मेरठ : उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की आहट से प्रदेश भर के ग्रामीण इलाकों में एक बार फिर राजनीति तेज हो गई है. प्रधानी और जिला पंचायत सदस्य पद के प्रत्याशियों ने दावेदारी शुरू कर दी है. जिला प्रशासन जहां मतदाता सूची, पोलिंग बूथ, पोलिंग टीम की सूची बनाने की तैयारी कर रहा है, वहीं संभावित प्रत्याशी भी वोटों के जोड़तोड़ में जुट गए हैं. गांवों में विकास कार्य कराने के दावे किए जा रहे हैं. लेकिन धरातल पर कितना विकास हुआ है, कितनी योजनाएं ग्रामीणों तक पहुंची है, यह जानने के लिए ETV भारत ने ग्रांउड जीरो पर पहुंच कर न सिर्फ गांव में हुए विकास कार्यो का जायजा लिया बल्कि ग्रामीणों के मन टटोलने की कोशिश की.
ग्रामीणों ने ETV भारत से बातचीत में पूर्व में रहे ग्राम प्रधानों का पूरा चिट्ठा खोल दिया. ग्रामीणों का कहना है कि पिछली दो योजनाओं के दौरान गांव में कोई विकास कार्य नहीं हुआ. खास बात तो ये है कि गांव में ओडीएफ योजना के तहत न तो शौचालय बनाये गए और ना ही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर बने हैं. जिसके चलते गरीब असहाय परिवार कच्चे मकानों पर तिरपाल डाल कर जीवन बसर करने को मजबूर हैं.
छलका मेरठ के ग्रामीणों का दर्द गलियों में लगे कूड़े के अंबारETV भारत की टीम पश्चमी उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के मवी मीरा गांव पहुंची. जहां ETV भारत टीम का स्वागत गांव की गलियों में बिखरे कूड़े के ढेरों ने किया. गांव की मुख्य गली के साथ छोटी बड़ी ज्यादातर गलियों में कूड़े के अंबार लगे हैं. जगह-जगह कूड़े के ढेर पर मक्खियां और मच्छर भिनभिनाते नजर आए. जिनसे ग्रामीणों को गंभीर बीमारियों का खतरा बना हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि करीब 4000 की आबादी वाले इस गांव में एक ही सफाई कर्मचारी तैनात हैं, जो महीने में एक दो बार ही आता है और सफाई के नाम पर खानापूर्ति कर चला जाता है.गांव में लगा गंदगी का अंबार 10 साल से नहीं हुआ विकास कार्य ETV भारत से बातचीत में ग्रामीणों ने बताया कि पिछले 10 वर्षों में रहे ग्राम प्रधानों ने कोई विकास कार्य नहीं कराया है. गांव में जो भी गलियां, नालियां, बारात घर बना हुआ है, वह सब दो योजना पहले चुने गए ग्राम प्रधान द्वारा बनवाये गए थे. स्वच्छ पानी के लिए लगाए गए सरकारी नल के भी 15 साल पहले ही लगे हुए हैं, जिनमें से कई नल खराब हो चुके हैं. लेकिन पूर्व में रहे ग्राम प्रधानों ने नए नल लगवाना तो दूर खराब नल की मरम्मत कराना भी जरूरी नहीं समझा. जिसके चलते ग्रामीणों को दूषित पानी पीकर ही गुजर बसर करनी पड़ रही है.
पैसे लेकर भी पीएम आवास योजना में नहीं बने आशियाने
केंद्र एवं राज्य सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हर परिवार को पक्का मकान देने के दावे कर रही है, लेकिन मवी मीरा गांव में 25 से ज्यादा परिवार पीएम आवास योजना के तहत मिलने वाले मकान की बाट जोह रहे हैं. हैरान करने वाली बात तो ये है कि ये परिवार बच्चों के साथ कड़ाके की ठंड में त्रिपाल डाल कर जीवन बसर करने को मज़बूर हैं. ग्रामीण महिला सितारा ने बताया कि वे कई बार पीएम आवास योजना के लिए न सिर्फ आवेदन कर चुकी हैं, बल्कि ग्राम प्रधान और सचिव ने मकान बनवाने के लिए 10-10 हजार रुपये भी लिये हैं. बावजूद इसके इनको आज तक कोई मकान नहीं मिला है, जिससे पीएम आवास योजना की पोल खुलती नजर आ रही है.पक्के मकानों के लिए तरस रहे लोग ओडीएफ योजना में नहीं बने शौचालय देश के प्रधानमंत्री मोदी खुले में मुक्त भारत बनाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन धरातल पर ओडीएफ योजना की पोल खुल रही है. मवी मीरा गांव में 2 दर्जन से ज्यादा परिवार ऐसे भी हैं जो शौचालय के लिए पात्र हैं, लेकिन उन्हें शौचालय नहीं मिला. इसके अलावा दर्जनों परिवार ऐसे हैं जिनके नाम के शौचालय के लिए पैसा आया, लेकिन पात्रों तक नहीं पहुंचा. आरोप है कि अगर किसी के पास आया भी तो आधे से ज्यादा प्रधान और सचिव ने हड़प लिया. ग्रामीणों के मुताबिक सरकार की ओर से दिए गए 12000 रुपये की राशि मे 8000 हजार रुपये प्रधान डकार गए.
गंदगी से अटी पड़ी नालियां
पंचायत चुनाव से पहले मौजूदा प्रधान और अन्य भावी प्रत्याशी वोटों के जोड़तोड़ में लगे हुए हैं. ग्रामीणों से मिलकर अपनी वोट पक्की कर रहे हैं। लेकिन उनको गंदगी से भरी नालियां दिखाई नहीं दे रहीं. नालियों में कबाड़ फंस कर चोक हो चुकी हैं, जिससे पानी निकासी भी प्रभावित हो रही है. घरों से निकलने वाला गंदा पानी नालियों से बाहर निकल रहा है. कई जगह तो नालियां टूट भी गई हैं.
बजट की बंदरबांट का भी है आरोप
ETV भारत की टीम ने गांव की गलियों में घूमकर विकास कार्यो की हकीकत जानने की कोशिश की. ETV भारत से बातचीत में ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व में रहे प्रधानों ने विकास कार्यो के नाम पर आये बजट की बंदरबांट कर ली है. जितना विकास गांव में 10 साल पहले हुआ था आज तक वहीं चला आ रहा है. 10 वर्षों की दो योजनाओं में चुने गए प्रधान ने गांव में न तो कोई गली बनवाई है और ना ही पानी निकासी के लिए नाले का निर्माण कराया है. ग्रामीणों का आरोप है कि प्रधान समेत ऊपर से नीचे तक विकास के पैसे को डकार लेते हैं. जिसके चलते पूरा गांव विकास से वंचित है.