मथुरा: हरिद्वार कुंभ से पूर्व वैष्णव बैठक 16 फरवरी को वसंत पंचमी के दिन वृंदावन में होगी. यमुना नदी के किनारे भव्यता के साथ वैष्णव बैठक का ध्वजारोण होगा. वृंदावन लोई बाजार स्थित प्रेम पुजारी का परिवार पिछले 11 पीढ़ियों से कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक के शाही ध्वज पूजन का पारंपरिक रूप से निर्वहन कर रहा है. प्रेम पुजारी परिवार के लोगों ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है और कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक की पिछले सैकड़ों वर्षों से यही परंपरा चली आ रही है.
हरिद्वार कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक
वृंदावन यमुना नदी के किनारे कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक भव्य और दिव्यता के साथ प्रारंभ होती है. इसमें देश के कोने-कोने से साधु-संत वैष्णव बैठक में पहुंचते हैं. साधु-संत यमुना नदी के किनारे स्नान भी करते हैं. कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक वृंदावन में कल यानी 16 फरवरी से 28 मार्च तक होगी.
11 पीढ़ियां कर रहीं ध्वज पूजन
वृंदावन कस्बे के लोई बाजार मोहल्ले में रहने वाले प्रेम पुजारी का परिवार वृंदावन के मिनी कुंभ मेले में ध्वज पूजन का दायित्व पिछले कई दशकों से निभा रहा है. पुरोहित परिवार की 11वीं पीढ़ी के सदस्य कल कुंभ मेले में ध्वज पूजन करेंगे. कुंभ स्थल पर ध्वज पूजन को लेकर परिवार के सभी सदस्य पारंपारिक दस्तावेजों के साथ मंत्र उच्चारण करते नजर आएंगे.
पीढ़ी दर पीढ़ी नाम
प्रेम पुजारी, पंडित टिकधार, पंडित गोवर्धन, पंडित बालमुकुंद, पंडित जगन्नाथ, पंडित केशव देव, पंडित भोलानाथ, पंडित रामगोपाल, मिलन बिहारी विजय बिहारी, शरद बिहारी और गिरधर गोपाल मयंक गौड़.
कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक में पहुंचेंगे साधु-संत मंडलेश्वर
वृंदावन यमुना नदी के किनारे वसंत पंचमी के दिन कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक शुरू होने जा रही है. इसमें संत महात्मा महामंडलेश्वर अनी अखाड़े के महंत पहुंचेंगे. यहां पर हरिद्वार कुंभ को लेकर वैष्णव संतों की बैठक होती है. हरिद्वार कुंभ के बारे में वैष्णव साधु-संत विस्तृत रूप से चर्चा करते हैं.
तीर्थ पुरोहित लाला पहलवान सुभाष ने बताया कि हरिद्वार कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक अति प्राचीन है. जब समुद्र मंथन हुआ था, अमृत कलश धन मंत्री लेकर निकले थे. उस समय गरुण सर्वप्रथम अमृत कलश को सुरक्षित वृंदावन लेकर आए. कदंब के वृक्ष पर रखा गया. वृंदावन में ही देवी-देवताओं ने बैठक की थी. बैठक इस मसले पर थी कि उस अमृत कलश की रक्षा राक्षसों से कैसे की जाए. कुम्भापुर वैष्णव बैठक में चतुर्थ संप्रदाय के महंत रहते हैं, जिन्हें एक कुनबा बोला जाता है.
शरद बिहारी शास्त्री तीर्थ पुरोहित ने बताया कि वृंदावन कुंभ काफी प्राचीन है. जब भी कुंभ का मेला होता है, कुंभ राशि में गुरु और सूर्य दोनों ग्रह होते हैं. तभी वृंदावन धाम का कुंभ मेला लगता है. इसी तरह मेष राशि में सूर्य और कुंभ राशि में गुरु होते हैं, तो हरिद्वार कुंभ प्रारंभ होता है. वसंत पंचमी का ऐसा मुहूर्त है कि हरिद्वार कुंभ एक वर्ष पूर्व लग रहा है.