मथुरा: जनपद मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर नंदगांव और बरसाना के बीच वैवाहिक संबंध नहीं होते हैं. साढ़े पांच हजार वर्ष पुरानी परंपरा सदियों से चली आ रही है. राधा कृष्ण के प्रेम का प्रतीक प्रेम संबंध आज भी कायम है. सभी जातियों के लोग एक दूसरे गांव में शादियां नहीं करते हैं. राधा कृष्ण का प्रेम आज भी नंदगांव बरसाना में लट्ठमार होली के दिन देखने को मिलता है. 23 मार्च को बरसाना में लट्ठमार होली खेली जाएगी.
बरसाना और नंदगांव की होली विश्व विख्यात है. लेकिन राधा-कृष्ण के अलौकिक प्रेम के साक्षी ब्रज के इन दो गांवों में आज भी भौतिक जगत के संबंधों को इजाजत नहीं दी जाती है. यह अनूठा रिश्ता पिछले पांच हजार सालों से बरकरार है. होली खेलने के दौरान दोनों गांवों के हुरियारे-हु़रियारिनों के बीच खूब हंसी-ठिठोली होली होती है, लेकिन शादी संबंध कर सांसारिक रिश्तों में बंधना इन्हें मंजूर नहीं है. ब्रज की होली के दौरान पहले नंदगांव के हुरियारे बरसाना की हुरियारिनों से होली खेलने जाते हैं, फिर बरसाना के हुरियारे नंदगांव जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि नंदगांव और बरसाना के लोग जिस दिन एक दूसरे से वैवाहिक संबंध जोड़ लेंगे. उस दिन बरसों पुरानी परंपरा खत्म हो जाएगी और नंदगांव बरसाना में लट्ठमार होली नहीं होगी.
दरअसल बता दें कि लट्ठमार होली खेलने के लिए नंदगांव के ग्वाला बरसाने जाते हैं जो कृष्ण और राधा के रूपी होते हैं. इनके बीच लट्ठमार होली खेली जाती है. वहीं दूसरे दिन बरसाना के ग्वाले नंदगांव जाते हैं और कृष्ण और राधा के रूप में लट्ठमार होली खेलते हैं. नंदगांव और बरसाना के लोगों ने राधा कृष्ण के प्रेम को अमर प्रेम बना कर दुनिया के सामने अनोखी मिसाल पेश की है. यहां के लोगों से सीखना चाहिए कि संबंध कैसे निभाए जाते हैं.
23 मार्च को खेली जाएगी बरसाना में लट्ठमार होली
23 मार्च मंगलवार को राधा रानी की जन्म स्थली बरसाना में नंदगांव वाले कृष्ण के भेष में बरसाना पहुंचेंगे और बरसाना की गोपिका राधा रूपी परिधान पहनकर रंगीली गलियों में लट्ठमार होली खेलेंगी. वहीं अगले दिन यानी 24 मार्च को बरसाना के ग्वाला कृष्ण के भेष में वहीं नंदगांव की गोपिकाएं राधा रानी के भेष में परिधान पहनकर नंदचौक पर लट्ठमार होली खेलेंगी.
इसे भी पढ़ें: जानिए, कैसे हुई बरसाना की प्रसिद्ध लड्डूमार होली की शुरुआत
बरसाना निवासी विष्णु गोस्वामी ने बताया कि नंदगांव और बरसाना के बीच वैवाहिक संबंध नहीं होते हैं. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है जो आज भी कायम है. सभी जाति के लोग एक दूसरे गांव में शादियां नहीं करते हैं. इस गांव में राधा कृष्ण के अमर प्रेम का उदाहरण देखने को मिलता है.
बरसाना निवासी महिला रामवती ने बताया कि नंदगांव बरसाना के बीच राधा कृष्ण का प्रेम संबंध है. एक दूसरे के गांव में बहन बेटियों की शादी नहीं की जाती, जिस दिन एक दूसरे के गांव में वैवाहिक संबंध जोड़ना शुरू हो जाएगा, उस दिन वर्षों पुरानी परंपरा टूट जाएगी और लट्ठमार होली खेलने को नहीं मिलेगी.
इसे भी पढ़ें: बरसाना में चढ़ने लगी गुलाल और रंगों की खुमारी, लट्ठ और ढाल किए जा रहे तैयार
नंदगांव के हरिशंकर गोस्वामी ने बताया कि राधा कृष्ण के प्रेम का अटूट संबंध नंदगांव और बरसाना के गांव के बीच देखने को मिलता है. एक दूसरे के गांव में शादियां नहीं की जाती. किसी भी जाति के लोग यहां शादियां नहीं करते. नंदगांव बरसाना में लट्ठमार होली धूमधाम से खेली जाती है जो कि विश्व प्रसिद्ध त्योहार माना जाता है.