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क्लोन चेक लगाकर बैंकों को चूना लगाने वाले अंतरराज्यीय गिरोह के सदस्य पिता-पुत्र गिरफ्तार - क्लोन चेक लगाकर ठगी करने वाले गिरफ्तार

पुलिस की टीमें जनपद में विगत दिनों हुई क्लोन चेक की धोखाधड़ी की घटनाओं की गहनता से जांच कर रही है. इनमें मुख्यतः थाना कोतवाली अंतर्गत 15 लाख व थाना हाईवे अंतर्गत 6.5 लाख की घटना में क्लोन चेक बनाकर बैंकों के साथ वित्तीय धोखाधड़ी की घटनाओं में शामिल आरोपियों की तलाश की जा रही थी.

भोले लोगों को शिकार बनाकर बैंकों को चूना लगाने वाले अंतरराज्यीय गैंग के सदस्य पिता-पुत्र गिरफ्तार
भोले लोगों को शिकार बनाकर बैंकों को चूना लगाने वाले अंतरराज्यीय गैंग के सदस्य पिता-पुत्र गिरफ्तार
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Published : Dec 16, 2021, 5:11 PM IST

मथुरा : जनपद की थाना हाईवे पुलिस और साइबर क्राइम टीम को उस समय बड़ी सफलता मिली जब भोले-भाले गरीब लोगों का इस्तेमाल कर बैंकों और अन्य लोगों को चूना लगाने के अंतरराज्यीय गिरोह के दो सदस्यों को पुलिस ने महोली रोड से गिरफ्तार कर लिया.

बताया जाता है कि गिरोह के सदस्य भोले भाले गरीब लोगों को नौकरी का प्रलोभन देकर उनके नाम से खाता खुलवाते थे. फिर फर्जी क्लोन चेक से प्राप्त धनराशि उन्हीं व्यक्तियों के खाते में जमा करा देते थे.

इसके बाद उन्ही के माध्यम से पैसा निकलवाकर ले लेते थे. इससे उनके द्वारा लोगों की ठगी के बाद लिए गए पैसों के ट्राजेक्शन में उनका नाम नहीं आता था और इस तरह उनका ठगी का धंधा लगातार आगे बढ़ता जा रहा था.

साइबर टीम व थाना हाईवे पुलिस की संयुक्त टीम जनपद में विगत दिनों हुई क्लोन चेक की धोखाधड़ी की घटनाओं की गहनता से जांच कर रही है. इनमें मुख्यतः थाना कोतवाली अंतर्गत 15 लाख की घटना व थाना हाईवे अंतर्गत 6.5 लाख की घटना में क्लोन चेक बनाकर बैंकों के साथ वित्तीय धोखाधड़ी की घटनाएं शामिल थीं.

यह भी पढ़ें : साधु का एटीएम कार्ड बदलकर शातिरों ने खाते से निकाले 75 हजार रुपये

इसी दौरान एनएच-02 से महोली रोड स्थित रास्ते पर बने सार्वजनिक शौचालय के पास इन घटनाओं को अंजाम देने वाले गैंग के दो सदस्य विनोद पुत्र कंचन सिंह व कंचन सिंह पुत्र प्रताप सिंह को गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तार अभियुक्तों के विरुद्ध आवश्यक वैधानिक कार्यवाही की जा रही है.

कैसे देते थे घटनाओं को अंजाम

आरोप है कि गिरफ्तार अभियुक्तगणों द्वारा देश के कई राज्यों जैसे हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश आदि में कूट रचित दस्तावेज (आधार कार्ड, चेकबुक, पैन कार्ड आदि ) तैयार करना व क्लोन चेक बनाकर बैंकों से ठगी कर रहे थे.

पुलिस के अनुसार ठगी को अंजाम देने के लिए ये भोले-भाले गरीब मजदूरों को नौकरी का प्रलोभन देकर उनके नाम से खाते खुलवा देते थे. फर्जी क्लोन चेक से प्राप्त धनराशि इन लोगों के खाते में जमा कराना व उन्ही के माध्यम से निकासी कराकर स्वयं पैसा ले लेना इनके काम का हिस्सा था. घटना को अंजाम देने के बाद सभी साक्ष्यों को ये सावधानी से मिटा देते थे.

मथुरा : जनपद की थाना हाईवे पुलिस और साइबर क्राइम टीम को उस समय बड़ी सफलता मिली जब भोले-भाले गरीब लोगों का इस्तेमाल कर बैंकों और अन्य लोगों को चूना लगाने के अंतरराज्यीय गिरोह के दो सदस्यों को पुलिस ने महोली रोड से गिरफ्तार कर लिया.

बताया जाता है कि गिरोह के सदस्य भोले भाले गरीब लोगों को नौकरी का प्रलोभन देकर उनके नाम से खाता खुलवाते थे. फिर फर्जी क्लोन चेक से प्राप्त धनराशि उन्हीं व्यक्तियों के खाते में जमा करा देते थे.

इसके बाद उन्ही के माध्यम से पैसा निकलवाकर ले लेते थे. इससे उनके द्वारा लोगों की ठगी के बाद लिए गए पैसों के ट्राजेक्शन में उनका नाम नहीं आता था और इस तरह उनका ठगी का धंधा लगातार आगे बढ़ता जा रहा था.

साइबर टीम व थाना हाईवे पुलिस की संयुक्त टीम जनपद में विगत दिनों हुई क्लोन चेक की धोखाधड़ी की घटनाओं की गहनता से जांच कर रही है. इनमें मुख्यतः थाना कोतवाली अंतर्गत 15 लाख की घटना व थाना हाईवे अंतर्गत 6.5 लाख की घटना में क्लोन चेक बनाकर बैंकों के साथ वित्तीय धोखाधड़ी की घटनाएं शामिल थीं.

यह भी पढ़ें : साधु का एटीएम कार्ड बदलकर शातिरों ने खाते से निकाले 75 हजार रुपये

इसी दौरान एनएच-02 से महोली रोड स्थित रास्ते पर बने सार्वजनिक शौचालय के पास इन घटनाओं को अंजाम देने वाले गैंग के दो सदस्य विनोद पुत्र कंचन सिंह व कंचन सिंह पुत्र प्रताप सिंह को गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तार अभियुक्तों के विरुद्ध आवश्यक वैधानिक कार्यवाही की जा रही है.

कैसे देते थे घटनाओं को अंजाम

आरोप है कि गिरफ्तार अभियुक्तगणों द्वारा देश के कई राज्यों जैसे हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश आदि में कूट रचित दस्तावेज (आधार कार्ड, चेकबुक, पैन कार्ड आदि ) तैयार करना व क्लोन चेक बनाकर बैंकों से ठगी कर रहे थे.

पुलिस के अनुसार ठगी को अंजाम देने के लिए ये भोले-भाले गरीब मजदूरों को नौकरी का प्रलोभन देकर उनके नाम से खाते खुलवा देते थे. फर्जी क्लोन चेक से प्राप्त धनराशि इन लोगों के खाते में जमा कराना व उन्ही के माध्यम से निकासी कराकर स्वयं पैसा ले लेना इनके काम का हिस्सा था. घटना को अंजाम देने के बाद सभी साक्ष्यों को ये सावधानी से मिटा देते थे.

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