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महोबा: मध्यप्रदेश बॉर्डर पर रोके गए प्रवासी मजदूर, खाने के लाले - यूपी पुलिस

लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूर अपने गृह जनपद की ओर लौट रहे हैं. ऐसे हजारों मजदूर महोबा में एमपी से लगे बॉर्डर पर इकट्ठा हैं. वे अपने घर लौटना चाहते हैं, लेकिन जिला प्रशासन उन्हें रोक रहा है. फिलहाल, मजदूरों के खाने-पीने की भी कोई व्यवस्था नहीं है.

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प्रवासी मजदूर.
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Published : May 11, 2020, 1:41 PM IST

महोबा: कोरोना महामारी के चलते पूरे देश मे लॉकडाउन लागू हुए डेढ़ महीने से ज्यादा का वक्त हो चुका है. लॉकडाउन के चलते लोगों का रोजगार छिन जाने के कारण लोग अपने घरों की ओर पलायन कर रहे हैं. कोई पैदल तो कोई किसी साधन से अपने गृह जनपद लौट रहा है, लेकिन इन लोगों को प्रदेश की सीमाओं पर रोका जा रहा है.

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गाड़ियों को रोकते पुलिसकर्मी.

महाराष्ट्र, गुजरात, ओडीशा से हजारों की संख्या में मजदूर अपने घरों की ओर लौट रहे हैं. महाराष्ट्र से आए श्रमिक मध्यप्रदेश से उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश कर रहे हैं. मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले और उत्तर प्रदेश के महोबा जिले के बॉर्डर पर हजारों की तादाद में श्रमिकों को रोक लिया गया, जिसमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं. तेज धूप में खाना की व्यवस्था तो दूर की बात है इनके लिए पीने के पानी का भी कोई इंतजाम नहीं है, जबकि सरकार ने जिला प्रशासन को सभी इंतजाम करने के लिए सख्त निर्देश दिए हैं.

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UP-MP बॉर्डर पर पहुंचे प्रवासी मजदूर.

प्रवासी मजदूरों का छलका दर्द
गर्भवती रानी बताती हैं कि वे लोग ट्रक से महाराष्ट्र से निकले थे. रविवार की रात उन्हें यूपी-एमपी बॉर्डर पर रोक लिया गया. तब से वे भूखी हैं और खाने-पीने का भी कोई इंतजाम नहीं किया जा रहा है. वहीं प्रवासी मजदूर रमेश ने कहा कि वह और उनके साथी महाराष्ट्र से आये हैं. उन्हें रास्ते में यूपी-एमपी बॉर्डर पहुंचने से पहले कहीं भी रोका नहीं गया. खाने-पीने की व्यवस्था के बारे में बताते हुए कहते हैं कि पानी का बस एक टैंकर आया, लेकिन उससे दो हजार से भी ज्यादा लोगों का क्या होगा.

प्रशासन लोगों से कर रहा अपील
वहीं अपर पुलिस अधीक्षक वीरेंद्र कुमार अपनी गाड़ी से लगातार लाउडस्पीकर के माध्यम से लोगों को समझाने में लगे हुए हैं.वह पुलिसकर्मियों से भी लगातार कह रहे है कि बिना पास कोई गाड़ी न जाने दें. वे लोगों से धैर्य रखने की अपील कर रहे हैं.

महोबा: कोरोना महामारी के चलते पूरे देश मे लॉकडाउन लागू हुए डेढ़ महीने से ज्यादा का वक्त हो चुका है. लॉकडाउन के चलते लोगों का रोजगार छिन जाने के कारण लोग अपने घरों की ओर पलायन कर रहे हैं. कोई पैदल तो कोई किसी साधन से अपने गृह जनपद लौट रहा है, लेकिन इन लोगों को प्रदेश की सीमाओं पर रोका जा रहा है.

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गाड़ियों को रोकते पुलिसकर्मी.

महाराष्ट्र, गुजरात, ओडीशा से हजारों की संख्या में मजदूर अपने घरों की ओर लौट रहे हैं. महाराष्ट्र से आए श्रमिक मध्यप्रदेश से उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश कर रहे हैं. मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले और उत्तर प्रदेश के महोबा जिले के बॉर्डर पर हजारों की तादाद में श्रमिकों को रोक लिया गया, जिसमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं. तेज धूप में खाना की व्यवस्था तो दूर की बात है इनके लिए पीने के पानी का भी कोई इंतजाम नहीं है, जबकि सरकार ने जिला प्रशासन को सभी इंतजाम करने के लिए सख्त निर्देश दिए हैं.

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UP-MP बॉर्डर पर पहुंचे प्रवासी मजदूर.

प्रवासी मजदूरों का छलका दर्द
गर्भवती रानी बताती हैं कि वे लोग ट्रक से महाराष्ट्र से निकले थे. रविवार की रात उन्हें यूपी-एमपी बॉर्डर पर रोक लिया गया. तब से वे भूखी हैं और खाने-पीने का भी कोई इंतजाम नहीं किया जा रहा है. वहीं प्रवासी मजदूर रमेश ने कहा कि वह और उनके साथी महाराष्ट्र से आये हैं. उन्हें रास्ते में यूपी-एमपी बॉर्डर पहुंचने से पहले कहीं भी रोका नहीं गया. खाने-पीने की व्यवस्था के बारे में बताते हुए कहते हैं कि पानी का बस एक टैंकर आया, लेकिन उससे दो हजार से भी ज्यादा लोगों का क्या होगा.

प्रशासन लोगों से कर रहा अपील
वहीं अपर पुलिस अधीक्षक वीरेंद्र कुमार अपनी गाड़ी से लगातार लाउडस्पीकर के माध्यम से लोगों को समझाने में लगे हुए हैं.वह पुलिसकर्मियों से भी लगातार कह रहे है कि बिना पास कोई गाड़ी न जाने दें. वे लोगों से धैर्य रखने की अपील कर रहे हैं.

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