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मेरठ: आत्मनिर्भर भारत का आधार बनेगी नई शिक्षा नीति: डॉ. रमेश पोखरियाल - भारत का वाणिज्य और व्यापार

यूपी के मेरठ में शिक्षा मंत्रालय और एसोचैम शिक्षा परिषद ने संयुक्त रूप से वेबीनार का आयोजन किया. इस दौरान नई शिक्षा नीति पर चर्चा की गई. इस वेबीनार के मुख्य अतिथि शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक रहे.

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वेबीनार को संबोधित करते केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक.
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Published : Oct 9, 2020, 8:18 PM IST

मेरठ: भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय और एसोचैम शिक्षा परिषद ने संयुक्त रूप से वेबीनार का आयोजन किया. वेबीनार का विषय 'नई शिक्षा नीति के आने के बाद भारतीय शिक्षा के सुनहरे भविष्य' था. वेबीनार में मुख्य अतिथि केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक रहे. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य अच्छे इंसानों को विकसित करना है, न कि मशीनों को विकसित करना.

केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह एक राष्ट्रीय केंद्रित नीति है, जो मानवीय मूल्यों से भरी है. इस शिक्षा नीति में नवाचार, ज्ञान, अनुसंधान और प्रौद्योगिकी को तवज्जो दी गई है. डॉ. निशंक ने कहा कि शायद यह दुनिया की पहली ऐसी शिक्षा नीति है, जिसमें 33 करोड़ छात्रों और उनके माता-पिता, राजनेताओं, राज्य सरकारों और उनके शिक्षा मंत्रियों के साथ 1000 से अधिक विश्वविद्यालयों, 45 हजार डिग्री कॉलेज, 15 लाख स्कूलों, एक लाख शिक्षकों और शिक्षाविदों के साथ परामर्श कर 2.25 लाख सुझाव को शामिल किया गया.

केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. निशंक ने बताया कि आज लगभग 8 से 10 देशों ने अपने शिक्षा मंत्रियों के साथ हमसे संपर्क किया है. जो भारत की नई शिक्षा नीति को अपने देशों में लागू करने की इच्छा दिखा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार का किसी भी राज्य पर कोई भाषा लागू करने का इरादा नहीं है. हम 22 भारतीय भाषाओं को मजबूत करने के पक्ष में हैं और हम इन सभी भाषाओं को बढ़ावा देना चाहते हैं. किंतु लोगों को यह समझने की आवश्यकता है कि अंग्रेजी एक भारतीय भाषा नहीं है.

प्रगति ​के लिए जरूरी नहीं अंग्रेजी

डॉ. निशंक ने कहा कि मैं उन लोगों को बताना चाहता हूं, जो तर्क देते हैं कि अगर हम अंग्रेजी नहीं सीखते हैं तो हम वैश्विक स्तर पर प्रगति नहीं कर सकते हैं. हमें जापान, रूस जैसे देशों को देखने की जरूरत है. इजरायल, फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका सभी अपनी भाषा में शिक्षा प्रदान करते हैं. देश को दिखाई नई दिशा एसोचैम शिक्षा परिषद के सह-अध्यक्ष एवं शोभित विश्वविद्यालय के कुलाधिपति कुंवर शेखर विजेंद्र ने कहा कि आपने केवल नई शिक्षा नीति नहीं दी है, बल्कि देश को नई दिशा दिखाते हुए नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए एक मार्ग प्रशस्त किया है. उन्होंने कहा कि नवाचार, ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान किसी भी राष्ट्र के निर्माण के महत्वपूर्ण अंग हैं. भारत को विश्व गुरु का खिताब दिलाने में नई शिक्षा नीति एक महत्वपूर्ण योगदान देने वाली होगी. भारत के 1000 से अधिक विश्वविद्यालयों के पास वह क्षमता है, जिससे वह अपने संस्थानों को तक्षशिला, नालंदा जैसे प्राचीन विश्वविद्यालय के पूर्व गौरव को फिर से हासिल कर सकेंगे.

वेबीनार में इन्होंने भी रखे अपने विचार

वेबीनार में एसोचैम के सेक्रेटरी जनरल दीपक सूद, एसोचैम शिक्षा परिषद के प्रेसिडेंट डॉ. प्रशांत भल्ला, अशोका विश्वविद्यालय के ट्रस्टी विनीत गुप्ता, एकेस यूनिवर्सिटी के चेयरमैन अनंत कुमार सोनी, फिलिपलन एजुकेशन के एमडी दिव्या लाल, सूर्यदत्ता एजुकेशन फाउंडेशन के चेयरमैन प्रो. डॉ. संजय, सीनियर निदेशक एसोचैम शिक्षा परिषद नीरज अरोरा ने भी नई शिक्षा नीति पर अपने विचार रखे.

मेरठ: भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय और एसोचैम शिक्षा परिषद ने संयुक्त रूप से वेबीनार का आयोजन किया. वेबीनार का विषय 'नई शिक्षा नीति के आने के बाद भारतीय शिक्षा के सुनहरे भविष्य' था. वेबीनार में मुख्य अतिथि केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक रहे. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य अच्छे इंसानों को विकसित करना है, न कि मशीनों को विकसित करना.

केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह एक राष्ट्रीय केंद्रित नीति है, जो मानवीय मूल्यों से भरी है. इस शिक्षा नीति में नवाचार, ज्ञान, अनुसंधान और प्रौद्योगिकी को तवज्जो दी गई है. डॉ. निशंक ने कहा कि शायद यह दुनिया की पहली ऐसी शिक्षा नीति है, जिसमें 33 करोड़ छात्रों और उनके माता-पिता, राजनेताओं, राज्य सरकारों और उनके शिक्षा मंत्रियों के साथ 1000 से अधिक विश्वविद्यालयों, 45 हजार डिग्री कॉलेज, 15 लाख स्कूलों, एक लाख शिक्षकों और शिक्षाविदों के साथ परामर्श कर 2.25 लाख सुझाव को शामिल किया गया.

केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. निशंक ने बताया कि आज लगभग 8 से 10 देशों ने अपने शिक्षा मंत्रियों के साथ हमसे संपर्क किया है. जो भारत की नई शिक्षा नीति को अपने देशों में लागू करने की इच्छा दिखा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार का किसी भी राज्य पर कोई भाषा लागू करने का इरादा नहीं है. हम 22 भारतीय भाषाओं को मजबूत करने के पक्ष में हैं और हम इन सभी भाषाओं को बढ़ावा देना चाहते हैं. किंतु लोगों को यह समझने की आवश्यकता है कि अंग्रेजी एक भारतीय भाषा नहीं है.

प्रगति ​के लिए जरूरी नहीं अंग्रेजी

डॉ. निशंक ने कहा कि मैं उन लोगों को बताना चाहता हूं, जो तर्क देते हैं कि अगर हम अंग्रेजी नहीं सीखते हैं तो हम वैश्विक स्तर पर प्रगति नहीं कर सकते हैं. हमें जापान, रूस जैसे देशों को देखने की जरूरत है. इजरायल, फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका सभी अपनी भाषा में शिक्षा प्रदान करते हैं. देश को दिखाई नई दिशा एसोचैम शिक्षा परिषद के सह-अध्यक्ष एवं शोभित विश्वविद्यालय के कुलाधिपति कुंवर शेखर विजेंद्र ने कहा कि आपने केवल नई शिक्षा नीति नहीं दी है, बल्कि देश को नई दिशा दिखाते हुए नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए एक मार्ग प्रशस्त किया है. उन्होंने कहा कि नवाचार, ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान किसी भी राष्ट्र के निर्माण के महत्वपूर्ण अंग हैं. भारत को विश्व गुरु का खिताब दिलाने में नई शिक्षा नीति एक महत्वपूर्ण योगदान देने वाली होगी. भारत के 1000 से अधिक विश्वविद्यालयों के पास वह क्षमता है, जिससे वह अपने संस्थानों को तक्षशिला, नालंदा जैसे प्राचीन विश्वविद्यालय के पूर्व गौरव को फिर से हासिल कर सकेंगे.

वेबीनार में इन्होंने भी रखे अपने विचार

वेबीनार में एसोचैम के सेक्रेटरी जनरल दीपक सूद, एसोचैम शिक्षा परिषद के प्रेसिडेंट डॉ. प्रशांत भल्ला, अशोका विश्वविद्यालय के ट्रस्टी विनीत गुप्ता, एकेस यूनिवर्सिटी के चेयरमैन अनंत कुमार सोनी, फिलिपलन एजुकेशन के एमडी दिव्या लाल, सूर्यदत्ता एजुकेशन फाउंडेशन के चेयरमैन प्रो. डॉ. संजय, सीनियर निदेशक एसोचैम शिक्षा परिषद नीरज अरोरा ने भी नई शिक्षा नीति पर अपने विचार रखे.

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