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महोबा में जिला पंचायत की जमीन पर 46 साल से कब्जा करने वाला पहुंचा जेल - zila Panchayat property

महोबा में 46 सालों से जिला पंचायत की संपत्ति (Zila Panchayat property) पर अवैध कब्जा किए कब्जेधारी के खिलाफ तहसीलदार ने कार्रवाई करते हुए जेल भेज दिया है.

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Published : Dec 26, 2022, 10:32 PM IST

महोबा: जिला पंचायत की संपत्ति (Zila Panchayat property) पर 46 साल से अवैध कब्जा जमाये कब्जाधारी को तहसीलदार ने सोमवार को जेल भेज दिया गया. कब्जाधारी के खिलाफ करोड़ों रुपये की रिकवरी का नोटिस भी जारी किया गया था. इस कार्रवाई के बाद से सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा करने वाले भूमाफिया के बीच हड़कंप मच गया है.

तहसीलदार बालकृष्ण सिंह के मुताबिक महोबा शहर के आल्हा चौक के समीप जिला पंचायत की बेशकीमती संपत्ति पर माधव खरे का अवैध कब्जा था, जिसे लेकर जिला पंचायत ने बेदखली की नोटिस सहित 3 करोड़ 71 लाख 59 हजार रुपये का रिकवरी नोटिस भेजा था और 15 दिन के अंदर कब्जा हटाने को कहा था. राजस्व विभाग ने जिला पंचायत से जारी हुई आरसी के तहत इनको नोटिस और मांग पत्र दिया था. लेकिन 15 दिन बीत जाने के बाद भी कोई धनराशि जमा नहीं की गई. जिस पर सोमवार को तराजस्व की टीम मौके पर पहुंची और कब्जाधारी को पकड़कर तहसील ले गए. यहां से आरोपी को जेल भेज दिया गया है. तहसीलदार बालकृष्ण सिंह ने बताया कि जिला पंचायत विभाग द्वारा जारी की गई आरसी की रकम जमा न किए जाने पर जेल भेजने की कार्रवाई की गई है.

समाजसेवी और आरटीआई कार्यकर्ता जीवनलाल चौरसिया ने बताया कि जिला पंचायत की बेशकीमती जमीन पर 46 साल से माधव खरे कब्जा किया हुआ था. इस सरकारी जमीन की रजिस्ट्री गलत तरीके से की गई थी. बीते दिनों जिला पंचायत विभाग ने कब्जेधारी माधव खरे को 3 करोड़ 71 लाख 59 हजार रुपये का रिकवरी नोटिस भेजा. फिर भी कोई बड़ी कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई. सत्ता पक्ष और प्रशासन के लोगों की मिलीभगत के चलते कब्जा धारी बेखौफ था. सरकारी संपत्ति को कब्जा मुक्त कराने के लिए समाजसेवी जीवनलाल चौरसिया साढ़े 4 वर्ष से लड़ाई लड़ रहा है. उनके द्वारा भू माफिया के खिलाफ जो अभियान चलाया जा रहा है, उससे उसकी जान को भी खतरा है. उन्होंने बताया कि आरसी की रकम जमा न करने वाले कब्जेधारी को पकड़ने गई राजस्व टीम को पांच घंटे लग गए. जो कही न कही सत्ता पक्ष के दबाव को दर्शाता है. आरोप है कि सत्ता पक्ष के लोग ही भू माफिया को बचाने में जुटे थे, मगर अब उसे जेल भेज दिया गया है.

यह भी पढ़ें: महोबा में सांई इंटर कॉलेज की बस पलटी, 15 छात्र घायल

महोबा: जिला पंचायत की संपत्ति (Zila Panchayat property) पर 46 साल से अवैध कब्जा जमाये कब्जाधारी को तहसीलदार ने सोमवार को जेल भेज दिया गया. कब्जाधारी के खिलाफ करोड़ों रुपये की रिकवरी का नोटिस भी जारी किया गया था. इस कार्रवाई के बाद से सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा करने वाले भूमाफिया के बीच हड़कंप मच गया है.

तहसीलदार बालकृष्ण सिंह के मुताबिक महोबा शहर के आल्हा चौक के समीप जिला पंचायत की बेशकीमती संपत्ति पर माधव खरे का अवैध कब्जा था, जिसे लेकर जिला पंचायत ने बेदखली की नोटिस सहित 3 करोड़ 71 लाख 59 हजार रुपये का रिकवरी नोटिस भेजा था और 15 दिन के अंदर कब्जा हटाने को कहा था. राजस्व विभाग ने जिला पंचायत से जारी हुई आरसी के तहत इनको नोटिस और मांग पत्र दिया था. लेकिन 15 दिन बीत जाने के बाद भी कोई धनराशि जमा नहीं की गई. जिस पर सोमवार को तराजस्व की टीम मौके पर पहुंची और कब्जाधारी को पकड़कर तहसील ले गए. यहां से आरोपी को जेल भेज दिया गया है. तहसीलदार बालकृष्ण सिंह ने बताया कि जिला पंचायत विभाग द्वारा जारी की गई आरसी की रकम जमा न किए जाने पर जेल भेजने की कार्रवाई की गई है.

समाजसेवी और आरटीआई कार्यकर्ता जीवनलाल चौरसिया ने बताया कि जिला पंचायत की बेशकीमती जमीन पर 46 साल से माधव खरे कब्जा किया हुआ था. इस सरकारी जमीन की रजिस्ट्री गलत तरीके से की गई थी. बीते दिनों जिला पंचायत विभाग ने कब्जेधारी माधव खरे को 3 करोड़ 71 लाख 59 हजार रुपये का रिकवरी नोटिस भेजा. फिर भी कोई बड़ी कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई. सत्ता पक्ष और प्रशासन के लोगों की मिलीभगत के चलते कब्जा धारी बेखौफ था. सरकारी संपत्ति को कब्जा मुक्त कराने के लिए समाजसेवी जीवनलाल चौरसिया साढ़े 4 वर्ष से लड़ाई लड़ रहा है. उनके द्वारा भू माफिया के खिलाफ जो अभियान चलाया जा रहा है, उससे उसकी जान को भी खतरा है. उन्होंने बताया कि आरसी की रकम जमा न करने वाले कब्जेधारी को पकड़ने गई राजस्व टीम को पांच घंटे लग गए. जो कही न कही सत्ता पक्ष के दबाव को दर्शाता है. आरोप है कि सत्ता पक्ष के लोग ही भू माफिया को बचाने में जुटे थे, मगर अब उसे जेल भेज दिया गया है.

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