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इस बार नहीं होगा अहोई अष्टमी पर राधा कुंड में स्नान, जाने क्या है वजह...

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Published : Nov 7, 2020, 10:01 PM IST

यूपी के मथुरा जिले में अहोई अष्टमी के दिन राधा कुंड पर स्नान कार्यक्रम को कोविड-19 की वजह से निरस्त कर दिया गया है. एसडीएम राहुल ने बताया राधा कुंड में अहोई अष्टमी की मध्यरात्रि को विशेष स्नान कार्यक्रम निरस्त किया गया है. कुंड के चारों तरफ बैरिकेडिंग लगाई गई हैं. कोई भी व्यक्ति इस बार स्नान नहीं करेगा.

अहोई अष्टमी पर राधा कुंड में स्नान.
अहोई अष्टमी पर राधा कुंड में स्नान.

मथुराः गोवर्धन परिक्रमा मार्ग में स्थित राधाकुंड में अहोई अष्टमी की मध्यरात्रि को विशेष स्नान होता है. पुत्र प्राप्ति के लिए देश ही नहीं विदेशों से हर साल लाखों श्रद्धालु यहां स्नान करने के लिए पहुंचते हैं. इस कुंड में पति पत्नी एक साथ स्नान करते हैं. राधा कुंड को पुत्र प्राप्ति कुंड भी कहा जाता है. कोविड-19 की वजह से राधा कुंड में विशेष स्नान कार्यक्रम निरस्त कर दिया है. दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं.

अहोई अष्टमी पर राधा कुंड में स्नान.

अहोई अष्टमी पर विशेष स्नान
जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर गोवर्धन कस्बा जहां परिक्रमा मार्ग में राधा कुंड स्थित है. इस कुंड में अहोई अष्टमी की मध्यरात्रि को पति-पत्नी एक साथ स्नान करने से संतान प्राप्ति होती है और श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. दूरदराज से लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने स्नान करने के लिए आते हैं.

अहोई अष्टमी स्नान पर कोविड-19 का ग्रहण
हर साल अहोई अष्टमी की मध्यरात्रि को दूरदराज से लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां स्नान करने के लिए पहुंचते हैं, लेकिन इस बार कोविड-19 के चलते 8 नवंबर को जिला प्रशासन का पहरा लगाया गया है. कोई भी श्रद्धालु राधा कुंड स्नान नहीं कर सकेगा. जिला प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं.

पौराणिक मान्यताएं
मान्यता है कि मथुरा के राजा कंस ने कृष्ण को मारने के लिए अरिष्टासुर राक्षस को यहां भेजा था. राक्षस ने गाय रूपी भेष धारण किया और ग्वालवालों के यहां गाय को मारने लगा. कृष्ण त्रिलोकी थे, उन्होंने अरिष्टासुर राक्षस को पहचान लिया और उसका वध कर दिया. राधा ने देखा की कृष्ण ने गो हत्या कर दी है. राधा ने कृष्ण से कहा इस पाप से मुक्ति पाने के लिए आपको सभी नदियों में जाकर स्नान करना पड़ेगा. तभी आपको इस पाप से मुक्ति मिलेगी.

कृष्ण ने नारद का आह्वान किया. कृष्ण ने नारदजी से कहा सभी तीर्थों को यहां आने के लिए निमंत्रण भेजो. मान्यता है कि इसलिए इस कुंड में सभी तीर्थों का वास है. कृष्ण जब गो हत्या के श्राप से मुक्त होने के लिए कृष्ण और राधा ने एक साथ कुंड में स्नान किया. उस दिन कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी थी. राधा ने आशीर्वाद दिया कि कोई भी दंपत्ति अहोई अष्टमी के दिन मध्यरात्रि में एक साथ स्नान करेंगे तो उनको संतान प्राप्ति होगी.

एसडीएम राहुल ने बताया राधा कुंड में अहोई अष्टमी की मध्यरात्रि को विशेष स्नान होता है. जिसे संतान प्राप्ति स्नान भी कहा जाता है, लेकिन कोविड-19 की वजह से 8 नवंबर मध्य रात्रि को स्नान कार्यक्रम निरस्त किया गया है. कुंड के चारों तरफ बैरिकेडिंग लगाई गई हैं. कोई भी व्यक्ति इस बार स्नान नहीं करेगा.

मथुराः गोवर्धन परिक्रमा मार्ग में स्थित राधाकुंड में अहोई अष्टमी की मध्यरात्रि को विशेष स्नान होता है. पुत्र प्राप्ति के लिए देश ही नहीं विदेशों से हर साल लाखों श्रद्धालु यहां स्नान करने के लिए पहुंचते हैं. इस कुंड में पति पत्नी एक साथ स्नान करते हैं. राधा कुंड को पुत्र प्राप्ति कुंड भी कहा जाता है. कोविड-19 की वजह से राधा कुंड में विशेष स्नान कार्यक्रम निरस्त कर दिया है. दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं.

अहोई अष्टमी पर राधा कुंड में स्नान.

अहोई अष्टमी पर विशेष स्नान
जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर गोवर्धन कस्बा जहां परिक्रमा मार्ग में राधा कुंड स्थित है. इस कुंड में अहोई अष्टमी की मध्यरात्रि को पति-पत्नी एक साथ स्नान करने से संतान प्राप्ति होती है और श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. दूरदराज से लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने स्नान करने के लिए आते हैं.

अहोई अष्टमी स्नान पर कोविड-19 का ग्रहण
हर साल अहोई अष्टमी की मध्यरात्रि को दूरदराज से लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां स्नान करने के लिए पहुंचते हैं, लेकिन इस बार कोविड-19 के चलते 8 नवंबर को जिला प्रशासन का पहरा लगाया गया है. कोई भी श्रद्धालु राधा कुंड स्नान नहीं कर सकेगा. जिला प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं.

पौराणिक मान्यताएं
मान्यता है कि मथुरा के राजा कंस ने कृष्ण को मारने के लिए अरिष्टासुर राक्षस को यहां भेजा था. राक्षस ने गाय रूपी भेष धारण किया और ग्वालवालों के यहां गाय को मारने लगा. कृष्ण त्रिलोकी थे, उन्होंने अरिष्टासुर राक्षस को पहचान लिया और उसका वध कर दिया. राधा ने देखा की कृष्ण ने गो हत्या कर दी है. राधा ने कृष्ण से कहा इस पाप से मुक्ति पाने के लिए आपको सभी नदियों में जाकर स्नान करना पड़ेगा. तभी आपको इस पाप से मुक्ति मिलेगी.

कृष्ण ने नारद का आह्वान किया. कृष्ण ने नारदजी से कहा सभी तीर्थों को यहां आने के लिए निमंत्रण भेजो. मान्यता है कि इसलिए इस कुंड में सभी तीर्थों का वास है. कृष्ण जब गो हत्या के श्राप से मुक्त होने के लिए कृष्ण और राधा ने एक साथ कुंड में स्नान किया. उस दिन कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी थी. राधा ने आशीर्वाद दिया कि कोई भी दंपत्ति अहोई अष्टमी के दिन मध्यरात्रि में एक साथ स्नान करेंगे तो उनको संतान प्राप्ति होगी.

एसडीएम राहुल ने बताया राधा कुंड में अहोई अष्टमी की मध्यरात्रि को विशेष स्नान होता है. जिसे संतान प्राप्ति स्नान भी कहा जाता है, लेकिन कोविड-19 की वजह से 8 नवंबर मध्य रात्रि को स्नान कार्यक्रम निरस्त किया गया है. कुंड के चारों तरफ बैरिकेडिंग लगाई गई हैं. कोई भी व्यक्ति इस बार स्नान नहीं करेगा.

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