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Meerut News : बीते पांच साल में आयुर्वेद ने देश दुनिया का भरोसा जीता, विशेषज्ञों ने कही यह बात

बीते पांच साल में आयुर्वेद ने तेजी से देश दुनिया के लोगों (Meerut News) का भरोसा जीता है. वर्ष 2017 से 2021 तक 600 गुना बढ़ोतरी भी औषधियों के बाजार में हुई है. सरकार आयुरटेक यानी आयुर्वेद और टेक्नोलॉजी को इंटीग्रेटेड के जरिए देश में आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है.

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Published : Mar 13, 2023, 1:02 PM IST

Meerut News : बीते पांच साल में आयुर्वेद ने देश दुनिया का भरोसा जीता.

मेरठ : कोरोनाकाल के बाद से आयुर्वेद का डंका भारत में ही नहीं दुनिय्या भर में बजा है. लोगों का तेजी से इसकी तरफ रुझान बढ़ रहा है. इस पद्धति को देश और दुनिया अपनाया जा रहा है. ईटीवी भारत ने पद्मश्री पदमविभूषण से सम्मानित वैध देवेंद्र त्रिगुणा से बातचीत की. वह बताते हैं कि आयुर्वेद के क्षेत्र में बीते 14 से 15 वर्षों में बड़े बदलाव हुए हैं. उन्हें खुशी है कि सरकार इस मामले में बेहद ही गंभीरता से निरंतर कोशिश कर रही हैं. उन्होंने कहा कि जब देश में प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव थे तब विभाग बनाया गया. इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने भी काफी ध्यान दिया.

पदमविभूषण से सम्मानित वैध देवेंद्र त्रिगुणा बताते हैं कि वर्ष 2014 के बाद जब पीएम मोदी आए तो काफी ध्यान आयुर्वेद को बढ़ावा देने को किए गए. बजट भी बढ़ाया गया. पीएम मोदी ने अलग से मंत्रालय आयुष मंत्रालय की स्थापना करके बड़ा निर्णय लिया. सरकार का यह कदम भी काफी सराहनीय है कि उन्होंने पहली बार करीब 6 साल पहले विभाग का ही सचिव भी देश को दिया, जबकि उससे पहले देश में कोई न कोई आईएएस ही इसके सचिव हुआ करते थे.

राजवैध देवेंद्र त्रिगुणा का यह मानना है कि जिस वक्त देश दुनिया के ऊपर कोविड का खतरा मंडरा रहा था, तो उस वक्त देखेंगे तो पता चलता है कि कोविडकाल में किस तरह से आयुर्वेद और योग ने कार्य किया. तब हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वर्चुअल संवाद करके जरूरी सुझाव दिए थे. इसके बाद काढ़ा बना, च्यवनप्राश, ब्रह्म रसायन बना या जो भी अन्य प्रोडक्ट तैयार किए गए उससे कोविड भी कम हुआ. लोगों की इम्युनिटी भी बढ़ी. मेरा यह मानना है कि हमारी भारत सरकार इस पर बहुत काम कर रही है. हमारा आपस में किसी भी पद्वति में विरोध नहीं होना चाहिए. एलोपैथी की भी अपनी जरूरत है आयुर्वेद की भी अपनी जरूरत है. बहरहाल लाइफस्टाइल की वजह से जो बीमारियां हैं, जितनी क्रोनिक बीमारियां आदि हैं उसमें आयुर्वेद की चिकित्सा बहुत ही कारगर है. जो भी व्यक्ति आयुर्वेद की चिकित्सा में आता है तो उसे साइड इफेक्ट्स नहीं होते. फिलवक्त न सिर्फ देश में बल्कि देश के बाहर भी आयुर्वेद की तरफ लोगों का झुकाव बढ़ रहा है.

आयुष मंत्रालय भारत सरकार के सलाहकार और देश के प्रसिद्ध वैध मनोज नेसरी बताते हैं कि वर्ष 2017 में आयुवेद का जो मार्केट था वह 3 बिलियन डॉलर था. वर्ष 2021 नवम्बर में हुए सर्वे में जो बात निकलकर सामने आई तो देखा गया कि इसमें 600 गुना इजाफा हुआ और यह 18.2 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया. वह बताते हैं कि मेडिसिल प्लांट की लागत को बढ़ावा दिया है. मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर में रिसर्च लाए हैं, मानकीकरण पर काफी जोर दिया है. आयुरटेक यानी आयुर्वेद और टेक्नोलॉजी को इंटीग्रेटेड करके हमने IIT इत्यादि के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. CSR के साथ भी मिलकर काम कर रहे हैं. तकनीकी को साथ जोड़कर काफी कार्य किया है. जिसके चलते इसका सारा परिणाम हमें ग्लोबली मार्केट में दिखाई देता है. अभी काफी सारी कोशिशें की जा रही हैं. जी 20 में पीएम ने काफी बढ़ावा दिया है. 25 देशों के समूह शंघाई कॉर्पोरेशन ऑर्गेनाइजेशन हो चाहे, आशियान सभी में बढ़ावा आयुर्वेद को मिल रहा है. और भी इसी तरह से लगातार सरकार की तरफ से प्रयास जारी हैं।

यह भी पढ़ें : Budget session second phase: राहुल के बयान पर हंगामा, लोकसभा की कार्यवाही स्थगित

Meerut News : बीते पांच साल में आयुर्वेद ने देश दुनिया का भरोसा जीता.

मेरठ : कोरोनाकाल के बाद से आयुर्वेद का डंका भारत में ही नहीं दुनिय्या भर में बजा है. लोगों का तेजी से इसकी तरफ रुझान बढ़ रहा है. इस पद्धति को देश और दुनिया अपनाया जा रहा है. ईटीवी भारत ने पद्मश्री पदमविभूषण से सम्मानित वैध देवेंद्र त्रिगुणा से बातचीत की. वह बताते हैं कि आयुर्वेद के क्षेत्र में बीते 14 से 15 वर्षों में बड़े बदलाव हुए हैं. उन्हें खुशी है कि सरकार इस मामले में बेहद ही गंभीरता से निरंतर कोशिश कर रही हैं. उन्होंने कहा कि जब देश में प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव थे तब विभाग बनाया गया. इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने भी काफी ध्यान दिया.

पदमविभूषण से सम्मानित वैध देवेंद्र त्रिगुणा बताते हैं कि वर्ष 2014 के बाद जब पीएम मोदी आए तो काफी ध्यान आयुर्वेद को बढ़ावा देने को किए गए. बजट भी बढ़ाया गया. पीएम मोदी ने अलग से मंत्रालय आयुष मंत्रालय की स्थापना करके बड़ा निर्णय लिया. सरकार का यह कदम भी काफी सराहनीय है कि उन्होंने पहली बार करीब 6 साल पहले विभाग का ही सचिव भी देश को दिया, जबकि उससे पहले देश में कोई न कोई आईएएस ही इसके सचिव हुआ करते थे.

राजवैध देवेंद्र त्रिगुणा का यह मानना है कि जिस वक्त देश दुनिया के ऊपर कोविड का खतरा मंडरा रहा था, तो उस वक्त देखेंगे तो पता चलता है कि कोविडकाल में किस तरह से आयुर्वेद और योग ने कार्य किया. तब हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वर्चुअल संवाद करके जरूरी सुझाव दिए थे. इसके बाद काढ़ा बना, च्यवनप्राश, ब्रह्म रसायन बना या जो भी अन्य प्रोडक्ट तैयार किए गए उससे कोविड भी कम हुआ. लोगों की इम्युनिटी भी बढ़ी. मेरा यह मानना है कि हमारी भारत सरकार इस पर बहुत काम कर रही है. हमारा आपस में किसी भी पद्वति में विरोध नहीं होना चाहिए. एलोपैथी की भी अपनी जरूरत है आयुर्वेद की भी अपनी जरूरत है. बहरहाल लाइफस्टाइल की वजह से जो बीमारियां हैं, जितनी क्रोनिक बीमारियां आदि हैं उसमें आयुर्वेद की चिकित्सा बहुत ही कारगर है. जो भी व्यक्ति आयुर्वेद की चिकित्सा में आता है तो उसे साइड इफेक्ट्स नहीं होते. फिलवक्त न सिर्फ देश में बल्कि देश के बाहर भी आयुर्वेद की तरफ लोगों का झुकाव बढ़ रहा है.

आयुष मंत्रालय भारत सरकार के सलाहकार और देश के प्रसिद्ध वैध मनोज नेसरी बताते हैं कि वर्ष 2017 में आयुवेद का जो मार्केट था वह 3 बिलियन डॉलर था. वर्ष 2021 नवम्बर में हुए सर्वे में जो बात निकलकर सामने आई तो देखा गया कि इसमें 600 गुना इजाफा हुआ और यह 18.2 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया. वह बताते हैं कि मेडिसिल प्लांट की लागत को बढ़ावा दिया है. मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर में रिसर्च लाए हैं, मानकीकरण पर काफी जोर दिया है. आयुरटेक यानी आयुर्वेद और टेक्नोलॉजी को इंटीग्रेटेड करके हमने IIT इत्यादि के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. CSR के साथ भी मिलकर काम कर रहे हैं. तकनीकी को साथ जोड़कर काफी कार्य किया है. जिसके चलते इसका सारा परिणाम हमें ग्लोबली मार्केट में दिखाई देता है. अभी काफी सारी कोशिशें की जा रही हैं. जी 20 में पीएम ने काफी बढ़ावा दिया है. 25 देशों के समूह शंघाई कॉर्पोरेशन ऑर्गेनाइजेशन हो चाहे, आशियान सभी में बढ़ावा आयुर्वेद को मिल रहा है. और भी इसी तरह से लगातार सरकार की तरफ से प्रयास जारी हैं।

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