मथुरा: प्रसिद्ध कथा वाचक मोरारी बापू द्वारा भगवान श्री कृष्ण, बलराम और उनके परिवार के खिलाफ की गई अशोभनीय टिप्पणी से ब्रज वासियों सहित देशभर के सनातन धर्मावलंबियों में भारी आक्रोश व्याप्त था. यह आक्रोश दिन-प्रतिदिन लगातार बढ़ता जा रहा था. जगह-जगह उनके विरोध में बैठकों का दौर शुरू होने के साथ ही उनके खिलाफ पुलिस से शिकायत करने का क्रम भी चल रहा था. अब मोरारी बापू द्वारा अपनी उसी टिप्पणी को लेकर चैनलों के माध्यम से माफी मांगने के बाद लोगों का आक्रोश थमने लगा है.
मोरारी बापू का हुआ था विरोध
जानकारी देते हुए चंद्र सरोवर गोवर्धन के सेवायत पूर्णप्रकाश कौशिक ने बताया कि ब्रजधाम देवालय संघ के बैनर तले एक बैठक का आयोजन किया गया. उन्होंने बताया, 'पूर्व में भी आपको पता होगा कि मोरारी बापू ने हमारे भगवान श्री कृष्ण और बलदाऊ जी के प्रति जो टिप्पणी की थी, उसके प्रति आक्रोशित होकर ब्रज के समस्त देवालय संघ के लोगों ने एकत्रित होकर पुरजोर तरीके से मोरारी बापू का विरोध किया.'
मोरारी बापू के सामने रखी गई थी तीन मांगें
सेवायत पूर्णप्रकाश कौशिक ने बताया कि यहां के संतों के माध्यम से हमने मोरारी बापू से 3 मांगें रखी थी. पहली मांग थी कि वह स्पष्ट रूप से माफी मांगे. दूसरी मांग थी कि जिस प्रकार चैनलों पर बैठ करके यह टिप्पणी की गई है, उसी प्रकार वे माफी मांगे और तीसरी मांग हमारी यह थी कि वह हमसे माफी न मांगे, बल्कि हमारे आराध्य श्री कृष्ण, बलदाऊ जी, गिरिराज जी से माफी मांगें.
पूर्णप्रकाश कौशिक ने कहा कि हमारी दो मांगें पूरी हो चुकी हैं. पहली तो उन्होंने माफी मांग ली और दूसरा उन्होंने चैनलों पर भी माफी मांगी है. तीसरी उन्हें यथासंभव समय मिलेगा कि वह यहां ब्रज में आकर यहां के देवालयों में अपना माथा रगड़ते हुए माफी मांगेंगे. फिलहाल उन्होंने जो क्षमा मांगी है, उस फैसले का हम सभी स्वागत करते हैं.
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श्री राधाकांत मंदिर में हुई बैठक
ब्रज धाम देवालय संघ के तत्वधान में धर्म नगरी वृंदावन के रंग जी मंदिर क्षेत्र स्थित श्री राधाकांत मंदिर में एक बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें ब्रज के समस्त मुख्य देवालयों के प्रतिनिधि गण सम्मिलित हुए. बैठक में सभी सेवायतों और प्रबंधकों ने एक स्वर से मोरारी बापू द्वारा क्षमा याचना करने और जल्द ही ब्रज मंडल में आकर सभी मुख्य देवालयों में माथा टेकने के निर्णय का स्वागत किया. साथ ही बैठक में कहा गया कि अब इस प्रकरण को आगे बढ़ाना सनातन धर्म के हित में अनुचित होगा, इसलिए अब इस प्रकरण का यहीं पटाक्षेप करना चाहिए.