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मैनपुरी: पैदल जा रहे मजदूरोंं को बसों में बैठाकर भेजा गया घर - थर्मल स्क्रीनिंग

मैनपुरी में पैदल या साइकिल से गुजर रहे प्रवासी मजदूरों को शेल्टर होम में रोका गया. थर्मल स्क्रीनिंग के बाद उन्हें रोडवेज बसों से गृह जनपद तक पहुंचाया गया.

orers reached their home district
प्रवासी मजदूरों को राशन भी दिया गया
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Published : May 11, 2020, 6:43 PM IST

मैनपुरी: लॉकडाउन में प्रवासी मजदूर अपने-अपने राज्यों के लिए भूखे-प्यासे पैदल और साइकिल से ही निकल पड़े हैं. मैनपुरी से गुजर रहे प्रवासी मजदूरों ने बताया कि वह पश्चिम बंगाल के मालदा के रहने वाले हैं. मार्च के महीने में वे दिल्ली पहुंचे थे और वहां मजदूरी कर रहे थे. लॉकडाउन के कारण वे दिल्ली में 40 दिन फंसे रहे. उनके पास जो कुछ पैसा था वह खाने में खर्च हो गया भुखमरी की स्थिति आ गई.

मजदूरों ने बताया कि हम 19 लोग दिल्ली से पैदल ही निकल गए. इस दौरान रास्ते में पुलिस भी मिली तो उन्होंने वाहनों से रुकवा कर हमको भेजा. जब हम मैनपुरी जनपद में पहुंचे तो स्थानीय प्रशासन हमें होम शेल्टर पर ले आया और थर्मल स्क्रीनिंग की. हम लोगों को खाना-पानी देने के बाद रोडवेज से गोरखपुर तक भेजा जा रहा है.

स्थानीय प्रशासन ने अब तक लगभग पंद्रह सौ प्रवासी मजदूरों को रोडवेज बसों से उनके यथा स्थान तक पहुंचाया है. प्रशासन ने मजदूरों को 14 दिन के लिए होम क्वारंटाइन रहने को कहा और उन्हें राशन भी दिया. जो गैर जनपदों के प्रवासी मजदूर थे उन्हें रोडवेज बसों से उनके गृह जनपद तक पहुंचाया गया.

मैनपुरी: लॉकडाउन में प्रवासी मजदूर अपने-अपने राज्यों के लिए भूखे-प्यासे पैदल और साइकिल से ही निकल पड़े हैं. मैनपुरी से गुजर रहे प्रवासी मजदूरों ने बताया कि वह पश्चिम बंगाल के मालदा के रहने वाले हैं. मार्च के महीने में वे दिल्ली पहुंचे थे और वहां मजदूरी कर रहे थे. लॉकडाउन के कारण वे दिल्ली में 40 दिन फंसे रहे. उनके पास जो कुछ पैसा था वह खाने में खर्च हो गया भुखमरी की स्थिति आ गई.

मजदूरों ने बताया कि हम 19 लोग दिल्ली से पैदल ही निकल गए. इस दौरान रास्ते में पुलिस भी मिली तो उन्होंने वाहनों से रुकवा कर हमको भेजा. जब हम मैनपुरी जनपद में पहुंचे तो स्थानीय प्रशासन हमें होम शेल्टर पर ले आया और थर्मल स्क्रीनिंग की. हम लोगों को खाना-पानी देने के बाद रोडवेज से गोरखपुर तक भेजा जा रहा है.

स्थानीय प्रशासन ने अब तक लगभग पंद्रह सौ प्रवासी मजदूरों को रोडवेज बसों से उनके यथा स्थान तक पहुंचाया है. प्रशासन ने मजदूरों को 14 दिन के लिए होम क्वारंटाइन रहने को कहा और उन्हें राशन भी दिया. जो गैर जनपदों के प्रवासी मजदूर थे उन्हें रोडवेज बसों से उनके गृह जनपद तक पहुंचाया गया.

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