मेरठ : एक ओर जहां उत्तर प्रदेश की योगी सरकार सड़क सुरक्षा माह चलाकर लोगों को जागरूक करने के दावे कर रही है. वहीं मेरठ शहर की जनता सड़कों पर न सिर्फ अपने को असुरक्षित महसूस कर रही है. बल्कि सड़क सुरक्षा अभियान की पोल भी खोल रही है. जी हां शहर की सड़कों पर पैदल चलने वाले राहगीर जहां जाम से जूझ रहे हैं, वहीं उनको सड़क हादसों का भी शिकार होना पड़ता है. पैदल यात्रियों के लिए बनाई गई फुटपाथ पर पटरी दुकानदारों और ठेले वालों ने कब्जा है, जिससे पैदल राहगीरों को जान जोखिम में डालकर वाहनों के बीच से सड़क पार करना पड़ रहा है. हालांकि यातायात पुलिस के सिपाही ट्रेफिक व्यवस्था को संभाल रहे हैं. ETV भारत ने ग्राउंड जीरो पर पहुंच कर न सिर्फ शहर की सड़कों का जायजा लिया बल्कि राहगीरों से भी बात की. देखिए रिपोर्ट....
दरअसल जिस रफ्तार से सड़कों का चौड़ीकरण किया जा रहा है. उसी गति से हर साल शहर की सड़कों पर हुए हादसों में मृत्यु दर बढ़ती जा रही है. इसके लिए न सिर्फ शासन प्रशासन का उदार रवैया कसूरवार है बल्कि शहर के नागरिक भी इतने ही जिम्मेदार हैं. क्योंकि चौड़ी सड़कों को पार करने के लिए पैदल चलने वालों के लिए कोई प्रावधान नही है. जहां वाहनों की बढ़ती संख्या से शहर में जाम के हालात बने रहते हैं, वहीं क्रॉसिंग में पैदल राहगीरों के लिए विशेष संकेत भी नही बनाये गए है. यही वजह है कि हर साल सैकड़ों लोग हादसों का शिकार होते हैं.
फुटपाथ पर ठेले वालों ने किया कब्जा
ETV भारत की टीम ने मेरठ महानगर के मुख्य चौराहों और सड़कों का जायजा लिया. जहां पैदल चलने वाले यात्रियों के लिए एक भी सुविधा नही मिली. पैदल यात्री सरपट दौड़ रहे वाहनों के बीच से गुजर रहे हैं. यहां न तो जेब्रा क्रॉसिंग बनाई गई है और न ही पगडंडी की व्यवस्था की गई है. पैदल यात्रियों के लिए बनाई गई फुटपाथ पर बाजार सजे हुए हैं. फूल और फलों की ठेले लगे हुए हैं.
जेब्रा क्रॉसिंग की नहीं व्यवस्था
ETV भारत की टीम ने मेरठ शहर के बच्चा पार्क, कमिश्नरी, एविज चौराहा, कैलाश स्टेडियम चौराहा, बेगमपुल चौराहा समेत कई मुख्य चौराहों का जायजा लिया. इस दौरान कहीं भी जेब्रा क्रॉसिंग की व्यवस्था नहीं मिली. चौंकाने वाली बात तो ये है कि चौराहों पर लगे ट्रैफिक सिग्नल भी ज्यादातर खराब हो चुके हैं. जिसके चलते सभी जगह यातायात पुलिस कर्मी ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर पसीना बहा रहे हैं. बावजूद इसके वाहन चालक नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं. हालात ये है कि सबसे ज्यादा भीड़भाड़ वाले इलाके में क्रॉसिंग के लिए पुल भी नहीं बनाया गया है.
वाहनों के बीच से होकर गुजर रहे पैदल यात्री
मुख्य चौराहों, बस स्टैंड और मुख्य मार्गों पर जेब्रा क्रॉसिंग और संकेत न होने की वजह से पैदल यात्रियों को जान जोखिम में डालकर सड़कें पार करनी पड़ रही है. महिलाओं और पुरुषों को एक दूसरे का हाथ पकड़ कर चलना पड़ता है. छात्र-छात्राओं को भी मुसीबतों का सामना करने के बाद स्कूल कॉलेज जाना पड़ रहा है.
ट्रैफिक व्यवस्था की पैदल यात्रियों ने खोली पोल
पैदल यात्रियों ने ETV भारत से बातचीत में बताया कि शहर में न तो क्रॉसिंग के कोई संकेत बनाये गए हैं और न ही जेब्रा क्रॉसिंग लाइन की कोई व्यवस्था की गई है. हल्के और भारी वाहन बेलगाम दौड़ रहे हैं, जिनकी चपेट में आने से आये दिन हादसे हो रहे हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां यातायात को लेकर कानून व्यवस्था ठप हो चुकी है, पैदल चलने वालों के लिए भी नियम बनने चाहिए.
क्या कहते हैं पुलिस अधिकारी
एसपी यातायात जे.के. श्रीवास्तव ने बताया कि पिछले एक दशक में सड़कों पर वाहनों की संख्या में इजाफा हुआ है. जिससे छोटे-बड़े वाहनों का दबाव बढ़ गया है. इससे पैदल यात्रियों के लिए सड़कों पर जगह की कमी हुई है. पैदल चलने वाले यात्रियों के लिए यातायात पुलिस फुटपाथ को साफ-सुथरा रखने का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि अतिक्रमण को समय-समय पर हटाया जाता है. उन्होंने बताया कि पैदल यात्रियों के लिए जेब्रा क्रॉसिंग की व्यवस्था होती है. शहर में कुछ चौराहों पर सफेद रंग की लाइन खींची हुई हैं, जिन पर नया पेंट भी कराया गया है. बाकी जो चौराहे रह गए हैं वहां भी जल्द ही जेब्रा क्रॉसिंग बनवा दी जाएगी. उन्होंने बताया कि पैदल यात्रियों के साथ सड़क हादसों की समस्या वाणिज्यिक क्षेत्रों में ज्यादा हो रही हैं, जबकि आवासीय क्षेत्रों में बहुत कम हैं. एसपी ने बताया कि पैदल यात्रियों को बचाने के लिए यातायात पुलिस की ओर से सड़क सुरक्षा माह में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. अभियान के तहत वाहन चालकों, रिक्शा चालकों, छात्र-छात्राओं और पैदल राहगीरों को जागरूक किया जा रहा है.