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मेरठ: टिशू कल्चर लैब में तैयार पौधों से किसानों को मुनाफा, होता है अधिक उत्पादन

केले की खेती करने वाले किसानों को टिशू कल्चर लैब में तैयार पौधे अधिक मुनाफा देने वाले साबित हो रहे हैं. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि टिशू कल्चर में तैयार पौधे न केवल रोग रहित रहते हैं, बल्कि उनमें उत्पादन भी अधिक होता है.

टिश्यू कल्चर
टिश्यू कल्चर लैब में तैयार पौधे देते हैं अधिक उत्पादन
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Published : Mar 19, 2020, 8:12 AM IST

मेरठ: किसानों की आय दोगुना करने और केले की खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि विज्ञानिक प्रयास में जुटे हैं. इसी क्रम में केले की खेती करने वाले किसानों को टिशू कल्चर लैब तैयार पौधे अधिक मुनाफा देने वाले साबित हो रहे हैं. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि टिशू कल्चर में तैयार पौधे न केवल रोग रहित रहते हैं, बल्कि उनमें उत्पादन भी अधिक होता है.

जानकारी देते कृषि वैज्ञानिक.

सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. आर एस सेंगर ने बताया कि कृषि विश्वविद्यालय में स्थित टिशू कल्चर लैब में शोध के बाद केले की वैरायटी तैयार की जा रही है. लैब में तैयार पौधे अधिक गुणवत्ता वाले होते हैं. इन पौधों में सामान्य पौधों के मुकाबले रोग नहीं लगता. इसके अलावा इनका उत्पादन भी अधिक होता है.

उन्होंने बताया कि वेस्ट में काफी संख्या में किसान केले की खेती करने लगे हैं. किसानों को मंडी में सीधे अपनी फसल बेचने से लाभ मिल रहा है. दिल्ली की मंडी हो या जिला स्तर की मंडी, किसानों की फसल के अच्छे दाम मिल रहे हैं. कई स्थानों पर किसान परंपरागत फसलों को छोड़कर सब्जियों और फलों की खेती कर अधिक लाभ कमा रहे हैं.

कृषि वैज्ञानिक डॉ. आरएस सेंगर ने बताया कि सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय में किसानों के खेती की समय-समय पर ट्रेनिंग भी दी जा रही है. किसानों को उनकी मांग के अनुसार टिशू कल्चर में तैयार पौध भी उपलब्ध कराई जा रही है. इस समय केले की खेती की तैयारी के लिए सबसे उपयुक्त समय है. किसानों को खेत में वैज्ञानिक सलाह के साथ तैयारी शुरू कर देनी चाहिए.

ये भी पढ़ें- कोरोना का असर: अस्सी घाट पर होने वाला 'सुबह ए बनारस कार्यक्रम' स्थगित

मेरठ: किसानों की आय दोगुना करने और केले की खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि विज्ञानिक प्रयास में जुटे हैं. इसी क्रम में केले की खेती करने वाले किसानों को टिशू कल्चर लैब तैयार पौधे अधिक मुनाफा देने वाले साबित हो रहे हैं. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि टिशू कल्चर में तैयार पौधे न केवल रोग रहित रहते हैं, बल्कि उनमें उत्पादन भी अधिक होता है.

जानकारी देते कृषि वैज्ञानिक.

सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. आर एस सेंगर ने बताया कि कृषि विश्वविद्यालय में स्थित टिशू कल्चर लैब में शोध के बाद केले की वैरायटी तैयार की जा रही है. लैब में तैयार पौधे अधिक गुणवत्ता वाले होते हैं. इन पौधों में सामान्य पौधों के मुकाबले रोग नहीं लगता. इसके अलावा इनका उत्पादन भी अधिक होता है.

उन्होंने बताया कि वेस्ट में काफी संख्या में किसान केले की खेती करने लगे हैं. किसानों को मंडी में सीधे अपनी फसल बेचने से लाभ मिल रहा है. दिल्ली की मंडी हो या जिला स्तर की मंडी, किसानों की फसल के अच्छे दाम मिल रहे हैं. कई स्थानों पर किसान परंपरागत फसलों को छोड़कर सब्जियों और फलों की खेती कर अधिक लाभ कमा रहे हैं.

कृषि वैज्ञानिक डॉ. आरएस सेंगर ने बताया कि सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय में किसानों के खेती की समय-समय पर ट्रेनिंग भी दी जा रही है. किसानों को उनकी मांग के अनुसार टिशू कल्चर में तैयार पौध भी उपलब्ध कराई जा रही है. इस समय केले की खेती की तैयारी के लिए सबसे उपयुक्त समय है. किसानों को खेत में वैज्ञानिक सलाह के साथ तैयारी शुरू कर देनी चाहिए.

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