मथुरा : शहर के कोतवाल कहे जाने वाले द्वारकाधीश मंदिर (पुष्टिमार्ग संप्रदाय) में होली महोत्सव इन दिनों बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है. मंदिर परिसर में होली का डांडा गड़ चुका है. दूरदराज से आने वाले श्रद्धालु होली का अद्भुत आनंद ले रहे हैं. ब्रज में होली महोत्सव का पर्व बसंत पंचमी के दिन से प्रारंभ हो जाता है जो 40 दिनों तक चलता है. इन दिनों ठाकुर जी को रंग-बिरंगे गुलाल लगाकर होली के रसिया गीत गाए जाते हैं.
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बसंत पंचमी से प्रारंभ हुई ब्रज में होली
कान्हा की नगरी में बसंत पंचमी के दिन से ही होली महोत्सव प्रारंभ हो जाता है. मंदिरों में ठाकुर जी को गुलाल लगाकर श्रद्धालु होली के रंग में डूब जाते हैं. ब्रज में होली 40 दिनों तक खेली जाती है. द्वारकाधीश मंदिर श्री कृष्ण जन्मस्थान बांके बिहारी मंदिर और राधा रानी मंदिर, प्रेम मंदिर में श्रद्धालुओं को होली खेलते देखा जा सकता है.
ब्रज में होली के अनेक रंग
ब्रज में होली के अनेक रंग देखने को मिलेंगे. मंदिरों में फूलों और रंग बिरंगे रंगों से होली खेली जाती है तो वहीं होली महोत्सव में फूलों की होली, लड्डुओं की होली, रंगों की होली, गुलाल की होली और लठमार होली के दृश्य देखने को मिल जाते हैं. 22 मार्च को बरसाना के राधा रानी मंदिर में बूंदी के लड्डू से होली खेली जाती है. 23 मार्च को बरसाना के राधा रानी मंदिर में लठमार होली खेली जाएगी.
हर रोज आते हैं हजारों श्रद्धालु
ब्रज में होली का अद्भुत आनंद लेने के लिए हर रोज हजारों श्रद्धालु मंदिरों में ठाकुर जी के दर्शन करने आते हैं. वहीं, होली का भी अद्भुत आनंद लेते हैं. इन दिनों मंदिरों में श्रद्धालु होली के गीत और रसिया गायन करते देखे जा सकते हैं.
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रसिया गायन का लेते हैं आनंद
श्रद्धालु महेश अग्रवाल ने बताया कि ब्रज में होली महोत्सव बसंत पंचमी के दिन से प्रारंभ हो जाता है. द्वारकाधीश मंदिर में ठाकुर जी के राजभोग दर्शन के बाद होली का गुलाल लगाया जाता है. मंदिर परिसर में होली के गीत रसिया गायन किया जाता है.
महीनों पूर्व शुरू हो जाती है तैयारी
शीतल श्रीवास्तव श्रद्धालु ने बताया कि ब्रज के होली खेलने के लिए परिवार के साथ महीनों से तैयारी कर रखी है. अब जबकि ब्रज में होली शुरू हो गई है, इसका अद्भुत आनंद लेने के लिए श्रद्धालु द्वारकाधीश मंदिर पहुंचने लगे हैं.
प्राचीन काल से होली महोत्सव का होता है आयोजन
मंदिर मीडिया प्रभारी राकेश तिवारी ने बताया कि पुष्टिमार्ग संप्रदाय के मंदिरों में प्राचीन काल से ही होली महोत्सव का आयोजन किया जाता रहा है. बसंत पंचमी के दिन से होली प्रारंभ हो जाती है. मंदिर परिसर में होली का डांडा अब गड़ चुका है. हर रोज दूर-दराज से हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन करने के लिए आ रहे हैं और होली का आनंद ले रहे हैं.