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मेरठ: फसल प्रबंधन से कम किया जा सकता है ओलावृष्टि से हुआ नुकसान

उत्तर प्रदेश के मेरठ में बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को काफी नुकसान हुआ है. इस समस्या पर कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि फसल की भरपाई प्रबंधन से की जा सकती है.

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फसल प्रबंधन से फसल को बचाया जा सकता है
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Published : Dec 13, 2019, 10:16 AM IST

मेरठ: बारिश और ओलावृष्टि से फसलों में हुए नुकसान को लेकर किसान काफी परेशान है. इस ओलावृष्टि से आलू की फसल चौपट हो गई है. वहीं कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस फसल की भरपाई प्रबंधन से की जा सकती है. किसानों को मौसम को देखते हुए अपनी फसलों के प्रबंधन पर जोर देना चाहिए.

फसल प्रबंधन से फसल को बचाया जा सकता है
कृषि विज्ञान केंद्र के फॉर्म मैनेजर डॉ. अशोक सिंह का कहना है कि पिछले दिनों कुछ स्थानों पर जमकर ओलावृष्टि हुई. इस ओलावृष्टि से फसलों को काफी नुकसान हुआ है. सबसे अधिक नुकसान आलू की फसल को हुआ है. ओलावृष्टि से फसलों की पत्ती नष्ट हो गई है. ओलावृष्टि से हुए नुकसान को फसल प्रबंधन से कम किया जा सकता है.

उपाय से फसल की जा सकती है रिकवरी
यदि किसान कुछ उपाय अभी कर ले तो जो नुकसान फसलों में हुआ है उसके रिकवरी की जा सकती है. यदि आलू की फसल एक महीने की हो गई है तो उसमें यूरिया की टॉप ड्रेसिंग कर देनी चाहिए. ऐसा करने से फसल में फिर से नया फुटाव होगा. उसके 10 दिन बाद फसल में एनपीके घोल का स्प्रे करना चाहिए. ऐसा करने से फसल में रिकवरी अच्छी आ जाएगी. इसके अलावा सर्दी के मौसम में सिंचाई का खास ध्यान रखना होगा.

ओलावृष्टि के बाद मौसम में बदलाव आया है. रात में पाला गिर रहा है, जिस कारण फसल का प्रबंधन करना बेहद आवश्यक है. पाला गिरने से सिंचाई का ध्यान रखना बेहद जरूरी है, इसलिए किसानों को मौसम का पूरा ध्यान रखते हुए सिंचाई और खाद प्रबंधन पर अपना ध्यान देना होगा.
-डॉ. अशोक सिंह, केवीके फार्म मैनेजर

मेरठ: बारिश और ओलावृष्टि से फसलों में हुए नुकसान को लेकर किसान काफी परेशान है. इस ओलावृष्टि से आलू की फसल चौपट हो गई है. वहीं कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस फसल की भरपाई प्रबंधन से की जा सकती है. किसानों को मौसम को देखते हुए अपनी फसलों के प्रबंधन पर जोर देना चाहिए.

फसल प्रबंधन से फसल को बचाया जा सकता है
कृषि विज्ञान केंद्र के फॉर्म मैनेजर डॉ. अशोक सिंह का कहना है कि पिछले दिनों कुछ स्थानों पर जमकर ओलावृष्टि हुई. इस ओलावृष्टि से फसलों को काफी नुकसान हुआ है. सबसे अधिक नुकसान आलू की फसल को हुआ है. ओलावृष्टि से फसलों की पत्ती नष्ट हो गई है. ओलावृष्टि से हुए नुकसान को फसल प्रबंधन से कम किया जा सकता है.

उपाय से फसल की जा सकती है रिकवरी
यदि किसान कुछ उपाय अभी कर ले तो जो नुकसान फसलों में हुआ है उसके रिकवरी की जा सकती है. यदि आलू की फसल एक महीने की हो गई है तो उसमें यूरिया की टॉप ड्रेसिंग कर देनी चाहिए. ऐसा करने से फसल में फिर से नया फुटाव होगा. उसके 10 दिन बाद फसल में एनपीके घोल का स्प्रे करना चाहिए. ऐसा करने से फसल में रिकवरी अच्छी आ जाएगी. इसके अलावा सर्दी के मौसम में सिंचाई का खास ध्यान रखना होगा.

ओलावृष्टि के बाद मौसम में बदलाव आया है. रात में पाला गिर रहा है, जिस कारण फसल का प्रबंधन करना बेहद आवश्यक है. पाला गिरने से सिंचाई का ध्यान रखना बेहद जरूरी है, इसलिए किसानों को मौसम का पूरा ध्यान रखते हुए सिंचाई और खाद प्रबंधन पर अपना ध्यान देना होगा.
-डॉ. अशोक सिंह, केवीके फार्म मैनेजर

Intro:मेरठ: फसल प्रबंधन से कम किया जा सकता है ओलावृष्टि से हुआ नुकसान
मेरठ। बारिश और ओलावृष्टि से फसलों में हुए नुकसान की भरपाई फसल प्रबंधन से की जा सकती है। किसानों को मौसम को देखते हुए अपनी फसलों के प्रबंधन पर जोर देना चाहिए, ऐसा कहना है कृषि विशेषज्ञों का।






Body:कृषि विज्ञान केंद्र के फॉर्म मैनेजर डॉ अशोक सिंह का कहना है कि पिछले दिनों कुछ स्थानों पर जमकर ओलावृष्टि हुई। इस ओलावृष्टि से फसलों को काफी नुकसान हुआ है। सबसे अधिक नुकसान आलू की फसल को हुआ है। ओलावृष्टि से फसलों की पत्ती नष्ट हो गई है। ओलावृष्टि से हुए नुकसान को फसल प्रबंधन से कम किया जा सकता है। डॉ अशोक सिंह का कहना है कि यदि किसान कुछ उपाय अभी कर ले तो जो नुकसान फसलों में हुआ है उसके रिकवरी की जा सकती है। उन्होंने बताया कि यदि आलू की फसल एक महीने की हो गई है तो उसमें यूरिया की टॉप ड्रेसिंग कर देनी चाहिए। ऐसा करने से फसल में फिर से नया फुटाव होगा। उसके 10 दिन बाद फसल में एनपीके घोल का स्प्रे करना चाहिए। ऐसा करने से फसल में रिकवरी अच्छी आ जाएगी। इसके अलावा सर्दी के मौसम में सिंचाई का खास ध्यान रखना होगा।




Conclusion:डा अशोक सिंह के अनुसार ओलावृष्टि के बाद मौसम में बदलाव आया है। रात में पाला गिर रहा है, जिस कारण फसल का प्रबंधन करना बेहद आवश्यक है। पाला गिरने से सिंचाई का ध्यान रखना बेहद जरूरी है, इसलिए किसानों को मौसम का पूरा ध्यान रखते हुए सिंचाई और खाद प्रबंधन पर अपना ध्यान देना होगा।

बाइट- डॉ, अशोक सिंह, केवीके फार्म मैनेजर

अजय चौहान
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