मेरठ : पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (Paschimanchal Vidyut Vitran Nigam Limited) के 14 जिलों (14 districts of western UP) में 4 लाख 37 हजार ऐसे उपभोक्ता हैं जोकि बिजली जला रहे हैं, लेकिन उन्होंने कनेक्शन लेने के बाद से आज तक कभी भी बिल नहीं दिया. ऐसे लोगों को विभाग की तरफ से न सिर्फ जागरुक किया जा रहा बल्कि बिल जमा कराने को उनका दरवाजा भी खटखटाया जा रहा है.
पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड से सम्बंधित 14 जिलों में 4 लाख 37 हजार ऐसे उपभोक्ता हैं जिन्होंने विद्युत कनेक्शन तो लिया हुआ है, लेकिन उसके बाद से आज तक कभी बिल नहीं दिया. हालांकि अप्रैल माह में तो PVVNL से संबंधित जिलों में 9 लाख से अधिक ऐसे भी उपभोक्ता थे जिन्होंने विद्युत कनेक्शन लेने के बाद से कभी बिजली के बिल की पाई भी नहीं चुकाई थी. इस बारे में पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के एम डी अरविंद मलप्पा बंगारी ने बताया कि PVVNL ने ऐसे लोगों की अप्रैल में सूची तैयार की थी तो 14 जिलों में करीब 9 लाख 80 हजार ऐसे उपभोक्ता थे, जिन्होंने बिल जमा नहीं किया था. उन्होंने बताया कि अप्रैल माह से विभाग ने एक अभियान शुरू किया था, जिसमें विभाग की तरफ उपभोक्ताओं से भुगतान कराने को बकायदा कॉलिंग करके और डोर टू डोर जाकर के उन्हें बिल जमा कराने के बारे में जागरुक किया गया था.
उन्होंने बताया कि उपभोक्ता बिल का भुगतान करें इसके लिए पार्ट पेमेंट की सुविधा का प्लान बनाया गया था. जिसके बाद 5 लाख 44 हजार लोगों ने भी पहली बार भुगतान किया है, हालांकि वह कहते हैं कि 4 लाख 37 हजार उपभोक्ता अभी भी ऐसे हैं जिनका बिल भुगतान बाकी है. वह कहते हैं कि कोशिश लगातार जारी है. उम्मीद है कि इस माह के आखिर तक ऐसे लोगों की संख्या को घटा लेंगे, ऐसे चिन्हित लोगों से भुगतान करने के लिए लगातार प्रयास जारी हैं. वह कहते हैं कि उनका एजेंडा है कि इसी माह के आखिर तक बाकी से भी भुगतान कराएं.
गौरतलब है कि पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (Paschimanchal Vidyut Vitran Nigam Limited) जुलाई 2003 में यूपीपीसीएल की सहायक कंपनी के रूप में अस्तित्व में आया था. डिस्कॉम अपने अधिकार क्षेत्र में जिला मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, हापुड़, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, शामली, बिजनौर, मुरादाबाद, संभल, जेपी नगर और रामपुर के क्षेत्रों को कवर करता है. इन 14 जिलों में करीब 69 लाख विद्युत उपभोक्ता हैं. जबकि अगर बकाये की बात की जाए तो 900 करोड़ रुपया विभाग का अभी बकाया है.
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