प्रयागराज: मथुरा स्थित बांके बिहारी मंदिर में श्रद्धालुओं की सुविधा व सुरक्षा के लिए पांच एकड़ में प्रस्तावित कॉरिडोर निर्माण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में विचाराधीन मामले में मंदिर के चढ़ावे के उपयोग पर सेवायतों की आपत्ति का हल गुरुवार को भी नहीं निकल सका. कोर्ट इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई जारी रखेगी.
मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर एवं न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ के समक्ष अनंत शर्मा व अन्य की याचिका पर गुरुवार को सुनवाई के दौरान सेवायतों ने कहा कि कॉरिडोर की प्रस्तावित योजना के नाम पर मंदिर के चढ़ावा से खर्च करने का औचित्य नहीं है. सरकार विकास करना चाहती है तो अपने पैसे से करे. सेवायतों को कॉरिडोर बनाने पर आपत्ति नहीं है लेकिन मथुरा के पौराणिक धार्मिक स्वरूप से छेड़छाड़ न की जाए. सेवायतों की ओर से कहा गया कि मंदिर का चढ़ावा चाहे कैश में हो या सोना-चांदी के रूप में, सभी प्रकार का चढ़ावा भगवान के नाम पर खुले बैंक अकाउंट में जमा होता है. सेवायत, प्रशासन को उन पैसों के खर्च व उनकी निगरानी में वहां के विकास के लिए करने की अनुमति नहीं देना चाहते.
राज्य सरकार का कहना है कि सरकार मंदिर में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा व सुविधा के लिए विकास करना चाहती है. मंदिर के लिए सुविधाएं मंदिर के धन से करना चाहती है और यह जनहित में भी है. प्रदेश सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने पक्ष रखा.