मेरठ: आमतौर विद्युत विभाग लोगों पर पेनाल्टी लगाता है लेकिन अब जो होने जा रहा है वो एकदम अलग है. विद्युत विभाग अब उपभोक्ता की किसी समस्या का अगर समय से समाधान नहीं करता तो उसे मुआवजा देना होगा. राज्य विद्युत नियामक इकाई (State Electricity Regulatory Unit) की ओर से इस बारे में स्टैंडर्ड ऑफ परफॉर्मेंस रेग्यूलेशन (SOP) जारी कर दी गई है. मुआवजे स्वरूप जो राशि दी जानी है, उसमें भी अलग-अलग वजहों के लिए अलग-अलग दरों का निर्धारण किया गया है.
अक्सर देखा जाता है कि लोग अपनी विद्युत विभाग से जुड़ी समस्याओं (problems related to electricity department) को लेकर एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर के चक्कर लगाते हैं. ऐसे में उपभोक्ताओं का वक्त तो बर्बाद होता ही है, समाधान के लिए मानसिक तनाव भी झेलना होता है. हालांकि अब प्रदेश में विद्युत विभाग को चुस्त-दुरुस्त करने की दिशा में कुछ विशेष कदम उठाए गए हैं.
राज्य विद्युत नियामक आयोग (State Electricity Regulatory Commission) ने SOP के तहत मुआवजा राशि तय की है और शिकायतों के समय से निस्तारण के लिए फुलप्रूफ प्लान तैयार किया है. यानी अब विभाग के जिम्मेदारों को यहां बेहद ही सजग रहना होगा. अब किसी भी तरह की समस्या आने पर विद्युत विभाग को तय समय सीमा की परिधि में अपने ग्राहकों को संतुष्ट करना ही होगा. अगर ऐसा नहीं होता है तो मुआवजा विद्युत विभाग उपभोक्ता को देगा. अलग-अलग कार्य में विलंब होने पर अलग-अलग दरें तय की जा चुकीं हैं.
राज्य विद्युत नियामक की तरफ से 50 से 200 रुपये तक प्रतिदिन का मुआवजा निर्धारित किया गया है. ये व्यवस्था अप्रैल माह से लागू कर दी गयी है. इतना ही नहीं मुआवजे की राशि का भुगतान करने के लिए भी समय सीमा निर्धारित की गई है. उपभोक्ता को क्लेम के बाद 60 दिन के अंदर-अंदर पावर कार्पोरेशन मुआवजा देगा.
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इस बारे में पश्चिमांचल विद्युत वितरण खंड के महाप्रबंधक अरविंद मलप्पा बंगारी का कहना है कि आवश्यक दिशानिर्देश जारी कर दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि निश्चित ही इससे कार्यप्रणाली में और भी बेहतर सुधार होंगे. इस बारे में हमने विद्युत विभाग के कई अफसरों से भी बात की. वे इस पर फिलहाल असमंजस में हैं जबकि कुछ अफसरों का कहना है कि इससे उनपर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा.
वहीं, अगर शहरी क्षेत्र में ट्रांसफॉर्मर बदलने के लिए 24 घण्टे जबकि देहात एरिया में ट्रांसफार्मर बदलने के लिए 48 घंटे का समय निर्धारण किया गया है. इस अवधि में अगर ट्रांसफार्मर नहीं बदला जाता है तो संबंधित ट्रांसफॉर्मर से जुड़े सभी उपभोक्ताओं को 50 रुपये प्रतिदिन का मुआवजा विभाग की तरफ से देना होगा. इसी तरह पावर कारपोरेशन की लाइनों इन ब्रेकडाउन होने के बाद समय से सही न कर पाने पर या मिटर संबंधी शिकायतों का समय से निस्तारण न होने पर 50 रुपये का मुआवजा विभाग उपभोक्ता को देगा.
शिकायत | मुआवजा रुपये प्रतिदिन |
भूमिगत केबल फाल्ट | 50 |
सामान्य फ्यूज उड़ने पर | 50 |
ट्रांसफार्मर से वोल्टेज समस्या | 50 |
मीटर शिफ्ट करने पर | 50 |
जला मिटर न बदलने पर | 50 |
लोड घटाने और बढाने पर | 50 |
बिल सम्बन्धित | 50 |
मीटर रीडिंग में देरी होने पर | 200 |
जला ट्रांसफॉर्मर न बदलने पर | 50 |
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