांस और दमा के रोगियों में देखने को मिल रहा है. फिलहाल विशेषज्ञ प्रदूषित हवा से सचेत रहने की सलाह दे रहे हैं.

धान की पराली के साथ पेस्टिसाइड जलने से हवा हो रही जहरीली.
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रो. आर. एस. सेंगर का कहना है कि धान की कटाई के बाद उसकी पराली को किसान जला रहे हैं. पंजाब और हरियाणा में धान की खेती अधिक होती है, यही वजह है कि पराली जलाने से जो धुआं फैल रहा है उसका असर एनसीआर क्षेत्र में भी दिख रहा है.


पढ़ें-मेरठ: सिद्धि पाने के लिए मिट्टी में दबाई गर्दन, पुलिस ने हिदायत देकर छोड़ा

वायुमंडल में फैल रही विषैली हवा
मेरठ भी इस जहर से अछूता नहीं है. यहां भी स्मॉग का असर दिखाई दे रहा है. आर. एस. सेंगर ने बताया कि पराली जलाने की वजह से जो कीटनाशक फसल के दौरान छिड़काव किए जाते हैं, वह भी पराली के साथ जल रहे हैं, जिस कारण विषैली हवा वायुमंडल में फैल रही है.

पराली जलाने की वजह से कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी विषैली गैसों के अलावा कीटनाशक रसायन की विषैली गैस भी हवा में उड़ रही है. इनकी वजह से हवा प्रदूषित हो रही है. यह हवा मानव स्वास्थ्य पर विपरीत असर डाल रही है.

प्रदूषण है ग्लोबल वार्मिंग का कारण
इस तरह का प्रदूषण ग्लोबल वार्मिंग का कारण भी बन रहा है. उन्होंने बताया कि इस समय सुबह और शाम के समय स्मॉग का असर दिखाई दे रहा है. नमी अधिक होने की वजह से धूल के कण ऊपर नहीं जा पा रहे हैं. ये धूल के कण नीचे हवा में ही अपनी परत जमा रहे हैं, जिस कारण हवा विषैली हो रही है. कार्बन कणों की परत छाए रहने की वजह से स्माग दिखाई देता है.

पराली से बनती है बिजली
प्रो. आर. एस. सेंगर ने बताया कि किसानों को अपने धान की फसल की पराली को नहीं जलाना चाहिए. पराली का इस्तेमाल खाद आदि बनाने में किया जा सकता है. जिससे जमीन की उर्वरा शक्ति भी बनी रहेगी. उन्होंने बताया कि आजकल पराली का इस्तेमाल बिजली उत्पादन में भी किया जाने लगा है.

Intro:मेरठ: धान की पुराली के साथ पेस्टिसाइड जलने से हो रही हवा जहरीली, एनसीआर क्षेत्र में बढ़ रहा प्रदूषण
मेरठ। मेरठ और एनसीआर क्षेत्र में दिख रहा स्माग पुराली जलाने की वजह से फैल रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि धान की पुराली जलाए जाने से धुआं वातावरण में फैल रहा है जिस कारण स्माग का असर दिखाई दे रहा है। स्माग की वजह से हवा प्रदूषित हो रही है, इसका असर सांस और दमा के रोगियों में देखने को मिल रहा है। फिलहाल विशेषज्ञ प्रदूषित हवा से सचेत रहने की सलाह दे रहे हैं।




Body:सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ आर एस सेंगर का कहना है की धान की कटाई के बाद उसकी पुराली को किसान जला रहे हैं। पंजाब और हरियाणा में धान की खेती अधिक होती है, यही वजह है कि पुराली जलाने से जो धुआं फैल रहा है उसका असर एनसीआर क्षेत्र में भी दिख रहा है, मेरठ भी इससे अछूता नहीं है। यहां भी स्माग का असर दिखाई दे रहा है। आर एस सेंगर ने बताया पुराली जलाने की वजह से जो कीटनाशक फसल के दौरान छिड़काव किए गए थे वह भी पुराली के साथ जल रहे हैं, जिस कारण विषैली हवा वायुमंडल में फैल रही है। पूराली जलाने की वजह से कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी विषैली गैसों के अलावा कीटनाशक रसायन की विषैली गैस भी हवा में उड़ रही हैं। इनकी वजह से हवा प्रदूषित हो रही है। यह हवा मानव स्वास्थ्य पर विपरीत असर डाल रही है। इस तरह का प्रदूषण ग्लोबल वार्मिंग का कारण भी बन रहा है। उन्होंने बताया कि इस समय सुबह और शाम के समय स्माग का असर दिखाई दे रहा है। नमी अधिक होने की वजह से धूल के कण ऊपर नहीं जा पा रहे हैं। ये धूल के कण नीचे हवा में ही अपनी परत जमा रहे हैं। जिस कारण हवा विषैली हो रही है। कार्बन कणों की परत छाए रहने की वजह से स्माग दिखाई देता है।


Conclusion:आर एस सेंगर ने बताया कि किसानों को अपने धान की फसल की पुराली नहीं जलानी चाहिए। पुराली का इस्तेमाल खाद आदि बनाने में किया जा सकता है। जिससे जमीन की उर्वरा शक्ति भी बनी रहेगी। उन्होंने बताया कि आजकल पुराली का इस्तेमाल बिजली उत्पादन में भी किया जाने लगा है।

बाइट- आर एस सेंगर, प्रोफेसर, कृषि विश्वविद्यालय

अजय चौहान

9897799794
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.