मेरठ: दिव्यांगता कोई अभिशाप नहीं है. इस बात को साबित कर दिखाया मेरठ के दो सगे भाईयों आयुष और पीयूष ने. जी हां, दोनों की भाई लगातार अलग-अलग क्षेत्रों में समाजसेवा के कार्य करते हैं. इतना ही नहीं कई लोगों को मोटिवेट कर चुके हैं, जिसके चलते प्रदेश सरकार ने 3 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगता दिवस पर उन्हें राज्य पुरस्कार से सम्मानित (State government honored Divyang Ayush) किया गया है. इससे परिवार में सभी बेहद प्रसन्न हैं.
ईटीवी भारत से खास बात-चीत में आयुष ने बताया कि दिव्यांगता शरीर से हो सकती है. लेकिन मन से नहीं होनी चाहिए. वह बताते हैं कि बेशक तमाम बाधाएं उनके सामने हर दिन आती हों, लेकिन उन दोनों भाइयों ने हमेशा वही किया जो उन्हें सही लगा. आयुष कहते हैं कि वह सभी दर्शकों से यहीं कहना चाहते हैं कि देश में दिव्यांग बहुत हैं. ऐसे में उनका होंसला बढाएं, क्योंकि हो सकता है आपका मोटीवेशन किसी और की जिंदगी बदल दे.
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आयुष ने बताया कि, जब वह दोनों भाई स्कूल में पढ़ते थे, तब उन्हें केंद्र सरकार के एक मंत्री ने पत्र लिखकर उनके प्रयासों के लिए सराहना की थी. बस तभी से तय कर लिया कि अब रुकना नहीं है. बल्कि जो भी दिव्यांग या अन्य लोग हैं, जो कि निराशावादी हो गए हैं. उनके लिए प्रेरक बनकर उन्हें उठाने का कार्य ही करना है.
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आयुष की मां का कहना है कि, दिव्यांगता अभिशाप नहीं है. इस बात को साबित करने में उनके दोनों बेटे लगे हुए हैं. उन्होंने कहा कि, आयुष और पीयूष उनके जुड़वा बेटे हैं. जन्म से ही मस्तिष्क पक्षाघात यानी (cerebral palsy ) सेरेब्रल पाल्सी बीमारी से ग्रसित हैं. काफी समस्याओं का सामना भी करना पड़ा, लेकिन उनके बेटे बड़े ही हिम्मती हैं, जो आज वह समाज के हित में कार्य कर रहे हैं.
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गौरतलब है कि, दोनों भाई यूं तो वर्तमान में बीएड कर रहे हैं, लेकिन अब तक सैकड़ों शिक्षण संस्थानों में जाकर स्टूडेंट्स को मोटिवेट करने का कार्य करते हैं. आयुष ने बताया कि दोनों भाइयों ने तय किया है कि वह चाहे जिन समस्याओं से भी ग्रसित हैं, लेकिन समाज के लिए जैसे भी कार्य कर सकते हैं वह करेंगे.
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