मेरठ: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती को बीजेपी सरकार ने सुशासन दिवस के रूप में मनाया और किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की राशि पहुंचाई. इस अवसर पर कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने किसानों को पत्र भी वितरित कराए. सरकार का उद्देश्य इन पत्रों के माध्यम से किसानों को कृषि कानून की सही जानकारी पहुंचाना और कानून को लेकर जागरूक करना है. केंद्रीय कृषि मंत्री की ओर से भेजे गए पत्र में केंद्र सरकार की कृषि योजनाओं समेत तमाम योजनाओं का वर्णन है. मेरठ के किसानों ने कृषि मंत्रालय के इस पत्र को लॉलीपॉप करार दिया है. किसानों का कहना है कि खेतों में फसल की पैदावार पत्र से नहीं, सस्ते खाद बीज से होती है. किसानों ने कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है.
किसानों को भेजे गए पत्र
स्व. अटल बिहारी बाजपेयी के जन्मदिन पर शुक्रवार को पीएम मोदी ने 9 करोड़ किसानों के खातों में 18 हजार करोड़ रुपये भेजे. यह राशि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत भेजी गई है. कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने किसानों के लिए 8 पन्नों का पत्र भेजकर उन्हें कृषि योजनाओं के बारे में बताने का प्रयास किया. पत्र के माध्यम से किसानों को इस बात का भी आश्वासन दिया गया कि पूर्व में निर्धारित एमएसपी पर इन कानूनों का कोई असर नहीं पड़ेगा और न ही मंडियां बंद की जाएंगी. किसान अपनी फसल को माफिक दाम पर कहीं भी बेच सकता है.
किसानों ने जताई आपत्ति
कृषि मंत्री के पत्र पर मेरठ के किसानों ने आपत्ति जताई है. किसानों का कहना है कि पत्र भेजने से किसानों की समस्या का हल नहीं होने वाला. सरकार को धरातल पर आकर न सिर्फ कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए, बल्कि एमएसपी को लेकर नया कानून बनाना चाहिए. न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दाम पर फसल खरीदने वाले व्यापारी के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान होना चाहिए.
ईटीवी भारत ने किसानों से की बात
ईटीवी भारत से बातचीत में किसानों ने बताया कि सरकार फसलों के लिए एमएसपी निर्धारित कर इन कानूनों में बदलाव करें. किसानों का कहना है कि सरकार के पत्रों से किसानों का भला नहीं होगा. किसान दिन रात मेहनत कर फसल पैदा कर रहा है. उनकी फसल का जब तक वाजिब दाम नहीं मिलेगा, किसानों का भला नहीं हो सकता.
किसानों की सरकार को दो टूक
किसानों ने सरकार से दो टूक कहा कि सरकार इन कानूनों में संशोधन करे या फिर इन्हें वापस लेकर किसानों के मुताबिक नया कानून बनाए. इन कानूनों से बड़े काश्तकारों को तो फायदा पहुंच सकता है, लेकिन छोटे किसान का कोई फायदा होने वाला नहीं है. पत्र के माध्यम से किसान को जागरूक करने के सवाल पर किसानों ने कहा कि किसान अब अनपढ़ नहीं है जो जागरूक करने जरूरत पड़ेगी. ये सिर्फ किसानों को बहकाने का एक तरीका है.