महोबा: जनपद का महिला जिला अस्पताल विवादों और लापरवाही को लेकर अक्सर चर्चा में रहता है. इसी के मद्देनजर आज राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष अंजू चौधरी ने महिला जिला अस्पताल का औचक निरीक्षण किया. जहां अस्पताल में बेड की कमी, फैली गंदगी, डॉक्टरों की लापरवाही और अन्य शिकायतें उपाध्यक्ष को मिलीं.
इस पर उपाध्यक्ष ने खासी नाराजगी जाहिर करते हुए सीएमएस और सीएमओ को इसके लिए जिम्मेदार बताया. यहीं नहीं उन्होंने कहा कि सीएमएस सिर्फ तनख्वाह और सरकारी की योजनाओं का लाभ लें रहे मगर काम कुछ भी नहीं कर रहे. इसके लिए अधिकारियों को अलग से लिखकर कार्रवाई कराई जायेगी.
अस्पताल में लापरवाही इस कदर थी कि नवजात बच्चों को जो उपचार मिलना चाहिए वो तक नहीं मिल पा रहा. महिला अस्पताल होने के बाद भी पुरुषों की संख्या ज्यादा देखने को मिली. इस बाबत उन्होंने तैनात महिला सुरक्षाकर्मियों को सख्त हिदायत देते हुए सभी कर्मियों को दूर करने के निर्देश दिए.
महिला अस्पताल में 6 महिला सुरक्षाकर्मी तैनात है. लेकिन वो पुरुषों को भगाने में असक्षम है. अस्पताल के वार्डों में भर्ती मरीजों के साथ लोगों की भीड़ ज्यादा आ रही है. इससे भी परेशानियों बढ़ रही हैं. इस कारण यहां पैदा होने वाले बच्चों को इंफेक्शन का डर भी बना रहता है. निरीक्षण में सबसे अजीब बात महिला अस्पताल में देखने को मिली कि किसी भी बाथरूम में पानी की व्यवस्था नहीं थी. जबकि मरीज उसे इस्तेमाल कर रहे थे. इसको लेकर उन्होंने सीएमएस को जमकर फटकार लगाई और सफाई व्यवस्था को बेहतर बनाए रखने के निर्देश दिए.
उन्होंने कहा मेरे आने से पहले क्यों नहीं इस पर ध्यान दिया गया. यह लापरवाही साफतौर पर दिखाई दे रही है. उन्होंने यहां तक कह दिया कि महिला अस्पताल के इंचार्ज सीएमएस अपनी ड्यूटी सही से नहीं कर रहे. जिसका नतीजा यह है कि यहां अव्यवस्थाएं फैली हैं. उन्हें तनख्वाह अच्छी मिल रही है पर काम नहीं कर रहे. यहीं तो खराबी है सरकार अच्छी व्यवस्था दे रही है, लेकिन यह काम नहीं करना चाहते. ऐसे ही लोगों पर तबादला और अन्य कार्रवाई होती हैं.
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उन्होंने आगे कहा कि जिस तरीके से महिला जिला अस्पताल में डॉक्टर, स्टाफ काम कर रहा है, वह गलत है. भ्रष्टाचार की लगातार शिकायतें मिल रही हैं और कोई भी डॉक्टर ऐसा नहीं लगा जो ईमानदारी से काम कर रहा हो. महिला अस्पताल में गंदगी का अंबार लगा हुआ है जो यहां की बदहाली को दर्शाने के लिए काफी है. अस्पताल में बरती जा रही लापरवाही और बदहाली के लिए सीएमएस और सीएमओ सीधे जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा कि जब विभाग का आला अधिकारी लापरवाह होगा, तो कर्मचारी अपने आप लापरवाह हो जाएंगे. इसको लेकर सख्ती से कार्रवाई होनी चाहिए. जिसके लिए अलग से अधिकारियों को लिखा जाएगा.
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