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गुजरात के आणंद से ताल्लुकात रखते हैं अमेरिकी खुफिया विभाग FBI के नए प्रमुख काश पटेल - KASH PATEL

एफबीआई के नये निदेशक काश पटेल गुजरात के आणंद जिले से रखते हैं ताल्लुक

Kash Patel, FBI Chief
काश पटेल, एफबीआई प्रमुख (AP)
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By PTI

Published : Feb 21, 2025, 5:09 PM IST

अहमदाबाद : अमेरिका के संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) के प्रमुख नियुक्त किये गए भारतीय-अमेरिकी काश पटेल गुजरात के आणंद जिले के भद्रन गांव से ताल्लुक रखते हैं, जहां से उनका परिवार सात-आठ दशक पहले युगांडा चला गया था. यह जानकारी उनके समुदाय के सदस्यों ने शुक्रवार को दी.

न्यूयॉर्क में जन्में पटेल (44) पाटीदार समुदाय से हैं. वह अमेरिका की प्रमुख कानून प्रवर्तन एजेंसी का नेतृत्व करने वाले पहले भारतीय-अमेरिकी बन गए हैं. पाटीदार समुदाय के नेताओं ने कहा कि पटेल के सभी करीबी परिजन विदेश में बसे हुए हैं. अफ्रीका जाने के बाद उन्होंने भद्रन में अपने पैतृक मकान बेच दिए.

आणंद स्थित समुदाय का संगठन छगाम पाटीदार मंडल अपने सदस्यों की वंशावली रखता है. संगठन के सचिव और भाजपा की आणंद जिला इकाई के अध्यक्ष राजेश पटेल ने कहा, ‘‘वंशावली में काश पटेल के पिता प्रमोद पटेल और उनके भाइयों और दादा के नाम भी हैं.’’

राजेश पटेल ने बताया कि हालांकि काश पटेल का नाम वंशावली में जोड़ा जाना अभी बाकी है, लेकिन उनके परिवार की 18 पीढ़ियों का रिकॉर्ड इसमें है और इसे उनके कार्यालय में उनके समुदाय के सभी सदस्यों के साथ संग्रहीत किया गया है.

उन्होंने बताया, ‘‘हमारे रिकॉर्ड के अनुसार, परिवार भद्रन गांव के मोती खड़की इलाके में रहता था और वे लगभग 70 से 80 साल पहले युगांडा चले गए थे.’’ राजेश पटेल ने बताया, ‘‘परिवार ने अपना पैतृक मकान और जमीन बेच दी है और उसके सभी रिश्तेदार विदेशों में, खासकर अमेरिका में बस गए हैं. जब काश के परिवार का कोई सदस्य भारत आएगा तो हम वंशावली में उसका नाम सहित अगली पीढ़ी के नाम दर्ज करने की अनुमति मांगेंगे.’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम काश पटेल से नहीं मिले हैं क्योंकि परिवार ने हाल के वर्षों में आणंद का दौरा नहीं किया है. लेकिन हमारे समुदाय के कई लोग उन्हें जानते हैं.’’ राजेश पटेल ने कहा कि जहां तक ​​उन्हें पता है, 1970 में अफ्रीकी देश से निष्कासन के बाद परिवार कुछ समय के लिए भारत लौटा था.

उन्होंने कहा, ‘‘युगांडा से निष्कासित किए गए ये भारतीय कुछ समय के लिए भारत आए थे, क्योंकि उन्होंने ब्रिटेन, अमेरिका या कनाडा में शरण के लिए आवेदन किया था. काश पटेल का परिवार भी कुछ समय के लिए यहां आया था और फिर उनके आवेदन स्वीकार होने के बाद वे कनाडा चले गए.’’

राजेश पटेल ने बताया कि कनाडा से वे अमेरिका चले गए, जहां 1980 में काश पटेल का जन्म हुआ. युगांडा में प्रवास करने वाले भारतीयों को तानाशाह ईदी अमीन ने अफ्रीकी देश से निकाल दिया था, जिन्होंने 1971 में सैन्य तख्तापलट में सत्ता हथिया ली थी. 1972 में, अमीन ने भारतीय समुदाय को 90 दिनों में देश छोड़ने का आदेश दिया.

नये एफबीआई प्रमुख ने कार्यवाहक रक्षा मंत्री क्रिस्टोफर मिलर के पूर्व चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में सेवा दी थी. न्यूयॉर्क के रहने वाले, काश पटेल ने अपनी स्नातक की पढ़ाई रिचमंड विश्वविद्यालय से पूरी की और फिर न्यूयॉर्क लौटकर कानून की डिग्री हासिल की. साथ ही, उन्होंने ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन फैकल्टी ऑफ लॉ से अंतरराष्ट्रीय कानून में प्रमाणपत्र भी हासिल किया. काश पटेल, एक वकील हैं. उन्हें खेलों में ‘आइस हॉकी’ पसंद है.

ये भी पढ़ें : ट्रंप के कट्टर समर्थक और वफादार काश पटेल बने FBI के नौवें निदेशक

अहमदाबाद : अमेरिका के संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) के प्रमुख नियुक्त किये गए भारतीय-अमेरिकी काश पटेल गुजरात के आणंद जिले के भद्रन गांव से ताल्लुक रखते हैं, जहां से उनका परिवार सात-आठ दशक पहले युगांडा चला गया था. यह जानकारी उनके समुदाय के सदस्यों ने शुक्रवार को दी.

न्यूयॉर्क में जन्में पटेल (44) पाटीदार समुदाय से हैं. वह अमेरिका की प्रमुख कानून प्रवर्तन एजेंसी का नेतृत्व करने वाले पहले भारतीय-अमेरिकी बन गए हैं. पाटीदार समुदाय के नेताओं ने कहा कि पटेल के सभी करीबी परिजन विदेश में बसे हुए हैं. अफ्रीका जाने के बाद उन्होंने भद्रन में अपने पैतृक मकान बेच दिए.

आणंद स्थित समुदाय का संगठन छगाम पाटीदार मंडल अपने सदस्यों की वंशावली रखता है. संगठन के सचिव और भाजपा की आणंद जिला इकाई के अध्यक्ष राजेश पटेल ने कहा, ‘‘वंशावली में काश पटेल के पिता प्रमोद पटेल और उनके भाइयों और दादा के नाम भी हैं.’’

राजेश पटेल ने बताया कि हालांकि काश पटेल का नाम वंशावली में जोड़ा जाना अभी बाकी है, लेकिन उनके परिवार की 18 पीढ़ियों का रिकॉर्ड इसमें है और इसे उनके कार्यालय में उनके समुदाय के सभी सदस्यों के साथ संग्रहीत किया गया है.

उन्होंने बताया, ‘‘हमारे रिकॉर्ड के अनुसार, परिवार भद्रन गांव के मोती खड़की इलाके में रहता था और वे लगभग 70 से 80 साल पहले युगांडा चले गए थे.’’ राजेश पटेल ने बताया, ‘‘परिवार ने अपना पैतृक मकान और जमीन बेच दी है और उसके सभी रिश्तेदार विदेशों में, खासकर अमेरिका में बस गए हैं. जब काश के परिवार का कोई सदस्य भारत आएगा तो हम वंशावली में उसका नाम सहित अगली पीढ़ी के नाम दर्ज करने की अनुमति मांगेंगे.’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम काश पटेल से नहीं मिले हैं क्योंकि परिवार ने हाल के वर्षों में आणंद का दौरा नहीं किया है. लेकिन हमारे समुदाय के कई लोग उन्हें जानते हैं.’’ राजेश पटेल ने कहा कि जहां तक ​​उन्हें पता है, 1970 में अफ्रीकी देश से निष्कासन के बाद परिवार कुछ समय के लिए भारत लौटा था.

उन्होंने कहा, ‘‘युगांडा से निष्कासित किए गए ये भारतीय कुछ समय के लिए भारत आए थे, क्योंकि उन्होंने ब्रिटेन, अमेरिका या कनाडा में शरण के लिए आवेदन किया था. काश पटेल का परिवार भी कुछ समय के लिए यहां आया था और फिर उनके आवेदन स्वीकार होने के बाद वे कनाडा चले गए.’’

राजेश पटेल ने बताया कि कनाडा से वे अमेरिका चले गए, जहां 1980 में काश पटेल का जन्म हुआ. युगांडा में प्रवास करने वाले भारतीयों को तानाशाह ईदी अमीन ने अफ्रीकी देश से निकाल दिया था, जिन्होंने 1971 में सैन्य तख्तापलट में सत्ता हथिया ली थी. 1972 में, अमीन ने भारतीय समुदाय को 90 दिनों में देश छोड़ने का आदेश दिया.

नये एफबीआई प्रमुख ने कार्यवाहक रक्षा मंत्री क्रिस्टोफर मिलर के पूर्व चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में सेवा दी थी. न्यूयॉर्क के रहने वाले, काश पटेल ने अपनी स्नातक की पढ़ाई रिचमंड विश्वविद्यालय से पूरी की और फिर न्यूयॉर्क लौटकर कानून की डिग्री हासिल की. साथ ही, उन्होंने ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन फैकल्टी ऑफ लॉ से अंतरराष्ट्रीय कानून में प्रमाणपत्र भी हासिल किया. काश पटेल, एक वकील हैं. उन्हें खेलों में ‘आइस हॉकी’ पसंद है.

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