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आज भी जहन में ताजा है जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें

मथुरा के जवाहर बाग कांड की आज 5वीं बरसी है. 2 जून 2016 को जवाहर बाग में सरकारी जमीन खाली कराते समय हिंसक घटना हुई थी, जिसमें 29 लोगों की जान चली गई थी. गोली लगने से एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी भी शहीद हो गए थे. जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें आज भी लोगों के जहन में ताजा हैं.

जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें
जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें
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Published : Jun 2, 2021, 7:38 PM IST

मथुरा: दो जून 2016 को जवाहर बाग खाली कराते समय हुई हिंसक घटना की गवाही आज भी उसके अंदर जले हुए पेड़ और जले हुए वाहन देते हैं. तीन हजार सत्याग्रहियों ने पुलिस के ऊपर अंधाधुंध फायरिंग की और हाथ गोले फेंके थे. इस हमले में दो पुलिस के अधिकारी सहित 29 लोगों की जानें गई थी. जवाहर बाग की हिंसक घटना यादें आज भी लोगों के जहन में ताजा हैं.

जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें
2 जून को हुई थी हिंसक घटना, शहीद हो गए थे एसपी सिटी सिविल लाइन क्षेत्र जिला उद्यान विभाग की 270 एकड़ जमीन में जवाहर बाग स्थापित है. पेड़-पौधे हरियाली से घिरा हुआ है यह बाग. मगर आज ही के दिन 2016 की शाम तकरीबन चार बजे तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी पुलिस फोर्स के साथ जवाहर बाग में दाखिल हुए और लाउडस्पीकर से कथित सत्याग्रहियों से बाग खाली करने की अपील की. लेकिन लोगों ने पुलिस पर पथराव और फायरिंग शुरू कर दी. गोली लगने से एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी शहीद हो गए.
जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें
जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें

पुलिस ने की जवाबी कार्रवाई
जवाहर बाग में एसपी सिटी के गोली लगने से मौत की सूचना मिलने के बाद पुलिस फोर्स बौखला गई. मास्टरमाइंड रामवृक्ष यादव सहित कई कथित सत्याग्रही हिंसक झड़प के दौरान गोली के शिकार हुए. कथित सत्याग्रहियों ने भी पुलिस पर पथराव के साथ हथगोला फेंके. दोनों तरफ की हिंसक घटना में कुल 29 लोगों की जानें गई थीं. जवाहर बाग की हिंसक घटना ने प्रदेश सहित देश को हिला कर रख दिया था.

जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें
जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें
कहां से आये कथित सत्याग्रहीगाजीपुर निवासी रामवृक्ष यादव अपने कुछ साथियों के साथ 2014 में 12 अप्रैल को दिल्ली राजपथ मार्ग पर धरना प्रदर्शन के लिए निकला था. रामवृक्ष यादव की मांग थी कि हिंदू स्वराज की स्थापना की जाए. 13 अप्रैल को शाम 6:00 बजे रामवृक्ष यादव का काफिला मथुरा पहुंचा जिला प्रशासन द्वारा रामवृक्ष ने एक दिन रहने के लिए अनुमति मांगी. तत्कालीन जिलाधिकारी राजेश कुमार और एसएसपी राकेश कुमार ने कथित सत्याग्रहियों को रुकने के लिए जवाहर बाग में प्रवेश दे दिया.
जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें
जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें
तीन साल तक जवाहर बाग में किया अवैध कब्जारामवृक्ष यादव ने अपने साथियों के साथ सरकारी जमीन जवाहर बाग में अवैध कब्जा कर लिया, जोकि जिला उद्यान विभाग की 270 एकड़ भूमि थी. कई बार जिला प्रशासन के अधिकारी द्वारा जवाहर बाग खाली कराने की कोशिश की गई. लेकिन हर बार कोशिशें नाकाम रहीं. पुलिस के अधिकारी और पीएसी के जवान वापस लौट आते. जवाहर बाग के अंदर रामवृक्ष यादव धीरे धीरे अपने समर्थकों की संख्या बढ़ा रहा था.
जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें
जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें
जवाहर बाग की घटना को याद करते हैं लोगसरकारी भूमि खाली कराते समय हुई हिंसक घटना को याद करके लोगों की रूह कांप जाती है. उस हिंसक मंजर में दोनों तरफ से अंधाधुंध फायरिंग हो रही थी. आसमान में काला धुंआ चारों तरफ छा गया था. करीब 3 घंटे तक गोलियों की आवाज गूंज रही थी.
जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें
जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें
सपा सरकार ने कराई हिंसक घटना की सीबीआई जांचतत्कालीन प्रदेश मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जवाहर बाग हिंसक घटना की जांच हाई कोर्ट रिटायर्ड जज और सीबीआई से कराई. 4 सदस्य टीम मौके पर कई बार मुआयना किया गया पुलिस अधिकारी और पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज किए गए, लेकिन कब्जा कराने के पीछे किन सफेद पोश धारियों का काम था यह अभी तक सवाल बना हुआ है.
जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें
जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें
सूरज चायवाला प्रत्यक्षदर्शी ने बताया 2 जून 2016 गुरुवार के दिन शाम 4:00 बजे मैं अपनी दुकान पर चाय बना रहा था. तभी पुलिस की गाड़ियां जवाहर बाग के अंदर दाखिल हुईं. कुछ ही देर बाद गोलियों की आवाज सुनने को मिली. तभी कुछ पुलिसकर्मी कह रहे थे की रामवृक्ष यादव ने तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी को गोली मार दी है. पुलिसकर्मियों ने तहसील पर आकर दुकानें बंद करा दी. उस समय काफी भयानक मंजर था.
जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें
जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें
जवाहर बाग के ठेकेदार प्रहलाद ने बताया कि मेरा पिछले 15 सालों से जवाहर बाग के अंदर फुलवारी का ठेका है. जिला उद्यान विभाग की जमीन पर रामवृक्ष यादव ने अपने साथियों के साथ एक दिन का धरना प्रदर्शन करने की अनुमति मांगी थी. उसके बाद जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया. 2 जून 2016 को हुई हिंसक घटना में जवाहर बाग के अंदर के सैकड़ों पेड़ सब जल गए. आज भी वह मंजर याद करके रूह कांपने लगती है.
जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें
जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें

मथुरा: दो जून 2016 को जवाहर बाग खाली कराते समय हुई हिंसक घटना की गवाही आज भी उसके अंदर जले हुए पेड़ और जले हुए वाहन देते हैं. तीन हजार सत्याग्रहियों ने पुलिस के ऊपर अंधाधुंध फायरिंग की और हाथ गोले फेंके थे. इस हमले में दो पुलिस के अधिकारी सहित 29 लोगों की जानें गई थी. जवाहर बाग की हिंसक घटना यादें आज भी लोगों के जहन में ताजा हैं.

जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें
2 जून को हुई थी हिंसक घटना, शहीद हो गए थे एसपी सिटी सिविल लाइन क्षेत्र जिला उद्यान विभाग की 270 एकड़ जमीन में जवाहर बाग स्थापित है. पेड़-पौधे हरियाली से घिरा हुआ है यह बाग. मगर आज ही के दिन 2016 की शाम तकरीबन चार बजे तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी पुलिस फोर्स के साथ जवाहर बाग में दाखिल हुए और लाउडस्पीकर से कथित सत्याग्रहियों से बाग खाली करने की अपील की. लेकिन लोगों ने पुलिस पर पथराव और फायरिंग शुरू कर दी. गोली लगने से एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी शहीद हो गए.
जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें
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पुलिस ने की जवाबी कार्रवाई
जवाहर बाग में एसपी सिटी के गोली लगने से मौत की सूचना मिलने के बाद पुलिस फोर्स बौखला गई. मास्टरमाइंड रामवृक्ष यादव सहित कई कथित सत्याग्रही हिंसक झड़प के दौरान गोली के शिकार हुए. कथित सत्याग्रहियों ने भी पुलिस पर पथराव के साथ हथगोला फेंके. दोनों तरफ की हिंसक घटना में कुल 29 लोगों की जानें गई थीं. जवाहर बाग की हिंसक घटना ने प्रदेश सहित देश को हिला कर रख दिया था.

जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें
जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें
कहां से आये कथित सत्याग्रहीगाजीपुर निवासी रामवृक्ष यादव अपने कुछ साथियों के साथ 2014 में 12 अप्रैल को दिल्ली राजपथ मार्ग पर धरना प्रदर्शन के लिए निकला था. रामवृक्ष यादव की मांग थी कि हिंदू स्वराज की स्थापना की जाए. 13 अप्रैल को शाम 6:00 बजे रामवृक्ष यादव का काफिला मथुरा पहुंचा जिला प्रशासन द्वारा रामवृक्ष ने एक दिन रहने के लिए अनुमति मांगी. तत्कालीन जिलाधिकारी राजेश कुमार और एसएसपी राकेश कुमार ने कथित सत्याग्रहियों को रुकने के लिए जवाहर बाग में प्रवेश दे दिया.
जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें
जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें
तीन साल तक जवाहर बाग में किया अवैध कब्जारामवृक्ष यादव ने अपने साथियों के साथ सरकारी जमीन जवाहर बाग में अवैध कब्जा कर लिया, जोकि जिला उद्यान विभाग की 270 एकड़ भूमि थी. कई बार जिला प्रशासन के अधिकारी द्वारा जवाहर बाग खाली कराने की कोशिश की गई. लेकिन हर बार कोशिशें नाकाम रहीं. पुलिस के अधिकारी और पीएसी के जवान वापस लौट आते. जवाहर बाग के अंदर रामवृक्ष यादव धीरे धीरे अपने समर्थकों की संख्या बढ़ा रहा था.
जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें
जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें
जवाहर बाग की घटना को याद करते हैं लोगसरकारी भूमि खाली कराते समय हुई हिंसक घटना को याद करके लोगों की रूह कांप जाती है. उस हिंसक मंजर में दोनों तरफ से अंधाधुंध फायरिंग हो रही थी. आसमान में काला धुंआ चारों तरफ छा गया था. करीब 3 घंटे तक गोलियों की आवाज गूंज रही थी.
जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें
जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें
सपा सरकार ने कराई हिंसक घटना की सीबीआई जांचतत्कालीन प्रदेश मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जवाहर बाग हिंसक घटना की जांच हाई कोर्ट रिटायर्ड जज और सीबीआई से कराई. 4 सदस्य टीम मौके पर कई बार मुआयना किया गया पुलिस अधिकारी और पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज किए गए, लेकिन कब्जा कराने के पीछे किन सफेद पोश धारियों का काम था यह अभी तक सवाल बना हुआ है.
जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें
जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें
सूरज चायवाला प्रत्यक्षदर्शी ने बताया 2 जून 2016 गुरुवार के दिन शाम 4:00 बजे मैं अपनी दुकान पर चाय बना रहा था. तभी पुलिस की गाड़ियां जवाहर बाग के अंदर दाखिल हुईं. कुछ ही देर बाद गोलियों की आवाज सुनने को मिली. तभी कुछ पुलिसकर्मी कह रहे थे की रामवृक्ष यादव ने तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी को गोली मार दी है. पुलिसकर्मियों ने तहसील पर आकर दुकानें बंद करा दी. उस समय काफी भयानक मंजर था.
जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें
जवाहर बाग की हिंसक घटना की यादें
जवाहर बाग के ठेकेदार प्रहलाद ने बताया कि मेरा पिछले 15 सालों से जवाहर बाग के अंदर फुलवारी का ठेका है. जिला उद्यान विभाग की जमीन पर रामवृक्ष यादव ने अपने साथियों के साथ एक दिन का धरना प्रदर्शन करने की अनुमति मांगी थी. उसके बाद जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया. 2 जून 2016 को हुई हिंसक घटना में जवाहर बाग के अंदर के सैकड़ों पेड़ सब जल गए. आज भी वह मंजर याद करके रूह कांपने लगती है.
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