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मृतक घोषित हुआ जवाहर बाग का मुख्य आरोपी, अब निगम जारी करेगा मृत्यु प्रमाणपत्र

मथुरा के जवाहर बाग कांड के साढ़े पांच साल बाद पुलिस ने भी मान लिया है कि मुख्य आरोपी रामवृक्ष यादव मर चुका है. मथुरा पुलिस ने हाईकोर्ट में यह जानकारी लिखित में दी है. इसका खुलासा रामवृक्ष के बेटे राजनारायण से पिता का मृत्यु प्रमाणपत्र मांगने के बाद हुआ है.

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Published : Apr 11, 2022, 8:33 AM IST

मथुरा: मथुरा के जवाहर बाग कांड के साढ़े पांच साल बाद पुलिस ने भी मान लिया है कि मुख्य आरोपी रामवृक्ष यादव मर चुका है. मथुरा पुलिस ने हाईकोर्ट में यह जानकारी लिखित में दी है. इसका खुलासा रामवृक्ष के बेटे राजनारायण से पिता का मृत्यु प्रमाणपत्र मांगने के बाद हुआ है. साथ ही बताया गया कि आरोपी रामवृक्ष यादव की मौत का प्रमाणपत्र भी जल्द ही जारी किया जाएगा, क्योंकि रामवृक्ष के बेटे राजनारायण ने हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था.

2 जून, 2016 को हुई हिंसक घटना: 2 जून, 2016 को जवाहर बाग को कब्जामुक्त कराते हुए तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और तत्कालीन थाना प्रभारी फरह संतोष यादव शहीद हो गए थे. जवाहर बाग हिंसा में 29 लोगों की मौत हुई थी. लेकिन रामवृक्ष यादव के मरने की कोई पुष्टि नहीं हुई थी. वहीं, इस हिंसक घटना की तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. जिसके साढे़ पांच साल बाद हिंसक घटना के मुख्य आरोपी रामवृक्ष यादव की मृत्यु का खुलासा हुआ है और अब हाईकोर्ट में मथुरा नगर निगम ने रामवृक्ष यादव के मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने की बात कही है.

बेटे ने हाईकोर्ट में दिया था प्रार्थनापत्र: रामवृक्ष यादव के बेटे राजनारायण निवासी गांव रायपुर गाजीपुर ने हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था कि उसके पिता की मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किया जाए. कोर्ट ने मथुरा जिला प्रशासन से पूछा कि लिखित में दस्तावेज पेश किए जाएं. साथ ही कोर्ट ने मथुरा वृंदावन नगर निगम को रामवृक्ष यादव का मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने को भी कहा है और साथ ही रामवृक्ष यादव की मौत स्वीकार करने वाले पुलिस का पत्र भी भेजा गया है.

मध्य प्रदेश से दिल्ली धरना प्रदर्शन के लिए जा रहे कुछ लोगों ने मथुरा में 2014 के अप्रैल माह में पड़ाव डाल दिया था. जिला प्रशासन से रात बिताने की अनुमति मांगी गई थी, जिसके बाद जिला प्रशासन ने सहमति दे दी थी. लेकिन धीरे-धीरे रामवृक्ष यादव अपने साथियों के साथ जवाहर बाग जो कि सरकारी जमीन जिला उद्यान विभाग 270 एकड़ में फैला हुआ है पर कब्जा करने लगा. कई बार जिला प्रशासन ने खाली कराने की कोशिश भी की, लेकिन हर बार कोशिश नाकाम रही.

कथित सत्याग्रह कर सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा के मामले में 2 जून, 2016 को हिंसक घटना घटी थी. जिसमें मुख्य आरोपी रामवृक्ष यादव की भी मौत हो गई थी. लेकिन जिला प्रशासन और सीबीआई ने रामवृक्ष यादव की मौत छुपाए रखी. लेकिन अब उसके मौत होने की बात को मान लिया गया है और हाईकोर्ट के निर्देश पर अब मथुरा नगर निगम मृत्यु प्रमाणपत्र भी जारी करने जा रहा है.

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मथुरा: मथुरा के जवाहर बाग कांड के साढ़े पांच साल बाद पुलिस ने भी मान लिया है कि मुख्य आरोपी रामवृक्ष यादव मर चुका है. मथुरा पुलिस ने हाईकोर्ट में यह जानकारी लिखित में दी है. इसका खुलासा रामवृक्ष के बेटे राजनारायण से पिता का मृत्यु प्रमाणपत्र मांगने के बाद हुआ है. साथ ही बताया गया कि आरोपी रामवृक्ष यादव की मौत का प्रमाणपत्र भी जल्द ही जारी किया जाएगा, क्योंकि रामवृक्ष के बेटे राजनारायण ने हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था.

2 जून, 2016 को हुई हिंसक घटना: 2 जून, 2016 को जवाहर बाग को कब्जामुक्त कराते हुए तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और तत्कालीन थाना प्रभारी फरह संतोष यादव शहीद हो गए थे. जवाहर बाग हिंसा में 29 लोगों की मौत हुई थी. लेकिन रामवृक्ष यादव के मरने की कोई पुष्टि नहीं हुई थी. वहीं, इस हिंसक घटना की तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. जिसके साढे़ पांच साल बाद हिंसक घटना के मुख्य आरोपी रामवृक्ष यादव की मृत्यु का खुलासा हुआ है और अब हाईकोर्ट में मथुरा नगर निगम ने रामवृक्ष यादव के मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने की बात कही है.

बेटे ने हाईकोर्ट में दिया था प्रार्थनापत्र: रामवृक्ष यादव के बेटे राजनारायण निवासी गांव रायपुर गाजीपुर ने हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था कि उसके पिता की मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किया जाए. कोर्ट ने मथुरा जिला प्रशासन से पूछा कि लिखित में दस्तावेज पेश किए जाएं. साथ ही कोर्ट ने मथुरा वृंदावन नगर निगम को रामवृक्ष यादव का मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने को भी कहा है और साथ ही रामवृक्ष यादव की मौत स्वीकार करने वाले पुलिस का पत्र भी भेजा गया है.

मध्य प्रदेश से दिल्ली धरना प्रदर्शन के लिए जा रहे कुछ लोगों ने मथुरा में 2014 के अप्रैल माह में पड़ाव डाल दिया था. जिला प्रशासन से रात बिताने की अनुमति मांगी गई थी, जिसके बाद जिला प्रशासन ने सहमति दे दी थी. लेकिन धीरे-धीरे रामवृक्ष यादव अपने साथियों के साथ जवाहर बाग जो कि सरकारी जमीन जिला उद्यान विभाग 270 एकड़ में फैला हुआ है पर कब्जा करने लगा. कई बार जिला प्रशासन ने खाली कराने की कोशिश भी की, लेकिन हर बार कोशिश नाकाम रही.

कथित सत्याग्रह कर सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा के मामले में 2 जून, 2016 को हिंसक घटना घटी थी. जिसमें मुख्य आरोपी रामवृक्ष यादव की भी मौत हो गई थी. लेकिन जिला प्रशासन और सीबीआई ने रामवृक्ष यादव की मौत छुपाए रखी. लेकिन अब उसके मौत होने की बात को मान लिया गया है और हाईकोर्ट के निर्देश पर अब मथुरा नगर निगम मृत्यु प्रमाणपत्र भी जारी करने जा रहा है.

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