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फंगस से संबंधित बीमारियों की होगी सटीक जांच, मेरठ में बनेगा पश्चिमी उप्र का नोडल सेंटर

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Published : Jun 23, 2021, 7:17 PM IST

ब्लैक फंगस सहित अन्य फंगस से संबंधित बीमारियों की जांच के लिए नोडल सेंटर बनाने की तैयारी चल रही है. जिसके लिए ICMR ने प्रदेश में केजीएमयू में एडवांस माइकोलॉजी डायग्नोस्टिक एंड रिसर्च सेंटर की मंजूरी दी है. जबकि मेरठ मेडिकल कालेज में पश्चिमी उप्र का नोडल सेंटर बनाया जाएगा.

मेरठ में बनेगा पश्चिमी उप्र का नोडल सेंटर
मेरठ में बनेगा पश्चिमी उप्र का नोडल सेंटर

मेरठ: ब्लैक फंगस सहित अन्य फंगस से संबंधित बीमारियों को देखते हुए मेडिकल कालेजों को इसकी जांच के लिए नोडल सेंटर बनाने की तैयारी चल रही है. ICMR ने प्रदेश में इसके लिए केजीएमयू में एडवांस माइकोलॉजी डाइग्नोस्टिक एंड रिसर्च सेंटर की मंजूरी दी है. यह सेंटर प्रदेशभर के मेडिकल कॉलेजों के साथ समन्वय स्थापित कर फंगस की जांच और इलाज की दिशा तय करेगा. साथ ही समय-समय पर गाइडलाइन तैयार करेगा और दवाओं का ट्रायल भी हो सकेगा. मेरठ मेडिकल कालेज में पश्चिमी उप्र का नोडल सेंटर बनाया जाएगा.

कोरोना वायरस के बाद पूरे देश में म्यूकॉरमाइकोसिस के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है. मेरठ और आसपास के जिलों में भी ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस, यलो फंगस आदि फंगस पाए गए हैं. ऐसे में आईसीएमआर ने देशभर में 13 रिसर्च सेंटर को मंजूरी दी है. उत्तर प्रदेश में यह सेंटर केजीएमयू में खुल रहा है. ये सेंटर मेरठ सहित प्रदेश के सभी मेडिकल कालेजों से समन्वय स्थापित करेगा. मेडिकल कालेज में बने नोडल सेंटर में ब्लैक फंगस के अलावा अन्य फंगस की जांच की जाएगी और उनकी रिपोर्ट केजीएमयू भेजी जाएगी. जहां पर माइक्रोबायोलॉजी विभाग की आधुनिक लैब में फंगस पर कौन सी दवा कितना असर कर रही है, यह खून की जांच से ही पता चल सकेगा. इससे फंगस पर समय पर सटीक दवाओं का प्रयोग कर मरीजों की जान बचाई जा सकेगी.


मेरठ मेडिकल कालेज के प्राचार्या डा. ज्ञानेंद्र ने बताया कि मेरठ में ब्लैक फंगस सहित अन्य फंगस की जांच होगी. ब्लैक फंगस का मरीज मिलते ही इसके सेंपल कलेक्ट कर केजीएमयू भेजा जाएगा. जहां से रिपोर्ट आने के बाद मरीज की तुरंत जांच की जा सकेगी और उसको समय से इलाज मिल सकेगा.

मेरठ: ब्लैक फंगस सहित अन्य फंगस से संबंधित बीमारियों को देखते हुए मेडिकल कालेजों को इसकी जांच के लिए नोडल सेंटर बनाने की तैयारी चल रही है. ICMR ने प्रदेश में इसके लिए केजीएमयू में एडवांस माइकोलॉजी डाइग्नोस्टिक एंड रिसर्च सेंटर की मंजूरी दी है. यह सेंटर प्रदेशभर के मेडिकल कॉलेजों के साथ समन्वय स्थापित कर फंगस की जांच और इलाज की दिशा तय करेगा. साथ ही समय-समय पर गाइडलाइन तैयार करेगा और दवाओं का ट्रायल भी हो सकेगा. मेरठ मेडिकल कालेज में पश्चिमी उप्र का नोडल सेंटर बनाया जाएगा.

कोरोना वायरस के बाद पूरे देश में म्यूकॉरमाइकोसिस के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है. मेरठ और आसपास के जिलों में भी ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस, यलो फंगस आदि फंगस पाए गए हैं. ऐसे में आईसीएमआर ने देशभर में 13 रिसर्च सेंटर को मंजूरी दी है. उत्तर प्रदेश में यह सेंटर केजीएमयू में खुल रहा है. ये सेंटर मेरठ सहित प्रदेश के सभी मेडिकल कालेजों से समन्वय स्थापित करेगा. मेडिकल कालेज में बने नोडल सेंटर में ब्लैक फंगस के अलावा अन्य फंगस की जांच की जाएगी और उनकी रिपोर्ट केजीएमयू भेजी जाएगी. जहां पर माइक्रोबायोलॉजी विभाग की आधुनिक लैब में फंगस पर कौन सी दवा कितना असर कर रही है, यह खून की जांच से ही पता चल सकेगा. इससे फंगस पर समय पर सटीक दवाओं का प्रयोग कर मरीजों की जान बचाई जा सकेगी.


मेरठ मेडिकल कालेज के प्राचार्या डा. ज्ञानेंद्र ने बताया कि मेरठ में ब्लैक फंगस सहित अन्य फंगस की जांच होगी. ब्लैक फंगस का मरीज मिलते ही इसके सेंपल कलेक्ट कर केजीएमयू भेजा जाएगा. जहां से रिपोर्ट आने के बाद मरीज की तुरंत जांच की जा सकेगी और उसको समय से इलाज मिल सकेगा.

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