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Vrindavan में बांके बिहारी मंदिर में बसंत पंचमी पर होली की शुरुआत, जानिए किस दिन कहां खेली जाएगी होली

वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर में बसंत पंचमी के मौके पर होली की शुरुआत हो गई. इस दौरान कैसा नजारा रहा और इस होली को लेकर क्या मान्यता है चलिए जानते हैं.

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Published : Jan 26, 2023, 8:30 PM IST

मथुरा: बसंत पंचमी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मंदिरों में मनाया जा रहा है. बसंत पंचमी के मौके पर वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर से फाग महोत्सव की शुरूआत हो गई. यह उत्सव 40 दिन तक पूरे ब्रज मंडल में चलेगा. इस दौरान बृजवासी और भक्त जमकर होली खेलेंगे. इस होली का समापन आठ मार्च को होगा. जिला प्रशासन ने भक्तों की सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किए.

मथुरा के बांके बिहारी मंदिर में भक्तों ने उड़ाया गुलाल.

बसंती वस्त्र धारण किए हुए ठाकुरजी के दर्शन करने के लिए दूरदराज से लाखों की संख्या में श्रद्धालु बांके बिहारी मंदिर दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं. देर रात से ही मंदिर का पूरा प्रांगण पीले रंग से सजा हुआ नजर आ रहा है. चारों तरफ पीले सफेद गुब्बारे लगे हुए हैं तो वही बांके बिहारीजी विशेष पोशाक के साथ अद्भुत दर्शन करने का मौका श्रद्धालुओं को मिल रहा है.

बसंत पंचमी के दिन से ब्रज के सभी मंदिरों में भगवान को गुलाल लगाकर होली की शुरुआत हो जाती है और मंदिरों में सुबह के समय गुलाल उड़ाया जाता है. ब्रज के सभी मंदिरों में 40 दिनों तक होली का पर्व और होली के रंग की खुमारी देखने के लिए दूरदराज से विदेशों से श्रद्धालुओं का आगमन यहां होता है.

ब्रज में किस दिन कहां खेली जाएगी होली
24 फरवरी- गुरु शरणानंद महाराज के आश्रम में
27 फरवरी- बरसाना में लड्डू मार होली
28 फरवरी - बरसाना की विश्व प्रसिद्ध लट्ठमार होली
1 मार्च - नंद गांव में लट्ठमार होली
1 मार्च - लट्ठमार होली रावल गांव में
4 मार्च - छड़ी मार होली गोकुल में
6 मार्च - होलिका दहन
7 मार्च - देश भर में होली खेली जाएगी
8 मार्च - बलदेव में हुरंगा



सब जग होरी ब्रज में होरा...
ब्रज के बिना होली अधूरी है. भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में होली के अलग-अलग रंग मंदिरों में देखने को मिलते हैं. पौराणिक मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण अपनी गोपियों के साथ नटखट रास लीलाओं के साथ रास करते नजर आते थे. 500 वर्ष पुरानी परंपरा जोकि बसंत पंचमी के दिन से होली का डांडा करने की परंपरा आज भी निभाई जाती है.

बसंत पचंमी पर शाहजी मंदिर का बसंती कमरा खुला
वृंदावन स्थित शाहजी मंदिर परिसर में बने बसंती कमरे को भक्तों के लिए खोला गया. यह कमरा वर्ष में सिर्फ बसंत पंचमी के मौके पर खोला जाता है. इस दौरान ठाकुर जी को रत्न जड़ित आभूषण से सजाया गया. ठाकुर जी के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे. बता दें कि शाहजी मंदिर को टेढ़े मेढ़े खंबे के नाम से भी जाना जाता है. बसंती कमरे के अंदर सोने चांदी के आभूषण के साथ कांच की लाइटें देखकर भक्त अभिभूत नजर आए.

ये भी पढ़ेंः republic day: अलीगढ़ में मुस्लिम शिक्षक ने राष्ट्रगान गाने से किया इनकार, Video Viral

मथुरा: बसंत पंचमी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मंदिरों में मनाया जा रहा है. बसंत पंचमी के मौके पर वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर से फाग महोत्सव की शुरूआत हो गई. यह उत्सव 40 दिन तक पूरे ब्रज मंडल में चलेगा. इस दौरान बृजवासी और भक्त जमकर होली खेलेंगे. इस होली का समापन आठ मार्च को होगा. जिला प्रशासन ने भक्तों की सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किए.

मथुरा के बांके बिहारी मंदिर में भक्तों ने उड़ाया गुलाल.

बसंती वस्त्र धारण किए हुए ठाकुरजी के दर्शन करने के लिए दूरदराज से लाखों की संख्या में श्रद्धालु बांके बिहारी मंदिर दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं. देर रात से ही मंदिर का पूरा प्रांगण पीले रंग से सजा हुआ नजर आ रहा है. चारों तरफ पीले सफेद गुब्बारे लगे हुए हैं तो वही बांके बिहारीजी विशेष पोशाक के साथ अद्भुत दर्शन करने का मौका श्रद्धालुओं को मिल रहा है.

बसंत पंचमी के दिन से ब्रज के सभी मंदिरों में भगवान को गुलाल लगाकर होली की शुरुआत हो जाती है और मंदिरों में सुबह के समय गुलाल उड़ाया जाता है. ब्रज के सभी मंदिरों में 40 दिनों तक होली का पर्व और होली के रंग की खुमारी देखने के लिए दूरदराज से विदेशों से श्रद्धालुओं का आगमन यहां होता है.

ब्रज में किस दिन कहां खेली जाएगी होली
24 फरवरी- गुरु शरणानंद महाराज के आश्रम में
27 फरवरी- बरसाना में लड्डू मार होली
28 फरवरी - बरसाना की विश्व प्रसिद्ध लट्ठमार होली
1 मार्च - नंद गांव में लट्ठमार होली
1 मार्च - लट्ठमार होली रावल गांव में
4 मार्च - छड़ी मार होली गोकुल में
6 मार्च - होलिका दहन
7 मार्च - देश भर में होली खेली जाएगी
8 मार्च - बलदेव में हुरंगा



सब जग होरी ब्रज में होरा...
ब्रज के बिना होली अधूरी है. भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में होली के अलग-अलग रंग मंदिरों में देखने को मिलते हैं. पौराणिक मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण अपनी गोपियों के साथ नटखट रास लीलाओं के साथ रास करते नजर आते थे. 500 वर्ष पुरानी परंपरा जोकि बसंत पंचमी के दिन से होली का डांडा करने की परंपरा आज भी निभाई जाती है.

बसंत पचंमी पर शाहजी मंदिर का बसंती कमरा खुला
वृंदावन स्थित शाहजी मंदिर परिसर में बने बसंती कमरे को भक्तों के लिए खोला गया. यह कमरा वर्ष में सिर्फ बसंत पंचमी के मौके पर खोला जाता है. इस दौरान ठाकुर जी को रत्न जड़ित आभूषण से सजाया गया. ठाकुर जी के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे. बता दें कि शाहजी मंदिर को टेढ़े मेढ़े खंबे के नाम से भी जाना जाता है. बसंती कमरे के अंदर सोने चांदी के आभूषण के साथ कांच की लाइटें देखकर भक्त अभिभूत नजर आए.

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