मथुरा: जिले का जवाहर बाग कभी हरे-भरे पेड़ और हरियाली की वजह से जाना जाता था, लेकिन अब अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है. यह वही जवाहर बाग है, जहां तीन साल पहले दो जून 2016 को हिंसक घटना हुई थी. दरअसल इस हिंसक घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था.
क्या हुआ था उस दिन...
- सिविल लाइन क्षेत्र में स्थित जवाहर बाग के पेड़ अपने साथ हुई हिंसक घटना की कहानी बयां करते हैं.
- दो जून 2016 को जवाहर बाग में सरकारी जमीन, जो 270 एकड़ में फैला हुआ है, को खाली कराते समय कथित सत्याग्रहियों और जिला प्रशासन के बीच खूनी संघर्ष हुआ था.
- सत्याग्रहियों ने उस समय हरे-भरे पेड़ों में आग लगा दी थी, जो आज भी सूखे पड़े हुए हैं.
- इस हिंसक कांड में एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी समेत 29 लोगों की जानें गई थी.
- जवाहर बाग पर कथित सत्याग्रहियों ने साल 2014 में अवैध कब्जा कर लिया था.
हिंसक घटना के दौरान सबसे ज्यादा नुकसान हरे-भरे पेड़ों को हुआ था. जवाहर बाग के सौंदर्यीकरण का काम कराया जा रहा है. एक प्राइवेट कंपनी को सुंदरीकरण कराने का जिम्मा सौंपा गया है, दिसंबर 2019 तक सुंदरीकरण का काम पूरा हो जाएगा.
-जगदीश प्रसाद, जिला उद्यान अधिकारी, मथुरा