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मेरठ: सैकड़ों लोगों का सरकारी राशन से हुआ मोहभंग, राशन न लेने की लगा रहे अफसरों से गुहार

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Published : Jun 7, 2022, 7:52 AM IST

मेरठ जिले में अचानक से सरकारी राशन न लेने वालों की होड़ सी लग गई है. लोगों ने राशन न लेने के लिए प्रार्थना पत्र दिया है. जिले के 600 परिवार राशन नहीं लेना चाहते हैं.

सरकारी राशन
सरकारी राशन

मेरठ: सरकार की तरफ से जरूरतमंदों को लगातार राशन मुहैया कराया जा रहा है. लेकिन, आंकड़ों पर नजर डालें तो बीते एक माह में मेरठ में करीब 600 कार्डधारकों ने स्वेच्छा से सरकार की तरफ से मिलने वाले राशन को न लेने के लिए प्रार्थना पत्र दिया है. यानी अब यहां करीब 600 परिवार राशन नहीं लेना चाहते. इसके पीछे तमाम तरह की वजह भी गिनाई जा रही हैं.

प्रदेश में सीएम योगी फिर एक बार मुख्यमंत्री हैं. वहीं, देखा जा रहा है कि बीते कुछ दिनों से कुछ इस तरह की पोस्ट वायरल हो रही हैं, जिनके मुताबिक अब राशन कार्डधारकों के लिए कुछ मानक तय किए जाने की बातें हो रही हैं. इतना ही नहीं वायरल पोस्ट में ऐसे लोगों से राशन की रिकवरी की बात भी हो रही है जोकि पात्रता सूची के दायरे में नहीं आते. हालांकि, जिला पूर्ति अधिकारी राघवेंद्र सिंगज का कहना है कि ये सिर्फ अफवाहें हैं. लेकिन, इसे अफवाहों का असर कहें या फिर कुछ और वजह कि जिले में बीते एक महीने में अचानक ऐसे 600 परिवार सामने आए हैं जोकि सरकार की तरफ से मिलने वाले मुफ्त राशन को अब नहीं लेना चाहते.

जानकारी देते जिला पूर्ति अधिकारी

जिला पूर्ति अधिकारी राघवेंद्र सिंगज का कहना है कि करीब 600 परिवारों की तरफ से तरह-तरह की बातों का हवाला देते हुए राशन न दिए जाने की मांग की गई है. जिला पूर्ति अधिकारी बताते हैं कि कुछ लोगों का कहना है कि अब उन्हें निशुल्क राशन की जरूरत नहीं है तो कुछ राशन कार्ड सरेंडर करने को लेकर दिए गए पत्र में लिख रहे हैं कि अब उनके घर परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हो गई है, लिहाजा अब उन्हें सरकारी राशन की जरूरत नहीं है. बता दें कि मेरठ जिले में भी बीते दिनों इस तरह की अफवाह फैली थी कि जो लोग पात्रता सूची में नहीं हैं और निशुल्क राशन प्राप्त कर रहे हैं, ऐसे लोगों से राशन की अलग-अलग दरों के हिसाब से रिकवरी होगी. उसके बाद एकाएक ऐसे मामले सामने आए हैं.

जिला पूर्ति अधिकारी का कहना है कि जिले में करीब 5 लाख 24000 हजार परिवार ऐसे हैं, जिनके पास राशन कार्ड है, यानी इतने परिवार सरकार की तरफ से मिलने वाले मुफ्त राशन योजना का लाभ उठा रहे हैं. वे बताते हैं कि दो श्रेणी के राशन कार्ड धारक मेरठ में हैं. इनमें एक अंत्योदय अन्न योजना और दूसरे पात्र गृहस्थी के हैं. वे बताते हैं कि अंत्योदय अन्न योजना में जिले में 9229 कार्डधारक हैं, जबकि पांच लाख 16 हजार पात्र गृहस्थी कार्डधारक हैं.

जिला पूर्ति अधिकारी राघवेंद्र सिंगज कहते हैं कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत अंत्योदय योजना के तहत प्रति राशन कार्ड पर 20 किलो गेहूं, 15 किलो चावल है. वे बताते हैं कि पात्र गृहस्थी पर प्रति व्यक्ति तीन किलो गेहूं और दो किलो चावल दिया जाता है. इसके साथ ही साथ एक किलो नमक, एक किलो चना, एक किलो रिफाइंड ऑयल प्रति कार्ड पर दिया जाता है. जिला पूर्ति अधिकारी बताते हैं कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत प्रति यूनिट पांच किलो खाद्यान्न का वितरण कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें: सोशल मीडिया पर छलका अनुदेशकों का दर्द, 27000 से ज्यादा हुए बेरोजगार

जिला पूर्ति अधिकारी ने बताया कि राशन कार्ड सत्यापन का भी कार्य चल रहा है. उन्होंने कहा कि ये एक हमेशा चलने वाली प्रक्रिया है. उन्होंने कहा कि स्वेच्छा से राशन कार्ड समर्पित किए गए हैं. लेकिन, अचानक देखा गया है कि मेरठ जिले में राशन कार्ड सरेंडर करने को लेकर जो दिलचस्पी दिखाई गई है वो निश्चित ही हैरान करने वाली है.

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मेरठ: सरकार की तरफ से जरूरतमंदों को लगातार राशन मुहैया कराया जा रहा है. लेकिन, आंकड़ों पर नजर डालें तो बीते एक माह में मेरठ में करीब 600 कार्डधारकों ने स्वेच्छा से सरकार की तरफ से मिलने वाले राशन को न लेने के लिए प्रार्थना पत्र दिया है. यानी अब यहां करीब 600 परिवार राशन नहीं लेना चाहते. इसके पीछे तमाम तरह की वजह भी गिनाई जा रही हैं.

प्रदेश में सीएम योगी फिर एक बार मुख्यमंत्री हैं. वहीं, देखा जा रहा है कि बीते कुछ दिनों से कुछ इस तरह की पोस्ट वायरल हो रही हैं, जिनके मुताबिक अब राशन कार्डधारकों के लिए कुछ मानक तय किए जाने की बातें हो रही हैं. इतना ही नहीं वायरल पोस्ट में ऐसे लोगों से राशन की रिकवरी की बात भी हो रही है जोकि पात्रता सूची के दायरे में नहीं आते. हालांकि, जिला पूर्ति अधिकारी राघवेंद्र सिंगज का कहना है कि ये सिर्फ अफवाहें हैं. लेकिन, इसे अफवाहों का असर कहें या फिर कुछ और वजह कि जिले में बीते एक महीने में अचानक ऐसे 600 परिवार सामने आए हैं जोकि सरकार की तरफ से मिलने वाले मुफ्त राशन को अब नहीं लेना चाहते.

जानकारी देते जिला पूर्ति अधिकारी

जिला पूर्ति अधिकारी राघवेंद्र सिंगज का कहना है कि करीब 600 परिवारों की तरफ से तरह-तरह की बातों का हवाला देते हुए राशन न दिए जाने की मांग की गई है. जिला पूर्ति अधिकारी बताते हैं कि कुछ लोगों का कहना है कि अब उन्हें निशुल्क राशन की जरूरत नहीं है तो कुछ राशन कार्ड सरेंडर करने को लेकर दिए गए पत्र में लिख रहे हैं कि अब उनके घर परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हो गई है, लिहाजा अब उन्हें सरकारी राशन की जरूरत नहीं है. बता दें कि मेरठ जिले में भी बीते दिनों इस तरह की अफवाह फैली थी कि जो लोग पात्रता सूची में नहीं हैं और निशुल्क राशन प्राप्त कर रहे हैं, ऐसे लोगों से राशन की अलग-अलग दरों के हिसाब से रिकवरी होगी. उसके बाद एकाएक ऐसे मामले सामने आए हैं.

जिला पूर्ति अधिकारी का कहना है कि जिले में करीब 5 लाख 24000 हजार परिवार ऐसे हैं, जिनके पास राशन कार्ड है, यानी इतने परिवार सरकार की तरफ से मिलने वाले मुफ्त राशन योजना का लाभ उठा रहे हैं. वे बताते हैं कि दो श्रेणी के राशन कार्ड धारक मेरठ में हैं. इनमें एक अंत्योदय अन्न योजना और दूसरे पात्र गृहस्थी के हैं. वे बताते हैं कि अंत्योदय अन्न योजना में जिले में 9229 कार्डधारक हैं, जबकि पांच लाख 16 हजार पात्र गृहस्थी कार्डधारक हैं.

जिला पूर्ति अधिकारी राघवेंद्र सिंगज कहते हैं कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत अंत्योदय योजना के तहत प्रति राशन कार्ड पर 20 किलो गेहूं, 15 किलो चावल है. वे बताते हैं कि पात्र गृहस्थी पर प्रति व्यक्ति तीन किलो गेहूं और दो किलो चावल दिया जाता है. इसके साथ ही साथ एक किलो नमक, एक किलो चना, एक किलो रिफाइंड ऑयल प्रति कार्ड पर दिया जाता है. जिला पूर्ति अधिकारी बताते हैं कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत प्रति यूनिट पांच किलो खाद्यान्न का वितरण कर रहे हैं.

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जिला पूर्ति अधिकारी ने बताया कि राशन कार्ड सत्यापन का भी कार्य चल रहा है. उन्होंने कहा कि ये एक हमेशा चलने वाली प्रक्रिया है. उन्होंने कहा कि स्वेच्छा से राशन कार्ड समर्पित किए गए हैं. लेकिन, अचानक देखा गया है कि मेरठ जिले में राशन कार्ड सरेंडर करने को लेकर जो दिलचस्पी दिखाई गई है वो निश्चित ही हैरान करने वाली है.

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