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Police Hitech Stick: मेरठ के युवा ने पुलिसकर्मियों के लिए बनाया हाईटेक डंडा, मुसीबत में भेजेगा लोकेशन और चलाएगा गोली - हाईटेक पुलिस का डंडा

मेरठ के एक इन्नोवेटर ने मुसीबत में पुलिसकर्मियों को बचाने और मदद लिए एक हाईटेक का डंडा तैयार किया है. आइए जानते हैं कि आखिर ये डंडा कैसे पुलिसकर्मियों की मदद करेगा.

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Police Hitech Stick
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Published : Jan 17, 2023, 6:27 PM IST

पुलिस के बनाया गोली चलाने और लोकेशन भेजने वाला डंडा

मेरठ: अक्सर आपने पुलिसकर्मियों के हाथ में डंडा देखा होगा. इसी डंडे को वाराणसी के रहने वाले एक इन्नोवेटर ने हाईटेक बना दिया है. अब यह हाईटेक डंडा जरूरत पड़ने पर पुलिसकर्मी की लोकेशन भेज सकता है और मसीबत के समय गोली भी चला सकता है. इस हाईटेक डंडे की सहारे पुलिसकर्मी को तुरंत मदद मिल जाएगी.

दरअसल, कुछ समय पहले दिल्ली में एक पुलिसकर्मी पर जानलेवा हमला हुआ था, जिसमें उसकी मौत हो गई थी. इसी घटना से आहत होकर वाराणसी के रहने वाले और एमआईईटी इंजीनियरिंग कॉलेज मेरठ के इन्नोवेटर श्याम चौरसिया ने पुलिसकर्मियों के लिए एक खास तरह का हाईटेक डंडा बनाया है. श्याम चौरसिया का दावा है कि यह डंडा मुसीबत पड़ने पर पुलिसकर्मियों के बहुत काम आएगा. ये डंडा दिखने में आम पुलिस के डंडे की तरह ही है, लेकिन ड्यूटी पर तैनात सिपाही की किसी भी स्थिति में नजदीकी थाने व साथी पुलिसकर्मियों तक लोकेश व मैसेज भेज सकता है. इसके साथ ही ये हाईटेक डंडा भीड़ को खदेड़ने के लिये रबड़ की गोलियां भी चला सकता है.

श्याम के मुताबिक लोकेशन और मैसेज भेजने के लिए हाईटेक डंडा थाने से लिंक होगा. इस डंडे का एक कोड होगा जिसकी मदद से थाने में तैनात अधिकारी अपने सिपाही की मुसीबत के समय तत्काल लोकशन पर पहुंच कर मदद कर सकते हैं. श्याम चौरसिया का कहना है कि उत्तरप्रदेश में हीं नहीं बल्कि देश भर में कई बार ऐसी घटनाएं देखने को मिलती हैं. जब ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी पर जानलेवा हमले हुए हैं. ऐसी परिस्थिति में ये हाईटेक पुलिस डंडा जवानों की सुरक्षा के साथ उनके हौसले को भी मजबूत करेगा. इस डंडे में दो बटन लगे हैं. पहला बटन मुसीबत में मदद मांगने के लिए है. वहीं, दूसरा बटन भीड़ के दौरान रबड़ की गोलियों का फायर करने के लिए है. इस हाईटेक डंडे से 50 मीटर तक रबड़ की गोली दागी जा सकती है.

श्याम चौरसिया का कहना है कि आगे इस डंडे में जरूरत पड़ने पर और अधिक तकनीती खूबियों से लैस किया जाएगा.इस डंडे को बनाने के लिए 15 से 20 दिन का समय और लगभग 7 हजार रुपये का खर्च हुआ है. श्याम चौरसिया का यह भी कहना है कि अगर इन डंडों को बड़ी मात्रा में बनाया जाए तो लागत और भी कम आएगी.

यह भी पढ़ें: मेरठ के छात्र ने सेना के जवानों के लिए बनाया स्मार्ट जूता, मुसीबत में आएगा काम

पुलिस के बनाया गोली चलाने और लोकेशन भेजने वाला डंडा

मेरठ: अक्सर आपने पुलिसकर्मियों के हाथ में डंडा देखा होगा. इसी डंडे को वाराणसी के रहने वाले एक इन्नोवेटर ने हाईटेक बना दिया है. अब यह हाईटेक डंडा जरूरत पड़ने पर पुलिसकर्मी की लोकेशन भेज सकता है और मसीबत के समय गोली भी चला सकता है. इस हाईटेक डंडे की सहारे पुलिसकर्मी को तुरंत मदद मिल जाएगी.

दरअसल, कुछ समय पहले दिल्ली में एक पुलिसकर्मी पर जानलेवा हमला हुआ था, जिसमें उसकी मौत हो गई थी. इसी घटना से आहत होकर वाराणसी के रहने वाले और एमआईईटी इंजीनियरिंग कॉलेज मेरठ के इन्नोवेटर श्याम चौरसिया ने पुलिसकर्मियों के लिए एक खास तरह का हाईटेक डंडा बनाया है. श्याम चौरसिया का दावा है कि यह डंडा मुसीबत पड़ने पर पुलिसकर्मियों के बहुत काम आएगा. ये डंडा दिखने में आम पुलिस के डंडे की तरह ही है, लेकिन ड्यूटी पर तैनात सिपाही की किसी भी स्थिति में नजदीकी थाने व साथी पुलिसकर्मियों तक लोकेश व मैसेज भेज सकता है. इसके साथ ही ये हाईटेक डंडा भीड़ को खदेड़ने के लिये रबड़ की गोलियां भी चला सकता है.

श्याम के मुताबिक लोकेशन और मैसेज भेजने के लिए हाईटेक डंडा थाने से लिंक होगा. इस डंडे का एक कोड होगा जिसकी मदद से थाने में तैनात अधिकारी अपने सिपाही की मुसीबत के समय तत्काल लोकशन पर पहुंच कर मदद कर सकते हैं. श्याम चौरसिया का कहना है कि उत्तरप्रदेश में हीं नहीं बल्कि देश भर में कई बार ऐसी घटनाएं देखने को मिलती हैं. जब ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी पर जानलेवा हमले हुए हैं. ऐसी परिस्थिति में ये हाईटेक पुलिस डंडा जवानों की सुरक्षा के साथ उनके हौसले को भी मजबूत करेगा. इस डंडे में दो बटन लगे हैं. पहला बटन मुसीबत में मदद मांगने के लिए है. वहीं, दूसरा बटन भीड़ के दौरान रबड़ की गोलियों का फायर करने के लिए है. इस हाईटेक डंडे से 50 मीटर तक रबड़ की गोली दागी जा सकती है.

श्याम चौरसिया का कहना है कि आगे इस डंडे में जरूरत पड़ने पर और अधिक तकनीती खूबियों से लैस किया जाएगा.इस डंडे को बनाने के लिए 15 से 20 दिन का समय और लगभग 7 हजार रुपये का खर्च हुआ है. श्याम चौरसिया का यह भी कहना है कि अगर इन डंडों को बड़ी मात्रा में बनाया जाए तो लागत और भी कम आएगी.

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