मथुरा: श्री कृष्ण जन्मभूमि ईदगाह प्रकरण को लेकर विवादित स्थान का सर्वे होने के आदेश के बाद मुस्लिम पक्ष अपने पुराने दस्तावेजों को खंगालने में लगा है. इस मामले में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने कहा कि, न्यायालय के अवकाश खत्म होने के बाद 2 जनवरी को न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्च कोर्ट में जाएंगे. उन्होंनें कहा कि, विपक्ष अधिवक्ताओं को कोई भी नोटिस जारी नहीं हुआ और यह फैसला सुना दिया गया. जो कि स्वीकार नहीं किया जाएगा.
दरअसल, श्रीकृष्ण जन्मभूमि प्रकरण को लेकर जिला न्यायलय ने शुक्रवार को आदेश जारी किया था. सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट ने विवादित स्थान पर सरकारी अमीन भेजने के आदेश दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने इसकी रिपोर्ट 20 जनवरी तक न्यायालय में प्रस्तुत करने को कहा है. श्रीकृष्ण जन्मभूमि ईदगाह के प्रकरण को लेकर नए वादी हिंदू सेना ने 8 दिसंबर को न्यायालय में प्रार्थना पत्र दाखिल किया था. इसमें मांग की गई थी कि विवादित स्थान का मौका मुआयना कराकर सरकारी अमीन की रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत कराई जाए. इसके बाद 23 दिसंबर को देर शाम को न्यायालय ने यह आदेश जारी किया.
सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट ने हिंदू सेना के प्रार्थना पत्र पर संज्ञान लेते हुए विवादित स्थान पर सरकारी अमीन भेजने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि मौके की भौगोलिक स्थिति मुआयना और जो विवादित स्थान है उसकी जमीनी हकीकत न्यायालय के सामने 20 जनवरी तक पेश की जाए. हिंदू सेना ने 8 दिसंबर को श्रीकृष्ण जन्मस्थान ईदगाह प्रकरण को लेकर सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया था. न्यायालय में प्रार्थना पत्र स्वीकार करते हुए 20 दिसंबर को सुनवाई निर्धारित की गई थी. लेकिन, 20 दिसंबर को नो वर्क होने के कारण मामले की सुनवाई नहीं हो सकी. इसके बाद 23 दिसंबर को वादी के प्रार्थना पत्र पर फैसला देते हुए कोर्ट ने कहा कि मौके पर सरकारी अमीन भेजकर मौके की भौगोलिक स्थिति विवादित स्थान का सर्वे रिपोर्ट 20 जनवरी तक न्यायालय में पेश की जाए.
बता दें कि, श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है. 11 एकड़ में श्री कृष्ण जन्मभूमि लीला मंच, भागवत भवन और 2.37 एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. श्री कृष्ण जन्मस्थान जो प्राचीन विराजमान कटरा केशव देव मंदिर की जगह पर बना हुआ है. कोर्ट में दाखिल सभी प्रार्थना पत्र में यह मांग की जा रही है पूरी जमीन भगवान श्रीकृष्ण जन्मभूमि को वापस की जाए. 1968 में श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और श्रीकृष्ण जन्म भूमि सेवा ट्रस्ट में जो समझौता हुआ था. उसे जमीन डिक्री करने का कोई अधिकार नहीं है.