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महानगरों में काम खोजने वाला अब गांव में ही दे रहा लोगों को रोजगार - 25 people got employment in Indira village

यूपी के मऊ जिले के एक गांव के युवा ने लॉकडाउन दौरान नौकरी छिन जाने के बाद खुद का रोजगार शुरू कर दिया. युवा ने गांव में ही छोटी सी फैक्ट्री की शुरुआत कर स्थीनीय लोगों को रोजगार का अवसर उपलब्ध कराया है.

इंदारा गांव, मऊ.
इंदारा गांव, मऊ.
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Published : Feb 5, 2021, 4:49 PM IST

मऊः वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान जब लॉकडाउन लगा तो लाखों लोगों का रोजगार छिन गया. महानगरों में काम करने वाले कामगार अपने घर वापस लौट आए. ऐसे हालात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'आत्मनिर्भर' ने नारा दिया था. इसी आत्मनिर्भर स्लोगन का असर मऊ के इंदारा गांव में देखने को मिल रहा है. लॉकडाउन के दौरान काम छिन जाने के बाद इंदारा निवासी संजय पांडे ने आपदा को अवसर में बदल दिया. संजय ने गांव में ही सोनपापड़ी और खाद्य पदार्थों के निर्माण के लिए छोटी सी फैक्ट्री की शुरुआत की है. संजय इस छोटे से व्यवसाय से कई बेरोजगारों को गांव में ही रोजगार दिया है.

इंदारा गांव, मऊ.
बिहार और मध्यप्रदेश में खाद्य पद्यार्थों की सप्लाई
गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश और मुंबई में काम करने वाले लोगों का जब काम छूट गया तो संजय पांडे ने अपने ही प्लांट में इन्हें काम उपलब्ध करवाया. महानगरों में काम ढूंढने वाले करीब 25 लोगों को संजय की छोटी सी फैक्ट्री में काम मिल गया है. फैक्ट्री में काम करने वाले हलवाई रामचंद्र बताते हैं कि वह आंध्र प्रदेश में एक फैक्ट्री में काम करते थे. लॉकडाउन के दौरान जब रोजगार छिन गया तो अपने घर आकर के बेरोजगार बैठे थे. इसी दौरान चर्चा में संजय पांडे से बातचीत हुई और गांव में ही इन लोगों ने सोनपापड़ी और खाद्य की फैक्टरी शुरू कर दी. उन्होंने बताया कि अब यहां पर प्रोडक्ट बना करके बिहार, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में भेजा जा रहा है. जिसकी मार्केट में मांग खूब हो रही है.

गांव में ही मिला रोजगार
फैक्ट्री में काम करने वाली सुनीता बताती हैं कि देश में लॉकडान के दौरान उनके बेटे का काम छिन गया और वह घर पर बैठा था. घर पर रोटी रोजी की चिंता सता रही थी, ऐसे में गांव में फैक्ट्री शुरू हो जाने से अब जीविकोपार्जन के लिए साधन मिल गया है. फैक्ट्री में 3000 रुपये प्रति महीने मिल रहे हैं, जिससे परिवार का खर्चा चल रहा है.

लोगों को रोजगार देकर मिल रहा सुकून
फैक्ट्री के मालिक संजय पांडे ने बताया कि वह पिछले 10 सालों से बाहर काम करते था लेकिन जब लॉकडाउन लगा तो रोजगार छिन जाने से घर चला आया. यहां पर काम धंधे को लेकर काफी चिंतित था. इसी बीच परिवार वालों से सहयोग लेकर मैंने गांव में ही छोटी सी फैक्ट्री स्थापित की. इस फैक्ट्री में स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया. उन्होंने बताया कि काम शुरू होने के बाद उनकी फैक्ट्री की डिमांड काफी बढ़ गई है. आज हालात यह है मार्केट में सप्लाई नहीं दे पा रहा हूं. उन्होंने बताया कि 25 लोगों को रोजगार देकर काफी मुझे सुकून मिल रहा है.

मऊः वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान जब लॉकडाउन लगा तो लाखों लोगों का रोजगार छिन गया. महानगरों में काम करने वाले कामगार अपने घर वापस लौट आए. ऐसे हालात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'आत्मनिर्भर' ने नारा दिया था. इसी आत्मनिर्भर स्लोगन का असर मऊ के इंदारा गांव में देखने को मिल रहा है. लॉकडाउन के दौरान काम छिन जाने के बाद इंदारा निवासी संजय पांडे ने आपदा को अवसर में बदल दिया. संजय ने गांव में ही सोनपापड़ी और खाद्य पदार्थों के निर्माण के लिए छोटी सी फैक्ट्री की शुरुआत की है. संजय इस छोटे से व्यवसाय से कई बेरोजगारों को गांव में ही रोजगार दिया है.

इंदारा गांव, मऊ.
बिहार और मध्यप्रदेश में खाद्य पद्यार्थों की सप्लाई
गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश और मुंबई में काम करने वाले लोगों का जब काम छूट गया तो संजय पांडे ने अपने ही प्लांट में इन्हें काम उपलब्ध करवाया. महानगरों में काम ढूंढने वाले करीब 25 लोगों को संजय की छोटी सी फैक्ट्री में काम मिल गया है. फैक्ट्री में काम करने वाले हलवाई रामचंद्र बताते हैं कि वह आंध्र प्रदेश में एक फैक्ट्री में काम करते थे. लॉकडाउन के दौरान जब रोजगार छिन गया तो अपने घर आकर के बेरोजगार बैठे थे. इसी दौरान चर्चा में संजय पांडे से बातचीत हुई और गांव में ही इन लोगों ने सोनपापड़ी और खाद्य की फैक्टरी शुरू कर दी. उन्होंने बताया कि अब यहां पर प्रोडक्ट बना करके बिहार, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में भेजा जा रहा है. जिसकी मार्केट में मांग खूब हो रही है.

गांव में ही मिला रोजगार
फैक्ट्री में काम करने वाली सुनीता बताती हैं कि देश में लॉकडान के दौरान उनके बेटे का काम छिन गया और वह घर पर बैठा था. घर पर रोटी रोजी की चिंता सता रही थी, ऐसे में गांव में फैक्ट्री शुरू हो जाने से अब जीविकोपार्जन के लिए साधन मिल गया है. फैक्ट्री में 3000 रुपये प्रति महीने मिल रहे हैं, जिससे परिवार का खर्चा चल रहा है.

लोगों को रोजगार देकर मिल रहा सुकून
फैक्ट्री के मालिक संजय पांडे ने बताया कि वह पिछले 10 सालों से बाहर काम करते था लेकिन जब लॉकडाउन लगा तो रोजगार छिन जाने से घर चला आया. यहां पर काम धंधे को लेकर काफी चिंतित था. इसी बीच परिवार वालों से सहयोग लेकर मैंने गांव में ही छोटी सी फैक्ट्री स्थापित की. इस फैक्ट्री में स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया. उन्होंने बताया कि काम शुरू होने के बाद उनकी फैक्ट्री की डिमांड काफी बढ़ गई है. आज हालात यह है मार्केट में सप्लाई नहीं दे पा रहा हूं. उन्होंने बताया कि 25 लोगों को रोजगार देकर काफी मुझे सुकून मिल रहा है.

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