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घर-घर जाकर खोजे जाएंगे टीबी के मरीज

यूपी के मऊ में टीबी हारेगा, देश जीतेगा अभियान शुरू हो गया है. यह अभियान जनपद में एक माह के लिए चलेगा. इस अभियान का दूसरा चरण दो जनवरी से शुरू हो चुका है.

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Published : Jan 6, 2021, 5:16 AM IST

घर-घर जाकर खोजे जाएंगे टीबी के मरीज
घर-घर जाकर खोजे जाएंगे टीबी के मरीज

मऊः राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जनपद में एक माह तक 'टीबी हारेगा, देश जीतेगा' अभियान तीन चरणों में चलाया जा रहा है. जिसका दूसरा चरण 'सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान' (एसीएफ) दो जनवरी से शुरू हो चुका है. दस दिन चलने वाले इस अभियान में घर-घर जाकर स्क्रीनिग की जाएगी. जिसमें टीबी के मिलते-जुलते लक्षण मिलने पर बलगम की जांच कराई जाएगी.

12 जनवरी तक चलाया जाएगा अभियान
बता दें कि एसीएफ अभियान 12 जनवरी तक चलाया जाएगा. तीन चरणों के इस अभियान में प्रथम चरण का अभियान 26 दिसम्बर 2020 से 01 जनवरी 2021 तक चला. जिसमें अनाथालय, वृद्धाआश्रम, नारी निकेतन, बाल संरक्षण गृह, मदरसा, नवोदय विद्यालय एवं जिला कारागार में क्षय रोग एवं कोविड-19 की संयुक्त स्क्रीनिंग हुई. इसमें 746 मरीजों की स्क्रीनिंग की गयी. जिसमें 333 कोविड एवं 17 व्यक्तियों की बलगम की जांच की गयी. स्क्रीनिंग में सभी निगेटिव पाये गये. यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सतीश चन्द्र सिंह ने दी.

बलगम जांच के लिए भेजा जाता है बीएचयू
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि जिले में एक अप्रैल 2018 के बाद से चल रहे 'निक्षय पोषण' योजना के तहत टीबी रोगियों को इलाज के दौरान आधार लिंक खाते में 500 रुपये हर माह पौष्टिक आहार के लिए दिये जाते हैं. मरीज की सुविधा के लिए उनके निवास के नजदीक ही डॉट्स केंद्र बनाये गए हैं. जिन रोगियों में टीबी के संभावित लक्षण पाए जाते हैं, उनको जिला अस्पताल में स्थापित ड्रग रेजीस्टेंट (डीआर) टीबी सेन्टर में भर्ती कर इलाज शुरू किया जाता है. रोगियों के बलगम की जांच के लिए बीएचयू भेजा जाता है.

मुफ्त मिलता है टीबी का इलाज
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि टीबी की सभी प्रकार की जांच एवं इलाज मुफ्त में उपलब्ध कराई जाते हैं. जिले के सभी सरकारी एवं स्वैच्छिक संगठनों के चिकित्सालयों में टीबी की जांच व इलाज की सुविधा निःशुल्क उपलब्ध करायी जा रही है. उन्होंने बताया कि टीबी एक संक्रामक रोग है जो आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करता है.

सबसे अधिक टीबी रोगी भारत में
डॉ. सतीश चन्द्र ने बताया कि फेफड़ों के अलावा नाखून एवं बाल को छोड़कर शरीर के किसी भी भाग में टीबी हो सकती है. अन्य रोगों के मुकाबले टीबी दुनिया भर में दूसरा सबसे बड़ा जानलेवा रोग है. पूरे विश्व के 27% टीबी रोगी भारत में और भारत में सबसे अधिक टीबी से ग्रसित लोग उत्तर प्रदेश में हैं. भारत सरकार द्वारा वर्ष 2025 तक देश को टीबी से मुक्त करने का संकल्प लिया गया है.

मऊः राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जनपद में एक माह तक 'टीबी हारेगा, देश जीतेगा' अभियान तीन चरणों में चलाया जा रहा है. जिसका दूसरा चरण 'सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान' (एसीएफ) दो जनवरी से शुरू हो चुका है. दस दिन चलने वाले इस अभियान में घर-घर जाकर स्क्रीनिग की जाएगी. जिसमें टीबी के मिलते-जुलते लक्षण मिलने पर बलगम की जांच कराई जाएगी.

12 जनवरी तक चलाया जाएगा अभियान
बता दें कि एसीएफ अभियान 12 जनवरी तक चलाया जाएगा. तीन चरणों के इस अभियान में प्रथम चरण का अभियान 26 दिसम्बर 2020 से 01 जनवरी 2021 तक चला. जिसमें अनाथालय, वृद्धाआश्रम, नारी निकेतन, बाल संरक्षण गृह, मदरसा, नवोदय विद्यालय एवं जिला कारागार में क्षय रोग एवं कोविड-19 की संयुक्त स्क्रीनिंग हुई. इसमें 746 मरीजों की स्क्रीनिंग की गयी. जिसमें 333 कोविड एवं 17 व्यक्तियों की बलगम की जांच की गयी. स्क्रीनिंग में सभी निगेटिव पाये गये. यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सतीश चन्द्र सिंह ने दी.

बलगम जांच के लिए भेजा जाता है बीएचयू
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि जिले में एक अप्रैल 2018 के बाद से चल रहे 'निक्षय पोषण' योजना के तहत टीबी रोगियों को इलाज के दौरान आधार लिंक खाते में 500 रुपये हर माह पौष्टिक आहार के लिए दिये जाते हैं. मरीज की सुविधा के लिए उनके निवास के नजदीक ही डॉट्स केंद्र बनाये गए हैं. जिन रोगियों में टीबी के संभावित लक्षण पाए जाते हैं, उनको जिला अस्पताल में स्थापित ड्रग रेजीस्टेंट (डीआर) टीबी सेन्टर में भर्ती कर इलाज शुरू किया जाता है. रोगियों के बलगम की जांच के लिए बीएचयू भेजा जाता है.

मुफ्त मिलता है टीबी का इलाज
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि टीबी की सभी प्रकार की जांच एवं इलाज मुफ्त में उपलब्ध कराई जाते हैं. जिले के सभी सरकारी एवं स्वैच्छिक संगठनों के चिकित्सालयों में टीबी की जांच व इलाज की सुविधा निःशुल्क उपलब्ध करायी जा रही है. उन्होंने बताया कि टीबी एक संक्रामक रोग है जो आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करता है.

सबसे अधिक टीबी रोगी भारत में
डॉ. सतीश चन्द्र ने बताया कि फेफड़ों के अलावा नाखून एवं बाल को छोड़कर शरीर के किसी भी भाग में टीबी हो सकती है. अन्य रोगों के मुकाबले टीबी दुनिया भर में दूसरा सबसे बड़ा जानलेवा रोग है. पूरे विश्व के 27% टीबी रोगी भारत में और भारत में सबसे अधिक टीबी से ग्रसित लोग उत्तर प्रदेश में हैं. भारत सरकार द्वारा वर्ष 2025 तक देश को टीबी से मुक्त करने का संकल्प लिया गया है.

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